बिहार में बन रही है RJD और कांग्रेस की सरकार, नीतीश की डूबेगी नैया!
- मोदी और बीजेपी की लहरों पर सवार होकर चुनावी मैदान में है जेडीयू, युवाओं के दिलों में बस गए हैं तेजस्वी यादव, अब खत्म होने की कगार पर है बिहार से नीतीश राज
NewsBreatheTeam. बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Election-2020) में मतदान के दो फेस पूरे हो चुके हैं. तीसरा फेस 7 नवंबर को है. नतीजें 10 नवंबर को आएंगे. चुनावों का परिणाम क्या होगा या किसकी बनेगी सरकार, ये तो परिणाम आने पर ही पता चलेगा लेकिन उससे पहले ही न्यूज ब्रीथ की टीम आपको बिहार चुनाव का भविष्य बता रहा है. बिहार में राष्ट्रीय जनता दल यानि आरजेडी और कांग्रेस यानि महागठबंधन की सरकार बनने जा रही है. बिहार में 243 में से आरजेडी 144, कांग्रेस 70 और वाम दल (भाकपा माले 19, सीपीआई 6 और सीपीएम 4 सीटों पर) 29 सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं.
न्यूज ब्रीथ के चुनावी सर्वे और अनुसार के अनुसार चुनावों में आरजेडी को 80 से 90 सीटों पर साफ तौर पर जीत मिल रही है. कांग्रेस के खाते में 35+ सीटें आ रही हैं. वहीं वाम दलों के खाते में भी 5 सीटें आने की पूरी उम्मीद है. कुल मिलाकर देखा जाए तो महागठबंधन के खाते में 115 से 125 के बीच सीटें आएंगी. बिहार में कुछ सीटों पर निर्दलीय जीतकर आएंगे जिनके सहयोग से महागठबंधन की सरकार बनना तय है.
अब बात करें एनडीए यानि बीजेपी और जेडीयू की तो यहां कहना गलत न होगा कि बिहार में नीतीश युग समाप्त होने की कगार पर है. यहां नीतीश की नैया केवल और केवल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी की पाल पर टिकी है. यानि अगर जनता पर किसी की बात का कोई असर होता है तो वो केवल पीएम मोदी के भाषण हैं. वे ही नीतीश की नैया पार लगा सकते हैं लेकिन पीएम मोदी की सभाओं में जितनी भीड़ उमड़ रही है, उससे देखते हुए नीतीश की नैया डूबना तय है.
अब गौर करें बिहार की सत्ता पर 15 साल से कायम नीतीश कुमार की तो उनकी करीब करीब हर सभा में प्याज, आलू और टमाटरों की बारिश हो रही है. कई कई जगहों पर काले झंडे भी दिखाए जा रहे हैं और ऐसा करने वाले कांग्रेस और आरजेडी के कार्यकर्ता नहीं बल्कि आम पब्लिक है. सूचना तो यहां तक मिली है कि कई इलाकों में सड़कों की मांग को लेकर चुनावों का बायकॉट किया गया है. हालांकि पीएम मोदी की गुरुवार तक 12 चुनावी रैलियां हो चुकी होंगी लेकिन उसके बाद भी जीत हाथ आए, ऐसा दूर की कोड़ी साबित होने वाला है.
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इधर, राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की सभाओं ने समां बांध दिया है. राहुल गांधी जहां कोरोना, लॉकडाउन, मजदूरों की स्थिति और रोजगार को लेकर केंद्र सरकार को घेर रहे हैं, वहीं तेजस्वी स्थानीय विकास, बिहारी, रोजगार जैसे मुद्दों को लेकर नीतीश सरकार पर जबरदस्त हमला कर रहे हैं. तेजस्वी का हाल तो ये है कि एक दिन में 6 से 8 सभाएं हो रही हैं, जो उनकी मेहनत साफ दिखा रहा है.
न्यूज़ ब्रीथ के अनुसार, महागठबंधन और एनडीए में मुकाबला कांटे का रहने वाला है लेकिन विजयश्री महागठबंधन के हाथ लगेगी. हिंदुस्तान आवाम मोर्चा के जीतनराम मांझी और वीआईपी के मुकेश सहनी खुद की सीटें निकाल लें, वही बहुत बड़ी बात होगी. 115 सीटों पर जेडीयू और 110 सीटों पर बीजेपी चुनाव लड़ रही है. यहां नीतीश कुमार की झोली में 30 से 35 सीटें आ रही हैं. वहीं बीजेपी के पास 60 से 70 सीटें आएंगी. कुल मिलाकर एनडीए की सीटें 100 के अंदर अंदर रहेंगी.
वहीं चिराग पासवान और पप्पू यादव की पार्टियां 10 से 12 सीटों पर कब्जा जमा पाएंगी. चिराग की पार्टी एलजेपी के खाते में 6 से 8 और पप्पू यादव की जाप के खाते में तीन से चार सीटें आएंगे जिसमें पप्पू यादव की खुद की सीट भी शामिल है. थर्ड फ्रंट के खाते में भी 10 से 12 सीटें बमुश्किल आ रही हैं. बसपा का खाता खुलना इस बार भी मुश्किल है. वहीं रालोसपा में उपेंद्र कुशवाहा अपनी सीट बचाने में सफल हो सकते हैं. यहां थर्ड फ्रंट की लाज ओवैसी बचा सकते हैं जिनकी पार्टी के 4 से 5 उम्मीदवार जीत दर्ज कर विधानसभा पहुंचेंगे. यानि कुल मिलाकर तेजस्वी यादव के सिर पर मुख्यमंत्री का ताज सजना तय है. कांग्रेस की ओर से उप मुख्यमंत्री बनना भी तय है.
हां, अगर महागठबंधन के खाते में 115 के करीब सीटें आती है यानि बहुमत से 7 से 8 सीटें कम तो निर्दलीय या पप्पू यादव के समर्थन से सरकार बनना तय है. ऐसी स्थिति में साल या डेढ़ साल बाद आॅपरेशन लोट्स चलाकर बीजेपी एनडीए की सरकार बना सकती है. ऐसी स्थिति में मुख्यमंत्री नीतीश नहीं बल्कि बीजेपी का कोई नेता बनेगा. जहां तक अनुमान है, अगर वक्त का पहिया उल्टी दिशा में घूमता है तो सुशील मोदी फिर से उप मुख्यमंत्री बन सकते हैं. यहां चिराग पासवान की पार्टी फिर से एनडीए में शामिल हो जाएगी और उन्हें अहम पद मिल सकता है.