महाशिवरात्रि का महापर्व आज, शिवालयों में लगे ‘जय शिव शंभू’ के जयकारे

30 साल बाद अदभूत योग बन रहे हैं महाशिवरात्रि पर, कई गुना पुण्यफल की होगी प्राप्ति, प्रदोष व्रत होने के चलते पूजा एवं व्रत करना अत्यंत फलदायी साबित होगा, सभी मनोकामनाएं होंगी पूर्ण

साल का सबसे बड़ा महापर्व महाशिवरात्रि आज मनाई जा रही है। पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी की तिथि यानी आज साल की सबसे बड़ी शिवरात्रि है। भगवान शिव को स्वयंभू कहा गया है. इसका अर्थ है कि वह अजन्मा हैं. वह ना आदि हैं और ना अंत. जिस पर शिव की कृपा हो जाए उसे जीवन में कोई संकट नहीं आता. भगवान शिव की लिंग रूप में पूजा की जाती है. शिव को प्रसन्न करने का एक ही तरीका है, उनकी सच्ची श्रद्धा से भक्ति.

शिव और शक्ति के मिलन के महापर्व को महाशिवरात्रि के नाम से जाना जाता है. जगत में प्रकृति और मनुष्य के बीच के संबंध को परिभाषित करता है और इससे हमें यह प्रेरणा लेनी चाहिए कि हमें अपनी प्रकृति को तनिक भी नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए. क्योंकि वह माता स्वरूप होकर जीवन में हमारा पालन-पोषण करती हैं. भगवान शिव को समर्पित इस पर्व की महिमा विशेष है. मान्यता है कि इस दिन विधि पूर्वक पूजा, व्रत करने से सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. इस दिन भगवान शिव की विशेष उपासना की जाती है. इस दिन शिव जी के साथ मां पार्वती की भी विशेष पूजा-अर्चना की जाती है.

शिव पुराण के अनुसार, जो भक्त महाशिवरात्रि पर जीवधारी जितेंद्रिय रहकर और निराहार बिना जल ग्रहण किए शिव आराधना करते हैं, उन्हें समस्त सुखों की प्राप्ति होती है. महाशिवरात्रि के व्रत से कई गुना पुण्यफल की प्राप्ति होती है. इस बार महाशिवरात्रि पर विशेष संयोग भी बन रहे हैं। 18 फरवरी को सूर्य और शनि ग्रह कुंभ राशि में मौजूद रहेगें. इस साल महाशिवरात्रि के दिन प्रदोष व्रत भी है और शनिवार का दिन भी है जिसमें पूजा-व्रत करना अत्यंत फलदायी रहेगा.

क्यों मनाते हैं महाशिवरात्रि

महाशिवरात्रि के पर्व को भगवान शिव और माता पार्वती के विवाहोत्सव के रूप में भी मनाया जाता है. परम कल्याणकारी सदाशिव और परम कल्याणकारिणी मां पार्वती के पवित्र मिलन को परिभाषित करता महाशिवरात्रि का त्योहार हमें जीवन में सबकुछ प्रदान करने का सामर्थ्य को दर्शाता है. इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की एकसाथ पूजा करने से जन्म जन्मांतर के कष्टों से मुक्ति मिलती है.

महाशिवरात्रि के दिन पूजा का महत्व

  • महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग की पूजा करने से जन्मकुंडली के नवग्रह दोष तो शांत होते हैं.
  • मानसिक अशान्ति, मां के सुख और स्वास्थ्य में कमी, मित्रों से संबंध, मकान-वाहन के सुख में विलम्ब, हृदयरोग, नेत्र विकार, चर्म-कुष्ट रोग,
  • नजला-जुकाम, स्वांस रोग, कफ-निमोनिया संबंधी रोगों से मुक्ति मिलती है और समाज में मान प्रतिष्ठा बढती है.
  • शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने से व्यापार में उन्नति और सामाजिक प्रतिष्ठा बढ़ती है.

महाशिवरात्रि पूजा का मुहूर्त

वैसे तो महाशिवरात्रि की पूजा पूरे दिन और चारों पहर होती है. लेकिन इस दिन निशीथ काल में पूजा का समय रात्रि 12:10 से रात्रि 1:01 तक रहेगा. वहीं व्रत का पारण अगले दिन 19 फरवरी को सुबह 6:57 से दोपहर 3:25 तक किया जा सकेगा. यदि आप प्रहर के आधार पर पूजा करना चाहते हैं तो, प्रथम प्रहर सायंकाल 6:14 से रात्रि 9:25 तक रहेगा. द्वितीय प्रहर रात्रि 9:25 से मध्य रात्रि 12:36 तक रहेगा. तृतीय प्रहर मध्य रात्रि 12:36 से प्रातः काल 3:47 तक रहेगा और चतुर्थ प्रहर 3:47 बजे से 6:57 बजे तक रहेगा.

सुबह का मुहूर्त – सुबह 8 बजकर 22 मिनट से 9 बजकर 46 मिनट तक शुभ का चौघड़िया है

दोपहर का मुहूर्त – दोपहर 2.00 बजे से 3 बजकर 24 मिनट तक लाभ का चौघड़िया रहेगा.

अमृत काल मुहूर्त – दोपहर 3 बजकर 24 मिनट से 4 बजकर 49 मिनट अमृत का चौघड़िया है. अमृत काल शिव पूजा के लिए उत्तम फलदायी होता है.

शाम का मुहूर्त – शाम 6 बजकर 13 मिनट से 7 बजकर 48 मिनट तक महादेव की उपासना का मुहूर्त बन रहा है.

निशिता काल मुहूर्त – महाशिवरात्रि की पूजा मध्यरात्रि में करने का विधान है. 18 फरवरी को रात 10 बजकर 58 मिनट से 19 फरवरी 2023 को प्रात: 1 बजकर 36 मिनट तक महानिशीथ काल में शिव पूजा पुण्यकारी होगी.

महाशिवरात्रि पूजा विधि

महाशिवरात्रि के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नानादि कर साफ कपड़े पहन लें. इस दिन हरे रंग के कपड़े पहनना शुभ होता है. इसके बाद शिव मंदिर में जाकर शुद्ध जल, गन्ने का रस, दूध, दही, शहद और घी आदि से शिवलिंग पर अभिषेक करें. अब शिवलिंग पर चंदन का लेप लगाएं और भगवान को बेलपत्र, भांग, धतूरा, फल, मिष्ठान, आदि अर्पित करें. इसके बाद शिव चालीसा पढ़ें और शिवजी के मंत्रों का उच्चारण करें. आखिर में शिवजी की आरती गाएं.

मान्यता के अनुसार षोडशोपचार पूजन के साथ महाशिवरात्रि की पूजा करनी चाहिए. इसके साथ ही भगवान शिव का गंगाजल से मंत्रों के साथ अभिषेक करना चाहिए. इसके साथ ही बेलपत्र, भांग, धतूरा, फल, मिष्ठान, वस्त्र आदि अर्पित करने चाहिए.

महाशिवरात्रि पर ये सब न करें

महाशिवरात्रि के दिन पूजा में शिवजी को केतकी के फूल नहीं चढ़ाने चाहिए. इसके साथ ही कनेर, कमल और लाल रंग के फूल भी शिवलिंग पर नहीं चढ़ाने चाहिए. शिवलिंग की पूजा में धतूरे का फूल या सफेद रंग के फूल चढ़ाना बहुत शुभ होता है.

महाशिवरात्रि व्रत के नियम

महाशिवरात्रि के व्रत से एक दिन पूर्व एक ही समय भोजन करना चाहिए और शिवरात्रि के दिन सुबह जल्दी उठकर नित्य क्रियाओं से निवृत्त होकर स्नान ध्यान करके व्रत करने का संकल्प ग्रहण करना चाहिए. मन ही मन भगवान शिव से अपनी मनोकामना कहनी चाहिए और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने की इच्छा व्यक्त करनी चाहिए.