फांसी से बचने के लिए निर्भया के दोषियों ने चली नई चाल, अपनाया ये कानून पैतरा
पहले भी कानून की आड़ में 2 बार रद्द हो चुका है डेथ वारंट, निर्भय की मां खो रही अपना धैर्य तो निर्भया की वकील भी पीछे हटने को तैयार नहीं
बहुचर्चित निर्भया गैंगरेप केस में फांसी की सजा से बचने के लिए दोषियों ने नया कानून पैतरा चला है. इस नई चाल के चलते ही दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने तिहाड़ जेल प्रशासन को डेथ वारंट रोकने का नोटिस जारी कर दिया है जिसका जवाब सोमवार तक देना है. इस फैसले के बाद निर्भया की मां आशा देवी और उनकी वकील दोनों सकते मे हैं. आशा देवी ने कहा कि किसी को ये क्यों समझ नहीं आ रहा कि दोषी केवल कानून के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं. वहीं उनकी वकील ने इसे दोषियों की वक्त जाया करने की बात कही.
दरअसल, पवन गुप्ता ने अपने बचाव में शेष बचे दो विकल्पों में से एक का इस्तेमाल करते हुए सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव पिटिशन दाखिल की है. वहीं दोषी अक्षय ने दूसरी बार राष्ट्रपति के पास अपनी दया याचिका भेजी है. अक्षय की पहली याचिका खारिज हो चुकी है. दोनों के वकील ए.पी.सिंह ने इस बिहाफ पर एक अन्य याचिका अदालत में दाखिल की है कि दोषियों की दया याचिका लंबित होने के चलते फांसी नहीं दी जा सकती, लिहाजा डेथ वारंट रद्द किया जाए. इन्हीं कानूनी पैतरों की आड़ में निर्भया के दोषी सात साल बाद भी सजा से तो निर्भया का परिवार न्याय पाने से दूर है.
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शनिवार को निर्भया के दोषी अक्षय के वकील ने पटियाला हाउस कोर्ट में दया याचिका दाखिल करते हुए कहा कि अक्षय ने अब कंप्लीट दया याचिका फाइल की है. अक्षय की पिछली याचिका को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने खारिज कर दिया था. दोषियों की ओर से एक अन्य याचिका ये भी लगाई गई है, चूंकि दोषियों की दया याचिकाएं लंबित है इसलिए अदालत द्वारा जारी डेथ वारंट रद्द किया जाए. इस संबंध में पटियाला हाउस कोर्ट ने तिहाड़ जेल प्रशासन को नोटिस जारी कर सोमवार तक जवाब देने के लिए कहा है.
दूसरी ओर, पवन गुप्ता की क्यूरेटिव पिटिशन पर सोमवार को सुनवाई होगी. हालांकि क्यूरेटिव पिटिशन का खारिज होना तय माना जा रहा है. इस केस में उसके पास राष्ट्रपति के पास दया याचिका भेजने का विकल्प शेष है. वहीं अक्षय की याचिका महामहीम तक पहुंचने और वहां से आदेश आने में कम से कम हफ्ताभर लगेगा. इन परिस्थितियों में डेथ वारंट का रद्द होना और कानून से खिलवाड़ होना तय है.
इससे पहले अन्य दोषी अक्षय ठाकुर, मुकेश सिंह और विनय शर्मा सहित पवन गुप्ता ने फांसी टालने और वक्त जाया करने की पूरजोर कोशिश की. इसी का नतीजा है कि सात साल से अधिक का समय निकल गया. यही नहीं, पहले भी दो बार डेथ वॉरंट जारी होने के बाद फांसी टल गई. सबसे पहले 22 जनवरी को चारों को फंदे से लटकाने का फैसला आया लेकिन दया याचिका लंबित होने के चलते फांसी टल गई. दूसरी बार एक फरवरी को सुबह 6 बजे दोषियों के लिए मौत का फरमान फिर जारी हुआ लेकिन इस बार भी एक दोषी की दया याचिका लंबित होने के चलते फांसी न हो सकी. इस बार दोषी पवन और अक्षय के वकील के न्यायिक प्रक्रिया का गलत फायदा उठाने के चलते डेथ वारंट का टलना तय है.