क्यों मनाया जाता है मकर संक्रांति का त्योहार, क्या आपको है पता?
January 14, 2025
मकर संक्रांति (Makar Sankranti) भारत के सबसे प्राचीन और महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। यह त्योहार खगोलीय घटना और कृषि से जुड़ा हुआ है और इसे सूर्य के मकर राशि (Capricorn) में प्रवेश करने के अवसर पर मनाया जाता है।
मकर संक्रांति (Makar Sankranti) क्यों मनाई जाती है?
- सूर्य का मकर राशि में प्रवेश:
मकर संक्रांति (Makar Sankranti) के दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है। इसे खगोलीय दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि इस दिन से दिन बड़े और रातें छोटी होने लगती हैं। इसे उत्तरायण की शुरुआत के रूप में भी जाना जाता है। - फसल कटाई का पर्व:
यह त्योहार नई फसल के आने का प्रतीक है। किसान अपनी मेहनत का फल प्राप्त करते हैं और खुशी के साथ इसे मनाते हैं। इसे फसल कटाई के त्योहार के रूप में मनाया जाता है। - धार्मिक महत्व:
मकर संक्रांति (Makar Sankranti) को धार्मिक रूप से भी बहुत खास माना जाता है। गंगा, यमुना, गोदावरी और अन्य नदियों में स्नान करना पवित्र माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन स्नान और दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। - पौराणिक कथा:
एक पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान सूर्य ने अपने पुत्र शनिदेव से मिलने के लिए मकर राशि में प्रवेश किया था। यह दिन पिता-पुत्र के रिश्ते की महत्वता को दर्शाता है।
मकर संक्रांति: छतों पर गूंजा ‘वो काटा वो मारा’ का शोर
देशभर में मकर संक्रांति (Makar Sankranti) की अलग-अलग परंपराएं:
- गुजरात: इसे उत्तरायण के नाम से मनाया जाता है और पतंगबाजी का प्रमुख उत्सव होता है।
- पंजाब: इस दिन लोहड़ी मनाई जाती है।
- तमिलनाडु: इसे पोंगल के रूप में मनाया जाता है, जो फसल कटाई का प्रमुख त्योहार है।
- बिहार और उत्तर प्रदेश: इसे खिचड़ी पर्व के नाम से जाना जाता है।
- महाराष्ट्र: तिल-गुड़ के साथ “तिलगुल घ्या, गोड गोड बोला” कहने की परंपरा है।
संदेश और महत्व:
मकर संक्रांति (Makar Sankranti) न केवल खगोलीय और कृषि महत्व रखता है, बल्कि यह लोगों को एक साथ लाने, आपसी प्रेम और सौहार्द बढ़ाने का पर्व भी है। तिल-गुड़ जैसे व्यंजन रिश्तों में मिठास लाने का प्रतीक हैं।
यह त्योहार हमें प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने और जीवन में सकारात्मकता लाने का संदेश देता है।