अपनों के साथ मिठास बांटिए लेकिन किसी बेजुबां की जान से खिलवाड़ न करें
मांझे से कटने वाले पक्षियों का दर्द समझें, इन्हें भी जीने का हक है – एक पहल
आज पतंग महोत्सव का अंतिम दिन है। हालांकि मकर संक्रांति का त्योहार कल सेलिब्रेट हो चुका है लेकिन पतंगबाजों का जूनून आज भी छत चढ़कर बोलेगा, इसमें कोई शक नहीं। इसलिए हमारी ‘बेजुबानों का दर्द समझें’ मुहीम आज भी जारी है। चायनीज मांझे से खुद को दूर रखने की हमारी अपील में कई पड़ौसियों सहित अन्य दोस्तों ने साथ दिया, वह सभी धन्यवाद और बधाई के पात्र हैं लेकिन जिन्होंने नहीं दिया, उनसे हम अंतिम बार अपील कर रहे हैं कि मकर संक्रांति के शुभ दिन अपनों के साथ मिठास व प्यार बांटिए लेकिन किसी बेजुबां की जान के साथ खिलवाड़ न करें। चायनीज मांझे से कटने या घायल होने वाले पक्षियों का दर्द समझें क्योंकि इन्हें भी जीने का पूरा अधिकार है। मकर संक्रांति के शुभ मौके पर घायल हुए पक्षिओं की बददुआओं का बोझा अपने सिर न लें। याद रखे कि जानवर और पक्षी मनुष्य के सबसे अच्छे दोस्त होते हैं।
अपील बस इतनी सी है कि चायनीज मांझे का त्याग करें। अगर यह नहीं हो सके तो कृप्या कर चंद घंटों के लिए पतंग की डोर अपने हाथों से त्याग दीजिए। सुबह 6 से 8 बजे और शाम 4 से 6 बजे तक पक्षियों के निकलने और हवा में उड़ने का समय होता है। कृप्या इन 4 घंटों के लिए पतंगबाजी का हुनर अपने पास ही संभाल कर रखें। ध्यान दें कि प्रत्येक मकर संक्रांति पर आपके द्वारा इस्तेमाल चायनीज मांझे से सैंकड़ों पक्षियों की कट कर मौत हो जाती है। News Breath की ‘बेजुबानों का दर्द समझें’ मुहिम का हिस्सा बनें और अपने मानवीय धर्म का पालन करें।
अगर कहीं भी कोई पक्षी घायल अवस्था में दिखें तो हेल्पलाइन नंबर 9828500065, 869127000, 8875310002, 8440000983 या 9887345580 पर सूचना दे सकते हैं।