मदर्स डे स्पेशल- पहली धड़कन भी मेरी धड़की तेरे भीतर…
NewsBreathe_Special. पहली धड़कन भी मेरी धड़की तेरे भीतर, जमीन को तेरी छोड़कर बता फिर में जाऊ कहां. आँखे खोली जब पहली दफ़ा तेरा चेहरा ही दिखा, जिंदगी का हर लम्हा जीना तुझसे ही सिखा. खामोश सी मेरी जुबाह को सुर भी तुने ही दिया, श्वेत पड़ी मेरी अभिलाशाओ को रंगों से तूने भर दिया. अपना निवाला छोर कर मेरी खातिर तूने भण्डार भरे….मैं भले नाकामियाब रही फिर भी मैरे होने का तूने अहंकार भरा. वो रात को छिपकर जब तू अँधेरे में अकेले रोया करती थी, दर्द होता था मुझे भी शिश्किया मैंने भी सुनी थी…
नासमझ थी मैं, जब इतनी खुद का भी मुझे भान नहीं था. तू ही बस वो एक थी जिसे मेरी भूख प्यास का पता था. पहले जब मै बेतहाशा खुलकर खेला करती थी तो तेरी चूडियों और पायल की आवाज से डर लगता था, लगता था तू आयेगी बहुत डाटेगी और कान पकड़ कर मुझे ले जाएगी. माँ आज भी जब किसी दिन मुझे धुँध-धुंध सा लगता है. चूडियों के बीच से तेरी उड़ते गुस्से भरी आवाज को सुनने का मन करता है, मन करता है तू आजाये बहुत डांटे और कान पकड़ कर मुझे ले जाये. जाना चाहती हूँ उस बचपन में फिरसे जहाँ तेरी गोद में सोया करती थी. जब काम ना हो कोई मेरे मन का तो हर बात पर रोया करती थी.
जब बिना तेरी लोरियों, कहानियों के लिए पलके जगा नहीं करती थी. माथे पर बिना तेरे मीठे स्पर्श के ये आँखे जगा नही करती थी. अब और नहीं घिसने देना चाहती तेरे इन मुलायम हाथों को, चाहती हूँ पूरा करना तेरे सपनों में दिखे हर बातों को……
खुश होगी मां एक दिन तू भी जब लोग मुझे तेरी बेटी कहेंगे. जीत लूंगी उस दिन में सारी दुनिया, जब मेरी कामयाबी पर हस्ताक्षर तेरे लगेंगे.
आई लव यू मां