सवर्ण आरक्षण विधेयक: बिल लागू हुआ नहीं और मामला पहुंच गया सुप्रीम कोर्ट
सामान्य श्रेणी के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को शिक्षा और सरकारी नौकरियों में 10 प्रतिशत आरक्षण देने वाले सवर्ण आरक्षण विधेयक अभी तक पूरी तरह से लागू हुआ नहीं। उससे पहले ही यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया। बुधवार को ही यह बिल राज्यसभा में पारित हुआ था। इसे अंतिम स्वीकृति के लिए राष्ट्रपति को भेजा जाने वाला था लेकिन राज्यसभा में मंजूरी मिलने के अगले ही दिन एक संगठन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर इस फैसले को चुनौती दी है। इस संस्था का नाम है यूथ फॉर इक्वैलिटी जिसने संविधान संशोधन को आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के खिलाफ बताया गया है। याचिका में परिवार की 8 लाख रुपए सालाना आय के पैमाने पर भी सवाल उठाया है।
सवर्ण आरक्षण विधेयक को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने वाली याचिका में कहा गया है कि आर्थिक मापदंड आरक्षण का एकमात्र आधार नहीं हो सकता है। याचिका में इसे संविधान के बुनियादी ढांचे के खिलाफ बताते हुए जनरल कोटा को समानता के अधिकार और संविधान के बुनियादी ढांचे के खिलाफ है। याचिका में यह भी कहा गया है कि गरीबों को 10 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान नागराज बनाम भारत सरकार मामले में दिए गए सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के भी खिलाफ है।
गौरतलब है कि पहले ही आर्थिक आधार पर सवर्ण आरक्षण विधेयक सामने आ चुका है लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही निर्णय सुना दिया था कि किसी भी सुरत में 50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण नहीं दिया जा सकता। अब जब यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है तो लोकसभा चुनावों को लेकर खेला गया यह मास्टर स्ट्रोक अधर झूल में अटक सकता है।