अध्यक्ष पद से कम कुछ नहीं, संगठन को परिणाम भुगतने होंगे: राजेन्द्र गोरा
NewsBreathe। “हो चुका है आगाज, राण का युग बदलने की तैयारी है। इतिहास वही बनाएगा, जिसका संघर्ष जारी है।।” यह मानना है राजेन्द्र गोरा का, जो राजस्थान विश्वविद्यालय के छात्र संघ चुनावों में अध्यक्ष पद के लिए चुनावी मैदान में उतार चुके है। राजेन्द्र गोरा एनएसयूआई के सक्रिय कार्यकर्ता रहे हैं और अध्यक्ष पद पर टिकट की मांग कर रहे थे लेकिन संगठन ने टिकट रितु बराला को थमा दिया। उसके बाद राजेन्द्र गोरा ने निर्दलीय ताल ठोकने की तैयारी कर ली है।
फोन पर की गई एक खास बातचीत में राजेन्द्र गोरा ने कहा कि वे पिछले कई सालों से छात्र हितों के लिए संगठन में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं लेकिन ऐन मौके पर NSUI ने उनका टिकट काटकर किसी ओर को पकड़ा दिया है जिसका भुगतान उन्हें चुनाव में हारकर करना होगा।
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जब राजेन्द्र गोरा से ये पूछा गया कि अगर संगठन उन्हें महासचिव या उपाध्यक्ष का टिकट देने की पेशकश करता है तो क्या वे संगठन के साथ जाएंगे तो उन्होंने साफ मना कर दिया। राजेन्द्र गोरा ने कहा कि अध्यक्ष पद से अब कुछ कम नहीं और अब जो होगा, देखा जाएगा। गोरा ने कहा कि संगठन ने योग्य व्यक्ति और कार्य कर्ताओं की अनदेखी की है जिसका परिणाम संगठन को भुगतना पड़ेगा।
सीकर जिले की धोद विधानसभा का चंदपुरा गांव से आने वाले छात्र नेता राजेन्द्र गोरा ने ये भी कहा कि ऐसे लोग जो किसी भी संगठन से हो, जो कभी छात्रों के बीच गए ही न हों, उनकी परेशानी को कभी समझे ही नहीं हो, कैसे जीतने का दम भर सकते हैं। गोरा का कहना है कि उन्होंने पिछले कई सालों से छात्र हितों के लिए संघर्ष किया है, जिसके चलते बतौर निर्दलीय प्रतियाशी उन्हें जीत भी मिली। यही उन्हें आगे भी सफलता दिलायेगा।
याद दिला दें कि राजेन्द्र गोरा ने नव प्रवेश करने वाले छात्रों और प्रवेश प्रक्रिया के लिए कैम्पेन भी चला रखा है और सहायता के लिए हेल्पलाइन नम्बर भी जारी किया हुआ है। इससे पहले उन्होंने महाराजा महाविद्यालय और ग़ोख़ले छात्रावास परिसर की भूमि अधिग्रहण के विरोध में राजस्थान विश्वविद्यालय के मुख्य द्वार पर NSUI द्वारा विश्वविद्यालय के विभागों में हस्ताक्षर अभियान चलाया और धरने पर भी बैठे थे। छात्रों में उनकी पकड़ मजबूत मानी जा रही है। ऐसे भी राजेन्द्र गोरा को किसी भी तरह से कम आंकना NSUI, ABVP और अन्य को भारी पड़ सकता है।