प्रधानमंत्री मोदी देने जा रहे सवर्णों को 10 प्रतिशत आरक्षण की लॉलीपॉप
हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनावों में राजस्थान सहित तीन राज्यों की सत्ता खोने के बाद लोकसभा चुनावों में वापसी की तैयारी में लगी केन्द्र की भाजपा सरकार देश की जनता को एक और लॉलीपॉप चुसाने की तैयारी में है। इस बार इस रसीली लॉलीपॉप का ब्रांड नेम है आरक्षण। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित केन्द्र सरकार ने सवर्णों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने का फैसला किया है। एससी-एसटी एक्ट से नाराज सवर्णों को लुभाने के लिए भाजपा सरकार ने लोकसभा चुनावों से पहले यह बड़ा दांव खेला हैै। इस आरक्षण को चुनावी अमली जामा पहनाने के लिए इसे आर्थिक आधार पर खड़ा किया गया है। यानि इस आरक्षण श्रेणी में उन्हीं लोगों को शामिल किया जाएगा जिनकी सालाना आय 8 लाख रुपए से कम हो।
अभी तक संविधान में आर्थिक आधार पर आरक्षण को लेकर कोई प्रावधान नहीं है। सु्प्रीम कोर्ट भी 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण को मांग को ठुकरा चुकी है। ऐसे में संविधान में संशोधन की मांग का प्रस्ताव लोकसभा व राज्यसभा सदन में संविधान संशोधन बिल पास कराए जाने की तैयारी है। वर्तमान में देश में 49.5 फीसदी आरक्षण है जिसमें एससी को 15, एसटी को 7.5 और ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण मिला हुआ है। इस नए 10 प्रतिशत में ब्रह्मण, मुस्लिम, सिख और ईसाई जाति शामिल होंगी। संविधान में संशोधन कर अनुच्छेद 15, 16 में इसे जोड़ा जाएगा।
आरक्षण के लिए 5 मुख्य मापदंड
- परिवार की सालाना आय 8 लाख रुपए से अधिक नहीं होनी चाहिए।
- परिवार के पास 5 एकड़ से अधिक कृषि भूमि नहीं होनी चाहिए।
- आवेदक के पास एक हजार वर्ग फीट से बड़ा फ्लैट नहीं होना चाहिए।
- म्यूनिसिपलिटी एरिया में 100 गज से बड़ा घर न हो।
- नॉन नोटिफाइड म्यूनिसिपलिटी में 200 गज से बड़ा घर नहीं होना चाहिए।
आरक्षण का बिल पास कराने के लिए ही सदन का सत्र एक दिन के लिए यानि बुधवार तक बढ़ाया गया है। कल शाम तक यह बात साफ हो जाएगी कि यह बिल आएगा या नहीं। लोकसभा में बहुमत और सांसदों की संख्या को देखते हुए बिल पास होने में दिक्कत नहीं आएगी लेकिन राज्यसभा में विपक्ष व अन्य दलों के सदस्यों की संख्या ज्यादा होने के चलते यह बिल वहां अटक सकता है। इससे पहले भी सवर्ण आरक्षण बिल दो बार पास हो चुका है लेकिन सुप्रीम कोर्ट में चुनौती के बाद अटक गया।