जीत का कोई मंत्र नहीं है, न ही कोई शाॅर्टकट
बड़े-बुजुर्ग कहकर गए हैं कि जीत का अपना ही एक नशा है। इसका न कोई मंत्र है और न ही कोई शाॅर्टकट। अगर कोई शाॅर्टकट मारना भी चाहे तो वह जीत नहीं बल्कि खुद से किया गया एक छलावा मात्र है। यह कोई फिलाॅस्पी नहीं बल्कि जीवन में सफलता पाने के लिए की गई मेहनत की एक सच्चाई है जो अमिट है। ऐसा ही कुछ कर दिखाया है ब्रिटिश रोवर लुकास हेट्जमन ने, जिन्होंने केवल 18 साल की उम्र में न केवल अकेले अटलांटिक महासागर पार किया बल्कि दुनिया के सबसे युवा रोअर भी बने। खास बात यह है कि लुकास को डिस्लेक्सिया (एक प्रकार की मानसिक बीमारी, जिसमें पढ़ने-लिखने में परेशानी होती है)नामक एक मानसिक बिमारी है। लुकास ने सबसे कम समय में इस चैलेंज को पूरा करने का रिकाॅर्ड भी अपने नाम किया है। उन्होंने 4800 किमी. की यह समुद्री दूरी 59 दिन, 8 घंटे 22 मिनट में रोइंग कर पूरी की है। लुकास ने यह चैलेंज केनेरी आईलैंड-स्पेन से दिसम्बर में शुरू किया था और 13 फरवरी को एंटीगा के इंग्लिश हार्बर में खत्म किया। इस दौरान लुकास ने हर दिन करीब 12 से 14 घंटे तक रोइंग की। लुकास अटलांटिक महासागर को अकेले पार करने वाले पहले आॅस्ट्रियन भी हैं। उनके पिता आॅस्ट्रिया से और मां इटली से हैं।
लुकास ने यह सनक भरा चैलेंज पूरा करने के लिए एक साल पढ़ाई से ब्रेक लिया और इस दौरान उन्होंने रोइंग और सेलिंग की प्रैक्टिस की। इस चैलेंज को पूरा करने के लिए लुकास ने फंड जुटाया और रेस के दौरान केवल फ्रीज्ड, ड्राइट फूड खाया। ऐसा खाना एस्ट्रोनाॅट स्पेस में खाते हैं। रेस के दौरान वह रात में लगभग 5-6 घंटे सोता था।