एकदम सटीक रहा न्यूज़ ब्रीथ का अंदाजाः रितु बराला और नरेंद्र यादव को मिला टिकट
एनएसयूआई की निहारिका जोरवाल और संजय चौधरी का निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान, एबीवीपी की राह साफ, निर्मल चौधरी भी मैदान में उतरे
NewsBreathe। पत्रकार राहुल जैमन द्वारा न्यूज़ ब्रीथ को दिया गया राजस्थान विश्वविद्यालय चुनावी टिकट का आंकलन 100 फीसदी सटीक रहा। न्यूज़ ब्रीथ में छपी एक खबर में ये पहले ही बता दिया गया था कि एनएसयूआई की निहारिका जोरवाल और रितु बराला में टिकट को लेकर कड़ी टक्कर है लेकिन महारानी काॅलेज की पूर्व अध्यक्ष रह चुकी रितु बराला का नाम टिकट की दौड़ में आगे रहने वाला है और उन्हें टिकट मिलने की संभावना अधिक है। इसी तरह, प्रवेश मांग को लेकर टंकी पर चढ़ने वाले नरेंद्र यादव को एबीवीपी की ओर से टिकट देने का अंदाज भी एकदम सटीक रहा है। राजस्थान विश्वविद्यायल छात्रसंघ चुनाव 26 अगस्त को होने हैं।
एनएसयूआई और एबीवीपी दोनों ने अध्यक्ष पद के लिए अपने अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है। एनएसयूआई की ओर से रितु बराला और एबीवीपी की तरफ से नरेंद्र यादव को टिकट दिया गया है। टिकटों की घोषणा होते ही निहारिका जोरवाल ने संगठन प्रदेशाध्यक्ष अभिषेक चौधरी पर जातिवाद जबकि संजय चौधरी और राजेंद्र गोरा ने भेदभाव का आरोप लगाया। इन तीनों प्रत्याशियों ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। इससे पहले निहारिका ने विश्वविद्यालय गेट पर धरना दिया और रोते हुए चुनाव लड़ने का ऐलान किया। इनके अलावा, महेश चौधरी ने भी निर्दलीय चुनाव लड़ने की बात कही है। टिकट की दावेदारी पेश कर रहे राहुल महला का अभी तक कोई बयान सामने नहीं आया है।
इधर, एबीवीपी ने नरेंद्र यादव को अध्यक्ष पद का टिकट थमाया है। इसके बाद दावेदारी पेश कर रहे राहुल मीणा (नाहरला) और डेनपाल सिंह दिवराला निर्दलीय चुनावी रण में उतर सकते हैं। ABVP और NSUI दोनों से ही अलग निर्मल चौधरी भी निर्दलीय के रूप में ताल ठोक रहे हैं। वे कैम्पस में लगातार शक्ति प्रदर्शन करते देखे जा रहे हैं और लगातार 5वीं बार निर्दलीय अध्यक्ष बनने का दावा कर रहे हैं। निर्मल चौधरी एनएसयूआई के पूर्व अध्यक्ष अभिमन्यू पूनियां के करीबी हैं।
हालांकि इस बार मुख्य मुकाबला एबीवीपी और एनएसयूआई में न होकर रितु बराला और निहारिका जोरवाल में ही है। अब अगर संजय चौधरी भी मैदान में उतर जाते हैं तो एबीवीपी की राह आसान दिख रही है। इसके बावजूद रितु बराला को महारानी काॅलेज से काफी समर्थन हासिल है और वे एक जाना पहचाना चेहरा हैं। ऐसे में उनकी उपस्थिति को हलके में आंकना सही नहीं है। वहीं दूसरी ओर, निहारिका जोरवाल चुनावी तारीख से पहले ही रैली एवं प्रचार कार्यों से काफी पाॅपुलर हो चुकी है। अब देखा जाए तो रितु के रास्ते में निहारिका का जोर ही एनएसयूआई की परेशानी बनता दिख रहा है।
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