मांझे से कटने वाले पक्षियों का दर्द समझें- एक पहल

पतंगोत्सव की शुरुआत हो चुकी है इसलिए सभी के हाथों में पतंग और मांझा होगा। हम किसी को भी पतंगबाजी के जूनून को अपने अंदर दाबने को नहीं कहेंगे। बस इतना कहेंगे कि मांझे से कटने वाले पक्षियों का दर्द समझें। यह समझें कि ये बेजुबान हैं लेकिन फिर भी जीवित हैं। इस तरह दर्द हमें होता है, उसी तरह इन्हें भी। आपके पेच काटने वाले चायनिज मांझे से पेच के साथ इन मासूमों की जान की डोर भी कट सकती है।

यह दर्द बिलकुल वैसा ही है जैसा कोई हमारे घर के किसी परिवार का। लोग जानते हैं कि इस तरह के मांझे से बेजुबां पक्षी घायल या फिर मर भी सकते हैं लेकिन फिर भी ऐसा करते हैं जिसमें सैंकड़ों पक्षियों की जान तक चली जाती है।

इसलिए हमारी मुहिम में भागीदार बनें और इस संक्रांति पर चायनीज और तेज धार वाले मांझे का इस्तेमाल नहीं करने का प्रण लें। इसके साथ ही सुबह 6 से 8 और शाम 4 से 6 पतंगबाजी को बंद करने का कष्ट करें। यह समय पक्षियों के बाहर निकलने और घर वापसी का होता है।

हमारी मुहिम में साझीदार बने और अपने घर में भी इसे लेकर जागरूकता फैलाएं। आपका एक कदम क्या पता किसी एक पक्षी का जीवन बचा ले और उसकी दुआ आपका भविष्य बदल दे।
अगर कहीं भी कोई पक्षी घायल अवस्था में दिखें तो हेल्पलाइन नंबर 9828500065, 869127000, 8875310002, 8440000983 या 9887345580 पर सूचना दे सकते हैं।

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