देश में पहली बार: गुलाबी नगर में अंगदाता स्मारक का उद्घाटन, बोले मुख्यमंत्री- अंगदान करते हुए धरती पर ही मिल जाता है स्वर्ग
- जयपुर के सेंट्रल पार्क के नजदीक स्थित है स्मारक, मोहन फाउंडेशन जयपुर सिटीजन फोरम के संस्थापक राजीव अरोड़ा ने कार्यक्रम के बारे में दी जानकारी, प्रेरणास्थल के तौर पर जाना जाएगा अंगदाता स्मारक
NewsBreatheTeam. अंतरराष्ट्रीय अंगदान दिवस के अवसर पर जयपुर में देश के पहले अंगदान स्मारक का उद्धाटन हुआ. सेंट्रल पार्क के नजदीक स्थित इस स्मारक का उद्धाटन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने किया. इस मौके पर सीएम गहलोत ने कहा कि लोगों में ये गलतफहमी है कि अंगदान करने वाले को मोक्ष नहीं मिलता, उसे तो अंगदान करते ही इस धरती पर ही स्वर्ग मिल जाता है क्योंकि उस एक व्यक्ति के अंगदान करने से 9 लोगों को नया जीवन मिलता है. सीएम गहलोत ने कहा कि आज भारत में केवल देश में तमिलनाडु के बाद राजस्थान दूसरा प्रदेश है, जहां सबसे ज्यादा अंगदान होते हैं और ये उत्तर भारत में पहले स्थान पर है. ये हमारी एक शुरूआत है. अब इसके लिए हमें ज्यादा से ज्यादा लोगों को जागरूक करना होगा.
फाउंडेशन जयपुर सिटीजन फोरम नवजीवन (एमजेसीएफ) द्वारा यह स्मारक स्थापित किया गया है, जो कि नगर निगम द्वारा स्वीकृत है तथा सेंट्रल पार्क के एक कोने में डीजी हाउस के सामने निर्मित हुआ है. वर्चुअल उद्घाटन कार्यक्रम में कार्यक्रम अध्यक्ष नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल, विशिष्ठ अतिथि चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा के साथ जयपुर ग्रेटर की महापौर डॉ.सौम्या गुर्जर भी मौजूद रहे.
मोहन फाउंडेशन जयपुर सिटीजन फोरम के संस्थापक अध्यक्ष राजीव अरोड़ा ने बताया कि अंगदान स्मारक ‘एक खामोशी-अनेक मुस्कान, आओ करें अंगदान’ के रूप में जन मानस में अंगदान हेतु हमेशा प्रेरणा स्त्रोत रहेगा व सतत रूप से मरन्नासन पीड़ितों को अंगदान द्वारा नवजीवन की प्रेरणा प्रदान करेगा. राजीव अरोड़ा ने बताया कि ‘एक खामोशी अनेक मुस्कान-आओ करें अंगदान’ की थीम के तहत अब तक अनेक लोगों द्वारा अंगदान किया जा चुका है. अंगदान करने वालों की स्मृति में स्मारक के निर्माण से लोगों को अंगदान करने के लिए आगे आने की प्रेरणा मिलेगी, साथ ही अंगदान से जरूरतमंद लोगों को विशेष रूप से पीड़ित व्यक्तियों को नवजीवन मिलने का भी मार्ग प्रशस्त होगा.
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अरोड़ा के मुताबिक अंगदाताओं की स्मृति में देश के इस पहले के स्मारक उद्घाटन हेतु मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पूर्व राज्यसभा सांसद प्रभा ठाकुर, भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा, चिकित्सा मन्त्री रघु शर्मा, पूर्व चिकित्सा मन्त्री राजेंद्र राठौड़, सांसद दिया कुमारी व फिल्म अभिनेत्री ईशा देओल सहित विविध क्षेत्रों की अनेक शख्शियतों ने इस आयोजन से जुड़ते हुए शुभकामनाएं प्रेषित की है. संस्था अध्यक्ष ने बताया कि आज प्रतिवर्ष लाखों व्यक्ति समय पर अंगदान जागरूकता नहीं होने से काल-कवलित हो जाते हैं जबकि लाखों अमूल्य महत्वपूर्ण मानव अंग जानकारी के अभाव में बेवजह मिट्टी में मिल जाते हैं. उन्होंने अंगदान से किसी जरूरतमंद की मदद करने की अपील की.
संस्था की समन्वयक भावना जगवानी है जो कि विभिन्न चिकित्सालयों व अन्य माध्यमों से लोगों को जागरूक कर रही हैं. वहीं नवजीवन संस्था से जुड़े तथा कार्यक्रम से सम्बंधित प्रकाशित होने वाली के एक स्मारिका के समन्वयक दीपक टाटिया ने बताया कि निश्चित ही अंगदान भी महादान है. उन्होंने बताया कि ईश्वर द्वारा प्राप्त यह पवित्र शरीर अत्यंत ही अकल्पनीय अंग-प्रत्यंगों से बना होता है जिसकी बनावट व कार्यप्रणाली पर आज तक आधुनिक विज्ञान सतत शोध कर जानकारियाँ जुटा रहा है, हालांकि शारीरिक संरचना आज भी एक बड़ा रहस्य ही है. इस मानव शरीर के साथ हमें कुछ अत्यन्त महत्वपूर्ण अंग-प्रत्यंग भी प्राप्त होते हें जो अमूल्य है.
संस्था के संस्थापक ट्रस्टी अनिल बक्षी ने स्मारक के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि स्मारक में संस्था द्वारा प्रेरित प्रथम अंगदाता चिरंजीवी (2015) से लेकर आज तक प्राप्त सभी अंगदाताओं के सम्मान में स्मृति पट्टिकाएं एवं स्मारक, अंगदान प्रेरणास्थल के रूप में सुनियोजित रूप से विकसित कर प्रदेश की जनता को माननीय मुख्यमंत्री महोदय द्वारा समर्पित किया जाएगा. बक्षी ने कहा कि अन्य परिचितों को जागरूक कर अंगदान में सहयोगी बनना चाहिए.
ट्रस्टी अनिल बक्षी ने कहा कि MFJCF संस्था द्वारा इस अंगदाता स्मारक की परिकल्पना से लेकर स्थापना तक समय-समय पर राज्य सरकार एवं उसके साशन- प्रशासन का इस जन सेवा कार्य को मूर्त रूप प्रदान करने में पूर्ण सहयोग रहा है. बक्षी ने दानदाताओं एवं सहयोगकर्ताओं एवं मीडिया से हमेशा मिले सहयोग के लिए भी सभी का आभार व्यक्त किया है.
बता दें, भारत में एक 10 लोगों में से केवल 0.8% लोग ही अंगदान करते हैं, जबकि स्पेन में ये आंकड़ा 35, अमेरिका में 21 और यूके में 15.5 % से ऊपर है. हमारे देश में हर साल 5 लाख लोग ऐसे हैं जो अंग खराब होने की वजह से मर जाते हैं.