प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फिर की मन की बात, लाइक से ज्यादा मिले डिसलाइक
- किसान संबंधी बिलों को बताया अन्नदाताओं के लिए फायदे का सौदा, कोरोना काल में हेल्थ प्रोटोकॉल फोलो करने की देशवासियों से की अपील, गांधी, शास्त्री, जेपी और राजमाता सिंधिया को किया याद
NewsBreathe/Team. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को 69वीं बार अपने मन की बात देशवासियों से की. लेकिन आज हुई मन की बात को लगता है वो रेंसपोंस नहीं मिला जो पहले मिला करता था. देशवासियों और खासकर युवाओं की नाराजगी से इनकार तो नहीं किया जा सकता. इसका अच्छा खास उदाहरण इस बात से ही मिल जाता है कि उनकी मन की बात वीडियो जिसे बीजेपी के पेज से लाइव किया गया था, उस पर लाइक से ज्यादा डिसलाइक हैं. इस वीडियो पर केवल 6 हजार के करीब लाइक हैं लेकिन 12 हजार से अधिक डिसलाइक हैं जो करीब करीब दोगुना है. कम लाइक और उससे भी ज्यादा डिसलाइक मोदी जी की घटती पॉपुलर्टी को बताते हैं.
मन की बात में पीएम मोदी ने कृषि बिलों का जिक्र करते हुए इसे अन्नदाता के लिए हितकारी बताया. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि किसान बिलों से किसान मजबूत होंगे और आत्मनिर्भर भारत की नींव मजबूत होगी. पीएम मोदी ने कहा कि गेहूं, धान, गन्ना या किसी भी फसल को जहां मर्जी हो, वहां बेचने की ताकत किसानों को मिल गई है. पुणे, मुंबई में किसान साप्ताहिक बाजार खुद चला रहे हैं. इसका सीधा लाभ होता है. जहां अच्छे दाम मिलेंगे, किसान वहीं फल-सब्जियां बेचेगा.
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि मुझे कई किसानों, संगठनों की चिट्ठियां मिलती हैं कि खेती में कैसे बदलाव आ रहे हैं? हरियाणा के किसान कंवर चौहान ने बताया कि उन्हें मंडियों से बाहर फल-सब्जी बेचने में दिक्कत आती थी, गाड़ियां जब्त हो जाती थीं. 2014 में एपीएमसी एक्ट में बदलाव हुए तो उन्होंने एक समूह बनाया. अब उनकी चीजें फाइव स्टार होटलों में सप्लाई हो रही हैं और ढाई से तीन करोड़ रुपये सालाना कमा रहे हैं. यही ताकत देश के दूसरे किसानों की ताकत है.
अपनी मन की बात में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना और हेल्थ प्रोटोकॉल का पालन करने की भी देशवासियों से अपील की. पीएम मोदी ने कहा कि कोरोना काल में मास्क जरूर पहनें, दो गज की दूरी रखें. यह आपको और परिवार को बचाएगा. हम यह न भूलें कि जब तक दवाई नहीं, तब तक ढिलाई नहीं.
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पीएम मोदी ने आगे कहा कि कोरोना के कालखंड में दो गज की दूरी जरूरी बन गई है. इस दौरान कई परिवारों को दिक्कतें भी आईं. परिवार के बुजुर्गों ने बच्चों को कहानियां सुनाकर समय बिताया. कहानियां संवेदनशील पक्षों को सामने लाती हैं. जब मां बच्चे को खाना खिलाने के लिए कहानी सुनाती है, उसे देखना दिलचस्प होता है. उन्होंने कहा कि पहले घरों में कहानियों की परंपरा खत्म हो गई थी लेकिन कोरोना काल में ये परंपरा आगे बढ़ रही है. हमारे यहां तो हितोपदेश, पंचतंत्र जैसी कहानियों की परंपरा रही है. दक्षिण भारत में ही ऐसी परंपरा है, जिसे विल्लूपाट कहते हैं. कई लोग इसे आगे बढ़ाने के लिए प्रयास कर रहे हैं.
उन्होंने देशवासियों ने अपील की कि परिवार में हर हफ्ते कहानियों के लिए समय निकालिए. इसके लिए करुणा, वीरता, प्रेम जैसे विषय भी निर्धारित कीजिए. पीएम ने कहा कि मैं हर स्टोरी टेलर से कहना चाहता हूं— हम आजादी का 75वां साल मनाने जा रहे हैं. आजादी से लेकर अब तक की घटनाओं को कहानियों में गढ़ सकते हैं क्या?
मन की बात में प्रधानमंत्री मोदी ने 1919 में जलियांवाला हत्याकांड का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि 28 सितंबर को भगत सिंह की जयंती है. भगत सिंह और उनके साथियों ने जिन कामों को अंजाम दिया, उनका आजादी की लड़ाई में अहम योगदान है. चंद्रशेखर आजाद, राजगुरु, सुखदेव जैसे कई क्रांतिकारियों का एक ही मकसद था, भारत को आजाद कराना. पीएम ने आगे कहा कि हम भले ही भगत सिंह न बन पाएं, लेकिन उनके पदचिह्नों पर चलने की कोशिश कर सकते हैं. प्रधानमंत्री ने कहा कि चार साल पहले सितंबर में भारत ने पीओके में जाकर सर्जिकल स्ट्राइक की थी. हमारे जवानों ने अपने प्राणों की परवाह किए बिना अदम्य साहस का परिचय दिया था.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात में महात्मा गांधी, लाल बहादुर शास्त्री, जयप्रकाश नारायण, नानाजी देशमुख और राजमाता विजयराजे सिंधिया को याद किया. इन सबकी जयंती और जन्मदिन अगले महीने आ रहे हैं. पीएम मोदी ने कहा कि आने वाले महीने में हम कई महान विभूतियों की जयंती मनाएंगे. 2 अक्टूबर को महात्मा गांधी और लालबहादुर शास्त्री की जयंती है. बापू के आर्थिक चिंतन में भारत की नस-नस की समझ थी. उनका जीवन यही बताता है कि हमारा कार्य ऐसा हो कि गरीब से गरीब व्यक्ति का भला हो. शास्त्री जी का जीवन विनम्रता और सादगी का संदेश देता है.
11 अक्टूबर को जयप्रकाश नारायण (जेपी) और नानाजी देशमुख की जयंती है. जब जेपी भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष कर रहे थे, तब पटना में उन पर हमला हुआ, जिसे नानाजी ने अपने ऊपर ले लिया. 12 अक्टूबर को राजमाता विजयाराजे सिंधिया का जन्मदिन है. राजपरिवार से होने के बावजूद उन्होंने अपना जीवन लोगों के लिए समर्पित कर दिया.