आखिर क्यूं करते हैं गणपति की सबसे पहले पूजा, जानिए क्या है वजह

हम जब भी घर में कोई शुभ कार्य आरंभ करते हैं या फिर पूजा करते हैं तो सबसे पहले शिव पुत्र गणेशजी की वंदना करते हैं और फिर उसके बाद अन्य भगवानों की अराधना होती है। अगर कोई उद्यापन वगैरह भी करना हो तब भी सबसे पहले गजानन महाराज को याद किया जाता है। आखिर ऐसा क्यों, यह सोचा है कभी। इसके पीछे एक पौराणिक कथा है। असल में गणेशजी को 64 कलाओं का विशेषज्ञ माना गया है।

एक धार्मिक कथा के अनुसार, एक बार गणेश व कार्तिकेय के साथ अन्य देवताओं में श्रेष्ठ होने की होड़ लगी। कोई हल न मिलने पर सभी देवता भगवान शंकर व माता पार्वती के पास गए और निर्णय करने को कहा। शिव ने काफी सोच समझ कर सभी के सामने शर्त रखी कि जो भी देवता समूचे ब्रहमाण का चक्कर लगाकर उनके सामने सबसे पहले उपस्थित होगा, वही देवता श्रेष्ठ होगा।

इतना सुनकर सभी ने शंकर-पार्वतीजी को प्रणाम किया और अपने गंतव्य की ओर तेजी से रवाना हो गए। कार्तिकेय भी अपने मयूर पर सवार होकर श्रेष्ठता की होड़ के लिए निकल पड़े। गणेशजी अपनी सवारी मूषक महाराज पर सवार हुए और अपने माता-पिता के चक्कर लगाने लगे और वहीं उनके चरणों में बैठ गए। जब सभी देवतागण वापिस लौटे तो उन्होंने फिर से वही प्रश्न किया कि हम सभी में श्रेष्ठ कौन। तब पार्वतीजी ने कहा कि सभी देवताओं में गणेशजी श्रेष्ठ हैं।

सभी देवता हैरान थे क्योंकि गणेश तो अपने स्थान से हिले तक नहीं थे, समूची पृथ्वी का चक्कर लगाना तो दूर की बात है। तब शिवजी ने समझाया कि माता-पिता के चरणों में ही पूरा संसार समाया हुआ है। जो भी व्यक्ति अपने माता-पिता की सेवा करे, वह क्या देव क्या दानव सभी में उच्च कोटी और श्रेष्ठ पुरुष माना जाता है।

उसी दिन से गणेशजी को अपनी बुद्धिमता के कारण सभी देवताओं में श्रेष्ठ माना जाने लगा। यही वजह है कि उनकी पूजा सभी देवी देवताओं में सबसे पहले की जाती है।

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