वैभव गहलोत जालोर-सिरोही में रोक पाएंगे बीजेपी का विजयी रथ!
पिछले चार चुनावों से यह सीट बीजेपी के कब्जे में, देवजी पटेल लगा चुके हैं जीत की हैट्रिक, बीजेपी के लुंबाराम के साथ राजेंद्र गुढ़ा और लाल डायरी से भी पार पाना होगा वैभव गहलोत को
राजस्थान की 25 में से एक जालोर-सिरोही संसदीय क्षेत्र एक हॉट सीट बनती जा रही है. पिछले बार जोधपुर लोकसभा सीट से गजेंद्र सिंह शेखावत के सामने हारने के बाद ‘राजनीति के जादूगर’ अशोक गहलोत के सुपुत्र वैभव गहलोत को इस बार जालोर-सिरोही लोकसभा सीट से मौका दिया गया है. यह भारतीय जनता पार्टी की एक मजबूत सीट मानी जाती है. यहां बीते चार चुनावों से बीजेपी जीतती आई है. हालांकि, बीजेपी ने इस बार अपने तीन बार के सांसद देवजी पटेल का टिकट काटकर लुंबाराम को मैदान में उतारा है. वहीं गहलोत सरकार मंत्री रहे राजेंद्र गुढ़ा का वैभव गहलोत के विरूद्ध प्रचार करना भी कांग्रेस को भारी पड़ता नजर आ रहा है.
पिछले लोकसभा चुनाव में वैभव गहलोत ने जोधपुर संसदीय सीट से चुनाव लड़ा था. उन्हें बीजेपी के गजेंद्र सिंह शेखावत ने जोधपुर लोकसभा सीट पर 2,74,440 वोटों के बड़े अंतर से हराया था. ऐसा तब हुआ था जब राज्य में कांग्रेस की सरकार थी और अशोक गहलोत खुद सीएम थे. कांग्रेस ने वैभव गहलोत को दूसरी बार टिकट दिया है. ऐसे में अगर वैभव गहलोत को अपना राजनीतिक सफर जारी रखना है तो उन्हें हर हाल में इस बार जालौर से चुनाव जीतना होगा. 2019 में मोदी लहर के बीच कांग्रेस ने यहाँ से रतन देवासी को टिकट दिया था, लेकिन उन्हें बीजेपी के देवाजी पटेल ने बड़ी हार का स्वाद चखाया.
बाहरी का मुद्दा पकड़ रहा तूल
मूल रूप से जोधपुर लोकसभा क्षेत्र के निवासी वैभव गहलोत के सामने जालौर-सिरोही लोकसभा सीट पर सबसे बड़ी चुनौती उनका बाहरी होना माना जा रहा है. एक तरफ जहां बीजेपी इसे बड़ा मुद्दा बना रही है तो वहीं कांग्रेस का एक तबका भी वैभव गहलोत के जालौर से चुनाव लड़ने से काफी खफा है. इसका खामियाजा उन्हें इस चुनाव में उठाना पड़ सकता है. हालांकि, कांग्रेस हर परिस्थिति में डैमेज कंट्रोल में लगी हुई है.
राजेंद्र गुढ़ा बिगाड़ेंगे खेल
लोकसभा चुनाव-2024 के बीच सियासी अदावत भी अब खुलकर सामने है. लाल डायरी प्रकरण से देशभर में चर्चित और कभी गहलोत सरकार में मंत्री रहे राजेंद्र गुढ़ा के जालोर-सिरोही से चुनाव लड़ रहे वैभव गहलोत के खिलाफ प्रचार करने की खबरें आ रही हैं. गुढ़ा ने विधानसभा चुनाव बतौर शिवसेना उम्मीदवार लड़ा था. गुढ़ा ने विस चुनाव के समय कांग्रेस के खिलाफ जमकर जहर उगला था और विपक्ष ने उसका फायदा उठाया था. ऐसे में विधानसभा चुनाव का कर्ज चुकाने के लिए अब वह पूरी ताकत से जालोर-सिरोही में प्रचार करेंगे. लिहाजा, जिस राजपूत समाज के वोट की कांग्रेस उम्मीद कर रही है, उसका बड़ा तबका राजेंद्र गुढ़ा की वजह से बीजेपी के पक्ष में जा सकता है.
जालोर-सिरोही का गणित
पिछले लोकसभा चुनाव में यहां से बीजेपी के उम्मीदवार देवजी एम. पटेल की जीत हुई थी. उन्होंने कांग्रेस के रतन देवासी को 2.61 लाख वोटों से हराया था. देवजी पटेल ने 2014 में कांग्रेस के उदय लाल आंजना को 3.81 लाख और 2009 में कांग्रेस की संध्या चौधरी को करीब 80 हजार वोटों से हराया था. 2004 में बीजेपी की सुशीला बांगरू ने कांग्रेस के सरदार बूटा सिंह को करीब 49 हजार वोटों से मात दी थी. उसके बाद से अब तक देवजी पटेल ही यहां से सांसद रहे हैं. बात करें विधानसभा आंकड़ों की तो इस लोकसभा में जालोर जिले की 5 और सिरोही जिले की 3 विधानसभा सीटें हैं. इनमें से कांग्रेस और बीजेपी दोनों के पास चार-चार सीटें हैं.
जातिगत समीकरण
जालोर-सिरोही संसदीय सीट पर ओबीसी मतदाताओं की संख्या 45 प्रतिशत हैं. 80 हज़ार से अधिक माली मतदाता हैं, जिन्हें रिझाने की कोशिश कांग्रेस कर रही है. रावणा राजपूत, रहबारी, बिश्नोई, भौमिया राजपूत, चौधरी, ब्राह्मण या कलबी जैसी जातियों के मतदाताओं के साथ ही एससी एसटी और मुस्लिम मतदाताओं की संख्या करीब सात लाख है. एससी-एसटी और मुस्लिम वोटर्स को कांग्रेस का वोटर तो माना जाता है लेकिन पिछले कुछ चुनावों से वे भी पार्टी से दूर हैं. ऐसे में कांग्रेस उन्हें लुभाने की कोशिश में है.
बीजेपी यहां कमजोर नहीं दिख रही है. हालांकि लुंबाराम पूरी तरह से मोदी के नाम पर चुनाव लड़ रहे हैं. ऐसे में वैभव गहलोत का राजनीतिक करियर पूरी तरह से अब अशोक गहलोत के कंधों पर है. ‘जादूगर’ अशोक गहलोत अपने राजनीतिक कौशल से किसी भी वर्ग को लुभा सकते हैं. अगर ऐसा होता है तो लुंबाराम के सामने वैभव गहलोत परेशानी खड़ी कर सकते हैं.