गुर्जर चले फिर अपनी राह, मुद्दा फिर वही ‘आरक्षण’
13 साल में 6 आंदोलन, 4 बार भाजपा व 2 बार कांग्रेस राज में 5 बार ट्रैक रोका, 754 केस दर्ज फिर भी समस्या ज्यों की त्यों
राजस्थान का मोस्ट पोपुलर गुर्जर ड्रामा एक बार फिर शुरू हो चुका है। ‘आरक्षण’ के नाम पर सरकार को धमकी और उसके बाद गहलोत सरकार की नाक के नीचे रेलवे ट्रैक रोक फिर से चक्काजाम करने की गुर्जरों की कोशिश ने फिर से आमजन की नाक में दम कर दिया है। 8 फरवरी से आरंभ हुए इस आंदोलन की शुरूआत गुर्जर नेता और गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के संयोजक कर्नल किरोड़ी सिंह बैसला ने अपने चिरपरिचित अंदाज में रेलवे ट्रैक रोककर की। सावे होने की वजह से फिलहाल सड़क मार्ग पर रियायत दी गई है और आमजन सहित सरकार पर एक बड़ा अहसास किया है।
आंदोलन के पहले दिन गुर्जरों ने दिल्ली-मुंबई रेलवे ट्रैक को सवाईमाधोपुर में मलारना स्टेशन के बीच जाम कर दिया। वहीं शनिवार को आगरा-जयपुर रेलवे ट्रैक और रविवार को बंदी रेलवे ट्रैक जाम कर सरकार की समस्याएं बढ़ा दी। करौली, हिंडौन व उदयपुरवाटी में भी जगह-जगह पटरियों पर जाम लगाने की खबरे हैं। इस वजह से आंदोलन के पहले दिन 21 और दूसरे दिन 19 ट्रेनें प्रभावित हुईं। इस वजह से राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड की रविवार को होने वाली कृषि पर्यवेक्षक व पर्यवेक्षक महिला आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की सीधी भर्ती परीक्षा भी आंदोलन के चलते रद्द दी गई है। दौसा, सवाईमाधोपुर के मलारना समेत प्रभावित क्षेत्रों में धारा 144 लागू की गई है।
गुर्जर 5 प्रतिषत की आरक्षण की मांग कर रहे हैं जो पिछले 13 सालों से अनवरत जारी है। 9 फरवरी को सरकार की तरफ से पर्यटन मंत्री विष्वेंद्र सिंह व कोऑपरेटिव रजिस्ट्रार नीरज के पवन गुर्जरों को मनाने मलारना ट्रैक पहुंचे लेकिन वार्ता विफल हो गई। इस पर गुर्जर नेता बैसला ने कहा है कि सरकार बिना मसौदे के वार्ता के लिए आई थी। जब तक आरक्षण 5 प्रतिषत करने, क्रीमीलेयर की सीमा 8 लाख रुपए करने व पिछली भर्तियों को बैकलॉग से भरने की मांग पूरी नहीं हो जाती, तब तक आंदोलन जारी रहेगा। फिलहाल गुर्जरों को मोस्ट बैकवर्ड क्लास में एक प्रतिषत आरक्षण मिला हुआ है।