राजस्थान विश्वविद्यायल छात्रसंघ चुनावः निहारिका का प्रचार जोरदार लेकिन टिकटों की दौड़ में रितु बराला आगे

एनएसयूआई से कई बड़े नाम आ रहे सामने, निर्दलीय लड़ने से संगठन को होगा नुकसान, एबीवीपी से नरेंद्र यादव सबसे आगे

NewsBreathe: राजस्थान विश्वविद्यायल छात्रसंघ चुनाव की तारीख तय हो चुकी है। आरयू चुनाव 26 अगस्त को होने हैं। जयपुर की सड़कों और विश्वविद्यालय की दीवारें चुनावी पोस्टरों से अटी पड़ी है। इस बार अखिल भारतीय विद्यार्थी संघ (ABVP) से कोई बड़ा नाम सामने नहीं आ रहा है लेकिन नेशनल स्टूडेंट यूनियन आॅफ इंडिया (NSUI) की ओर से आधा दर्जन नाम सामने आ रहा है। सबसे पहले पायदान पर एनएसयूआई की निहारिका जोरवाल है जिन्होंने एक चुनावी तारीखों के तय होने से पहले ही अपना प्रचार शुरु कर दिया है। निहारिका अध्यक्ष पद की दावेदारी कर रही हैं। निहारिका राजस्थान के कृषि विपणन राज्य मंत्री मुरारी मीणा की बेटी हैं।

दूसरे नंबर पर महारानी काॅलेज की पूर्व अध्यक्षा रितु बराला हैं जो निहारिका की तरह की अध्यक्ष पद की दावेदारी कर रही हैं। उनका चुनावी प्रचार भी काफी भारी स्तर पर किया जा रहा है। चूंकि रितु महारानी काॅलेज की अध्यक्ष रह चुकी हैं और पिछले 5 सालों से एनएसयूआई में सक्रिय रही हैं, ऐसे में उनकी पहुंच एनएसयूआई के प्रदेशाध्यक्ष अभिषेक चौधरी से काफी अच्छी है। ऐसे में न्यूज़ ब्रीथ का आंकलन यही है कि एनएसयूआई रितु बराला को अध्यक्ष पद का टिकट थमा सकती है।

एनएसयूआई की ओर से संजय चौधरी, राजेंद्र गोरा, राहुल महला और महेश चैधरी भी टिकट की दावेदारी पेश कर रहे हैं। चूंकि पिछली बार पूजा वर्मा ने निर्दलीय प्रत्याशी अध्यक्ष पद पर जीत हासिल की थी। इसे देखते हुए एनएसयूआई का महिला प्रत्याशी को टिकट देना तो एकदम पक्का है। इसमें रितु बराला का नाम सबसे आगे चल रहा है। अगर ऐसा होता है तो निहारिका जोरवाल और संजय चौधरी निर्दलीय चुनावी मैदान में उतर सकते हैं जिनसे रितु का सफर आसान नहीं होगा।

एबीवीपी की ओर से देखा जाए तो कोई बड़ा नाम सामने नहीं आ रहा, लेकिन टिकट की दौड़ में नरेंद्र यादव का नाम सबसे आगे है। वे एक संगठन के एक सक्रिय कार्यकर्ता के तौर पर काम कर रहे हैं। हाल में 100 फीसदी प्रवेश की मांग को लेकर वे पानी की टंकी पर चढ़ गए थे। ऐसे में उनका नाम छात्रों के बीच में आम हो चला है। इधर, राहुल मीणा (नाहरला) और डेनपाल सिंह दिवराला का नाम भी सामने आ रहा है। हालांकि नरेंद्र यादव को टिकट मिलना करीब करीब पक्का है।

हालांकि राजस्थान यूनिवर्सिटी चुनावों का इतिहास एनएसयूआई की मुसीबतों को बढ़ाने का काम कर रहा है। राज्य में जब जिसकी सरकार रही है, उस संगठन को अभी तक छात्रसंघ चुनावों में जीत नहीं मिली है। चूंकि एनएसयूआई संगठन कांग्रेस समर्थित है तो यहां इतिहास बदलना होगा। पिछले चार चुनावों में निर्दलीय को जीत मिली है। ऐसे में एबीवीपी का राह भी आसान नहीं है।

यह सर्च रिपोर्ट पत्रकार राहुल जैमन ने तैयार की है। पत्रकार महोदय राजनीति पत्रकारिता में सक्रिय भूमिका में कार्य कर चुके हैं।