मयखानों को दूसरा वैक्सीन सेंटर घोषित कर देना चाहिए!
- अस्पताल में बैड और ऑक्सीजन भले न मिले लेकिन मयखाने खुले रहेंगे, शराब जरूर मिलेगी
NewsBreathe_Special. कोरोना के कहर ने राजस्थान सहित पूरे देश को अपनी गिरफ्त में ले रखा है. राजस्थान में कोरोना के मरीज तेजी से बढ़ते जा रहे हैं. प्रदेश की अशोक गहलोत सरकार ने वीकेंड शनिवार व रविवार को लाॅकडाउन और जन अनुशासन पखवाड़ा के तहत सख्ती बढ़ा दी है. अब हफ्ते के पांचों दिन यानी सोमवार से शुक्रवार तक किरानाए खाद्य पदार्थ की होलसेल और रिटेल दुकानें, पशु-चारे की दुकानेंए सोमवार से शुक्रवार सुबह 6 से 11 बजे तक ही खुलेंगी. शनिवार.रविवार बंद रहेंगी. अन्य सभी दुकानें 2 मई तक बंद रहेंगे लेकिन ये बंदिषें मयखानों यानी दारू के ठेकों पर नहीं रहेंगे और उन्हें सुबह 6 से 11 बजे तक शराब बेचने की अनुमति होगी. मतलब एकदम साफ है कि राजस्थान में कोरोना मरीजों के लिए आक्सीजन अस्पताल में बैड भले न मिलेए लेकिन शराब के शौकीनों को दिक्कत नहीं होगी. इससे पहले इन दुकानों को 5 बजे तक खोलने की अनुमति मिली हुई थी.
शराब की बिक्री जितनी पीने वालों के लिए अहम है, उससे ज्यादा राज्य सरकार के लिएण् सरकार की आय के बड़े स्रोतों में से एक है आबकारी महकमा. सरकार को इस महकमे से पिछले वित्त वर्ष 2020.21 में ही 9 हजार 751 करोड़ रुपए का रेवेन्यू मिला था. मौजूदा वित्त वर्ष 2021.22 में सरकार ने इस महकमे से 13500 करोड़ रुपए रेवेन्यू जुटाने का लक्ष्य रखा है.
अब ये कोई नई बात नहीं है कि इन मयखानों को ये छूट अभी मिली हुई है. जब राज्य सरकार सोशल डिस्टेंसिंग का लंबा चैड़ा भाषण देते हुए लाॅकडाउन लगा चुकी थी, उस समय इन मयखानों पर चिपक चिपक कर सैंकड़ों लोगों की लंबी लंबी लाइनें देखी जा सकती थी. यहां तक की पुलिसकर्मी इन लाइनों के आसपास इस बात का ध्यान रखते हुए तैनात किए गए थे कि कोई झगड़ा न हो और अमृत बांट रही इन दुकानदारी की ग्राहकी न बिगड़ने पाए. इस दौरान दारू के दामों में दोगुना तीन गुना वृद्धि कर दी गई थी.
दारू की दुकानें खोलने के लिए भी सरकार पर दबाव बनाया गया था. सरकार के ही कुछ मंत्रियों ने राय रखी थी कि दारू एक तरह से टाॅनिक का काम करती है और लोगों को कोरोना से बचने के लिए शराब पीने की जरूरत है जिससे कोरोना से बचाव किया जा सके. इसके बाद सरकार ने इनकी बात मानी और मयखानों को खोलने की अनुमति दे दी. लाॅकडाउन के दौरान भी ये दुकाने खुली रहीं.
अब भई हमारा तो यही मानना है कि जब दारू इंटरनल सेनेटाइजर का काम करती है तो इसे ही वैक्सीन का सब्टीट्यूट घोषित कर देना चाहिए. हमारा तो ये भी कहना है कि सरकार को इसे अनिवार्य कर देना चाहिए. इससे आबकारी विभाग का खजाना तो बढ़ेगा ही, मयखाने के शौकिनों की चाहत को भी पर लग जाएंगे. कई राज्यों में तो वैसे भी दारू की होम डिलीवरी भी शुरू हो चुकी है.
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अब अस्पतालों में ऑक्सीजन या बैड न मिलने की बात का ठीकरा तो दूसरों पर फोडा जा सकता है लेकिन अब कहीं शराब प्रेमियों ने सरकार पर ये आरोप लगा दिया कि शराब के अभाव में हमें कोरोना ने जकड़ लिया तो कहीं आबकारी विभाग ही दुष्मन न बन जाए. शायद यही वजह है कि सरकार ने भी मयखानों को पूरी छूट दे रखी है. मयखानों को छूट देने का ही नतीजा ये है कि प्रदेशभर में राजस्थान अब क्राइम-स्थान बनता जा रहा है जो पिछले एक साल में सभी द्वारा देखा जा चुका है, कही कुछ भी छुपा हुआ नहीं है.