राम मंदिर विशेष: लालकृष्ण आडवाणी का मज़ाक उड़ाने वालो.. ये मत भूलो कि वक़्त कभी एक सा नहीं होता

जिस शख़्सियत को तुम प्रधानमंत्री नहीं बन पाने को लेकर अट्टहास करते हो, दरअसल ये वही आदमी है जिसकी वाणी की गूंज पर एक आंदोलन शक्ल ले लेता है

ये मत भूलो कि वक़्त एक सा कभी नहीं रहा है। किसी का नहीं रहा है। न ही कभी ऐसा होने वाला है। कल इनका था। आज किसी और का है। आज जिसका है, कल उसका नहीं होगा। इस ‘सत्य’ के करीब जो जितना भी है, वह लाल कृष्ण आडवाणी को उतनी ही बारीकी से समझ पाएगा।

जिस शख़्सियत को तुम प्रधानमंत्री नहीं बन पाने को लेकर अट्टहास करते हो, दरअसल ये वही आदमी है जिसकी वाणी की गूंज पर एक आंदोलन शक्ल ले लेता है। इसी शख़्स की बदौलत एक छोटा सा दल आज ‘दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी’ होने का दावा ठोंक पाता है।

Lal krishna Advani and Ram Mandir
Lal krishna Advani and Ram Mandir

आज राम नाम की गूंज में इस शख़्सियत की आवाज़ को नेपथ्य में धकेलने का दुस्साहस हरगिज़ न करो। ऐसा करने से खुद प्रभु श्री राम नाराज़ हो सकते हैं। अतीत हमेशा वर्तमान से बड़ा ही रहेगा। अगर वर्तमान बड़ा है भी तो उसकी वजह अतीत ही होगी। इस लिहाज से भी बाप ‘अतीत’ ही है। ठीक वैसे ही, जैसे बाप किसी बेटे से बड़ा होता है। हमेशा के लिए।

आडवाणी बिना प्रधानमंत्री हुए भी हमेशा प्रासंगिक थे, हैं और रहेंगे। राम मंदिर इस सत्य को एक हस्ताक्षर के रूप में जीवित रखेगा। वहीं कुछ लोग प्रधानमंत्री होकर भी आडवाणी नहीं हो सकते। कभी भी।

Lal krishna Advani and Modi
Lal krishna Advani and Modi

आडवाणी होने के लिए कुर्बानियों के, उपहास के ऐसे घूंट ताउम्र पीने पड़ेंगे जो किसी और के लिए ज़हर हो जाएं! सनद रहे।

साभार : facebook

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