ये राजनेता हैं जनाब! जहां गए..वहीं के हो लिए, इसमें गलत क्या है
- मंत्री महोदय ने अपने राजनीतिक व्यवसाय से किया है पूरी तरह न्याय, अगर जातिगत मुद्दा सामने नहीं रखेंगे तो लेना पड़ सकता है राजनीति से संन्यास
NewsBreathe/Aaj_Khas. अलवर में आदिनाथ जैन शिक्षण संस्थान में आयोजित एक कार्यक्रम में राजस्थान के शहरी विकास मंत्री शांति धारीवाल की एक टिप्पणी पर काफी बवाल हो रहा है. यह विवादित टिप्पणी ब्राह्मणों पर की गई है. इसका एक वीडियो भी काफी वायरल हो रहा है जिसमें माननीय महोदय कहते दिख रहे हैं.. ‘ब्राह्मणों ने बुद्धि का ठेका ले रखा है…’. इस टिप्पणी पर विरोध शुरू हो गया है. विप्र सेना सहित कई कई संगठनों ने इस पर ऐतराज जताया है और मंत्री धारीवाल से माफी मांगने की बात कही है.
दरअसल शांति धारीवाल ने अपने व्याखान में कहा, ‘मैं ब्राह्मणों से कहता हूं, तुमने यार बुद्धि का ठेका ले रखा है. मेरे यहां कोटा के कोचिंग इंस्टीट्यूट पूरे देश में प्रसिद्ध हैं. उनका जो रिजल्ट आता है, उसमें 100 में से 70 बनिया कैसे आते हैं? तुम लोग कैसे पीछे रह जाते हो? इसका जवाब नहीं है उनके पास. आप उठाकर देख लेना कभी भी, कोटा के इंस्टीट्यूट का जब रिजल्ट आता है तो उसमें जिंदल मिलेगा, जैन मिलेगा या अग्रवाल मिलेगा. इस तरह के नाम मिलेंगे आपको’.
अब ब्राह्मण समाज से जुड़े संगठन इस बात पर विरोध क्यों कर रहे हैं, ये अलग मुद्दा है. हमारा तो केवल यही कहना है कि धारीवालजी ने क्या गलत कहा. उन्होंने तो एकदम सही कहा है. किसी ने अलग गौर किया हो तो मंत्री महोदय एक जैन शिक्षण संस्थान में बोल रहे थे न कि ब्राह्मण संस्थान में. यहां जिन्हें उन्होंने बृद्धिशील बताया, उनमें बनियो के साथ जैनियों का भी नाम लिया है. सीधी सी बात है कि गहलोत सरकार में मंत्री शांति धारीवाल ने शुद्ध राजनीतिज्ञ की भूमिका का निर्वाह किया है कि जहां गए, वहीं के रंग में रंग गए और वहीं के हो लिए.
इस बात में कुछ गलत भी नहीं है. राजनीति का बेस तो जाति है और यही सालों साल से चली आ रही है. हालिया घटना भी एक जातिगत ही थी लेकिन उसे बाद में लींग से हटा दिया गया. युवाओं के एक समूह ने जयपुर के पवित्र गलता तीर्थ स्थित आमागढ़ की पहाड़ी पर लगे एक केसरिया ध्वजा को उखाड़कर उसे फाड़ दिया. इस पूरे घटनाक्रम के दौरान कांग्रेस समर्थित गंगापुर सिटी से निर्दलीय विधायक रामकेश मीणा की मौजूदगी रही.
जब उनसे इस बारे में पूछा गया कि ऐसा क्यों हुआ तो राजस्थान आदिवासी मीणा सेवा संघ के अध्यक्ष मीणा ने कहा कि आम्बागढ़ दुर्ग पर मीणाओं का शासन रहा है. केसरिया ध्वजा फहराकर मीणा समाज के इतिहास के साथ छेड़छाड़ की गई है इसलिए ध्वज को हटाया गया है.
जब इस मामले ने तूल पकड़ा और कई हिंदू संगठन इस कृत्य में शामिल मीणा नेताओं पर कार्रवाई का दबाव बनाने लगे तो खुद राज्यसभा सांसद किरोडीलाल मीणा ने मीणा समाज का नेतृत्व करते हुए कहा कि मीणा खुद भी हिंदू हैं. इस पूरे घटनाक्रम में किरोडीलाल की एंट्री होते ही मामला रफा दफा हो गया. चूंकि विधायक खुद मीणा थे, बात आगे बढ़ती भी तो कैसी बढ़ती.
ऐसा ही कुछ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ भी हुआ है. पहली बार प्रधानमंत्री बनने तक वे सामान्य जाति के पक्षधर हुआ करते थे और हिंदुत्व का झंडा उठाया करते थे. आम लोगों का भी यही मानना था कि जब मोदी प्रधानमंत्री बनेंगे तो शायद आरक्षण का किस्सा खत्म होगा और जिसका जो हक है, वो उसे योग्यता के नाम पर मिलेगा. लेकिन हुआ कुछ उल्टा.
जैसे ही दूसरी बार प्रधानमंत्री बनने का समय निकट आया, उन्होंने खुद को आरक्षित जाति का बताया और आरक्षित जातियों में पैठ बनाने की कोशिश की. जब सामान्य जातियों के खेमे में गए और उन्हें लगा कि मामला कहीं सेट नहीं हो रहा तो उन्होंने नया पैतरा फेंकते हुए चार सामान्य जातियों के लिए निर्धनता के हिसाब से 8 प्रतिशत का आरक्षण दे दिया. वो बता अलग है कि ये आरक्षण 8 लाख रूपये सालाना वालों के लिए है जबकि इनकम टेक्स 3 लाख रूपये सालाना पर से देय है. अब ऐसा ही कुछ ओबीसी जाति के साथ खेल खेला जा रहा है.
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आम तौर पर अन्य नेता भी ऐसा ही कुछ करते हैं. अगर वे मुस्लिम समाज में चुनाव प्रचार या अन्य किसी समारोह में जाते हैं तो उसी अंदाज में अपना वेश धरते हैं. अति पिछड़े इलाकों में जाते हैं तो उनके यहां खाना खाकर यही साबित करना चाहते हैं कि वे केवल उन्हीं की सेवा के लिए जनमें हैं और अन्य से उनका कोई लेना देना नहीं है.
बातों को ज्यादा लंबा न खींचते हुए हमारा तो यही मानना है कि अब अगर मंत्री शांति धारीवाल ने जैन संस्थान में जाकर केवल जैन समुदाय को खुश करने के लिए ब्राह्मणों को नीचा दिखा भी दिया तो क्या हुआ. उन्होंने 100 फीसदी अपने राजनीतिज्ञ व्यवसाय से न्याय किया है. अगर राजनीति में ही जातिगत बातें नहीं होंगी तो राजनीति का कोई अभिप्राय नहीं रह जाएगा. हां, उन्होंने समुदाय विशेष को नाराज जरूर कर दिया है. संभावना है कि मंत्री महोद्य जल्दी ही किसी ब्राह्मण संस्थान में समाज की बड़ाईयों के पूल बांधते हुए नजर आएंगे.