क्या सरकार इतनी कमजोर है कि गुर्जरों की गुंडागर्दी तक को न रोक सके!

-लगता है कांग्रेस को कहीं भी सुकून नहीं मिल रहा। न विपक्ष में रहकर और न ही सत्ता में रहकर, इसलिए ही तो सत्ता मिलते ही पहले राजस्थान को स्वाइन फ्लू ने अपनी गिरफ्त में ले लिया और अब गुर्जरों ने अपने आंदोलन से सरकार की नींदें हराम कर रखी है। गुर्जरों ने 5 प्रतिशत आरक्षण के लिए पिछले 15 सालों से आंदोलन चला रखा है। अपनी मांगों के लिए आवाज उठाना सही है लेकिन यह भी पूरी तरह सच है कि आंदोलन के नाम पर गुर्जरों ने सरेआज गुंडाकर्दी भी कर रखी है। ट्रेन व सड़क मार्ग बाधित करना, ​पुलिस वाहनों को आग लगा देना और आवागमन बाधित करना एक तरह से सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने जैसा है। ट्रेन व सड़क मार्ग बाधित होने से पिछले 6 दिनों में करोड़ो-अरबो रुप्ए का नुकसान हो चुका है लेकिन सरकार कुछ नहीं कर पा रही। एक तरह से कहा जाए तो इस गुंडागर्दी को रोक तक नहीं पा रही। पूरी पुलिस और आर्मी होने के बावजूद आवागमन शुरू नहीं हो पा रहा। इससे पहले एससी-एसटी एक्ट के चक्कर में जबरदस्ती भारत बंद का आव्हान किया गया था जिसे कई राजनीतिक पार्टियों ने मिलकर सफल बनाया था। उस दौरान जमकर तोड़फोड़ और हिंसक घटनाओं को अंजाम दिया गया था। उसके बाद भी न कोई केस और न ही कोई एक्शन। तो क्या यूं कहा जाए कि हमारी सरकार जिसे जनता की आवाज कहा जाता है, वह इन चंद गुंड़ागर्दी कर रहे लोगों के आगे घुटने टेक देती है।

ऐसा नहीं है कि सत्ताधारी पार्टी केवल अपने निजी स्वार्थों के चलते इस बात को मनवा नहीं सकती बल्कि सच तो यह है कि विपक्ष भी इस मुद्दे को आगे तक खिंचना चाहता है। यही वजह है कि आज राजस्थान विधानसभा में गुर्जर आरक्षण विधेयक पूर्ण बहुमत से पारित हो गया। मतलब साफ है कि इस मुद्दे पर दोनों पार्टियां एकमत है। यह इसलिए नहीं है कि राज्य की जनता परेशान हो रही है बल्कि इसलिए है कि अगले 3 महीनों में लोकसभा चुनाव है और उसमें 25 सीटों पर धमासान होना है। प्रदेश में गुर्जरों की संख्या को देखते हुए कोई मुसीबत मोल लेना नहीें चाहता। कुछ ऐसा ही मोदी सरकार ने भी सवर्ण आरक्षण पारित कर किया है जबकि इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही मना कर दिया था।

अब गुर्जर आरक्षण विधयेक पास हो चुका है, उसके बाद भी गुर्जर अपनी जगह से हटने को तैयार नहीं। वजह है गुर्जर चाहते हैं कि इस बार उनका आरक्षण का फैसला पूरे विधि विधान से हो। सही भी है लेकिन जो जाति या लोग पूरी सरकार को हिला दे, उसे आरक्षण चाहिए, हमारी नजर में तो सही नहीं है। खैर सरकार है भई जिसे हमने खुद चुना है। पहले एससी-एसटी का भारत बंद, उसके बाद पिछले साल हुआ फिल्म पद्मावत पर राजपूत विवाद और अब गुर्जरों की सरेआम गुंड़ागर्दी जिसे सरकार नियंत्रित नहीं कर पा रही है। कहीं ऐसा न हो कि भविष्य में अपनी बात मनवाने के लिए केवल ट्रेन रोकने और बसों को आग लगाने के अलावा कोई अन्य विकल्प ही शेष न रहे।

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