Hindi Diwas विशेष: अंग्रेजी को महत्व देने वाले सुनें – ‘हिंदी आज भी सबसे व्यापक सबसे मजबूत है’

स्कूल से लेकर कॉलेज, कॉर्पोरेट सहित अन्य स्थलों पर अंग्रेजी को अधिक प्राथमिकता दी जाती है और हिन्दी पिछड़ जाती है। उसी सोच को बदलने का प्रयास है हिन्दी दिवस

Newsbreathe_news. हमारा भारत देश एक रीति-रिवाजों और संस्कृति से ओतप्रोत एक देश है। यहां की मिट्टी की खुशबू में एक अलग ही बात है। हालांकि बदलते वक्त के साथ हम भी बदल रहे हैं और हमारा देश भी। अब हम पश्चिमी रीति-रिवाजों से बहुत प्रभावित हैं। हम वहां के लोगों की तरह पोशाक पहनना चाहते हैं, उनकी जीवनशैली का पालन करना चाहते हैं, उनकी भाषा बोलना चाहते हैं और हो न हो लेकिन हर चीज़ में उनके जैसा बनना चाहते हैं। इसमें कोई शक नहीं है कि पश्चिमी संस्कृति हमसे काफी अलग है लेकिन हमें ये भी नहीं भूलना चाहिए कि भारतीय सांस्कृतिक विरासत और मूल्य पश्चिम की संस्कृति की तुलना में कहीं अधिक समृद्ध हैं। जिस तरह हमारी संस्कृति समृद्ध है, उतनी ही समृद्ध हमारी हिन्दी भाषा है।

हिन्दी दिवस हमारे सांस्कृतिक जड़ों को फिर से देखने और अपनी समृद्धता का जश्न मनाने का दिन है। हिन्दी हमारी मातृभाषा है और हमें इसका आदर और उसका मूल्य समझना चाहिए। निस्संदेह हमारे देश में हिन्दी सबसे व्यापक रूप से इस्तेमाल की जाने वाली भाषा है। लेकिन इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि वर्तमान में अंग्रेजी के प्रति झुकाव अधिक है है। विद्यालयों और अन्य स्थानों पर भी अंग्रेजी पर भी जोर दिया जा रहा है। वजह है कि कामकाजी स्थलों पर इसी भाषा का इस्तेमाल किया जाता हैै।

किंतु हिन्दी हमारे देश की सबसे व्यापक रूप से बोली जाने वाली भाषा के रूप में कहीं अधिक मजबूत है। देश में हिन्दी बोलने-लिखने-पढ़ने वालों की संख्या अन्य भाषी लोगों से कहीं अधिक है और यह संख्या दिनोदिन बढ़ती जा रही है। राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हरियाणा, उत्तराखंड, बिहार, झारखंड और छत्तीसगढ़ में हिन्दी भाषी लोग बहुतायत में निवास करते हैं। आपको जानकर ताज्जुब होगा कि बिहार देश का पहला राज्य है जिसने अपनी एकमात्र आधिकारिक भाषा के रूप में हिंदी को अपनाया।

हजारी प्रसाद द्विवेदी, काका कालेलकर, मैथिली शरण गुप्त और सेठ गोविन्द दास के साथ-साथ राजेंद्र सिम्हा के प्रयासों की बदौलत 14 सितम्बर, 1949 को भारत गणराज्य की दो आधिकारिक भाषाओं में से एक हिन्दी को अपनाया गया। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 343 के तहत देवनागरी लिपि में लिखी गई हिन्दी को आधिकारिक भाषा के रूप में अपनाने का जिक्र किया गया है।

आंकड़ों के अनुसार, हिन्दी दुनिया की तीसरी व्यापक रूप से बोली जाने वाली भाषा है। भारत के अलावा, नेपाल, पाकिस्तान, मॉरीशस, फिजी, गुयाना और सूरीनाम में भी हिन्दी भाषी लोगों की संख्या अधिक है। हमारे देश में हिन्दी अखबारों की संख्या भी सबसे अधिक है जबकि विश्व में हिन्दी का विकास एवं एक अंतरराष्ट्रीय भाषा के तौर पर प्रचार-प्रसार करने के उद्देश्य से 10 जनवरी को विश्व हिन्दी दिवस भी मनाया जाता है।

भले ही हिन्दी दुनिया की तीसरी व्यापक बोली जाने वाली भाषा है परन्तु इसके मूल देश में लोग इसको महत्व नहीं देते हैं। स्कूल से लेकर कॉलेज, कॉर्पोरेट सहित अन्य स्थलों पर अंग्रेजी को अधिक प्राथमिकता दी जाती है और हिन्दी पिछड़ जाती है। माता-पिता, शिक्षकों और अन्य द्वारा भी लिखित और मौखिक रूप से अंग्रेजी सीखने के महत्व पर जोर देना आम बात है क्योंकि इससे नौकरी हासिल करने में काफी मदद मिलती है। बहुत से लोग सिर्फ इसलिए काम करने का अवसर खो देते हैं क्योंकि वे अंग्रेजी को धाराप्रवाह नहीं बोल पाते भले ही वे काम के बारे में अच्छी जानकारी रखते हों। यही वजह है कि अब सरकारी विद्यालयों और हिन्दी माध्यम वाले विद्यालयों को अब उतना महत्व नहीं दिया जा रहा, जितना दिया जाना चाहिए।

हिन्दी दिवस ऐसे लोगों, उनकी सोच और धारणा को जगाने का प्रयास है। उनमें हिंदी भाषा के लिए सम्मान स्थापित करने का प्रयास है। हमारी उत्कृष्ट और समृद्ध संस्कृति को समझने-समझाने का प्रयास है। यह समय है कि लोगों को इस दिन के महत्व को पहचानना चाहिए क्योंकि यह हमारी राष्ट्रीय भाषा और हमारी सांस्कृतिक आधार को याद करने का दिन है। आइए, हम कुछ ऐसा करें कि साल में केवल एक दिन नहीं, बल्कि हर दिन हिन्दी दिवस मनाने का प्रण करें।