सोने के पिंजरे में नजरबंद है कांग्रेस की गहलोत सरकार – राजेन्द्र राठौड़

  • फिर से पायलट के समर्थन में उतरे राजेंद्र राठौड़ ने कहा- गहलोत सरकार ने किया थूंक कर चाटने का काम, एसओजी के मामले वापिस लेने पर राठौड़ ने साधा सीएम गहलोत पर निशाना

जयपुर। राजस्थान विधानसभा में प्रतिपक्ष के उपनेता राजेन्द्र राठौड़ ने एक वक्तव्य जारी कर राज्य सरकार पुलिस एजेन्सियों एसओजी/एसीबी का अपनी अंतर्कलह में अपमान की राजनीति के विरूद्ध विद्रोह करने वाले विधायकों की आवाज दबाने के लिए किस प्रकार बेजा इस्तेमाल कर रही है इसका पर्दाफाश माननीय उच्च न्यायालय ने कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक भंवरलाल शर्मा की याचिका पर पुलिस थाना स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप में दर्ज धारा 124A व 120बी में राजद्रोह से संबंधित धारा 124A को वापिस लेने की अर्जी पर सुनवाई के दौरान हो गया है।

राठौड़ ने कहा कि यह प्रथम दिवस से ही ज्ञात था कि मात्र असंतुष्ट विधायकों में गिरफ्तारी का भय पैदा करने और फिर भी नहीं मानने पर येन-केन प्रकारेण उन्हें गिरफ्तार करने का षड़यंत्र रचते हुए एसओजी और एसीबी में सभी प्रकरण फर्जी दर्ज कराये गए थे। इस षड़यंत्र को अंजाम देने में चुनिंदा पुलिस अधिकारी मुख्यमंत्री कार्यालय के इशारे पर कठपुतली की तरह नाच रहे हैं । परन्तु यह षड़यंत्र रोजाना अनुसन्धान के नाम पर टीम भेजने वाले अधिकारियो के कारनामे न्यायालय के समक्ष उजागर होते ही धराशायी हो गया और पहली ही पेशी में सरकार को धारा 124A को वापस लेने का बयान मजबूरी में दर्ज़ करवाना पड़ा है।

राठौड़ ने कहा कि विद्रोही विधायकों के विरूद्ध आइपीसी की धारा 124A के अं​तर्गत राष्ट्रद्रोह के अपराध के अंतर्गत मुख्य सचेतक श्री महेश जोशी ने प्रथम सूचना दर्ज करवाई गई थी। धारा 124A के अपराध का अनुसन्धान करने के लिए वर्ष 2008 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जी की सरकार में उच्च स्तरीय नेशनल इन्वेस्टीगेशन एजेन्सी एनआईए का गठन किया गया था। परन्तु नेशनल इन्वेस्टीगेशन एजेंसी के द्वारा इन सभी प्रकरणों की स्वतंत्र रूप से निष्पक्ष जांच होने पर सरकार की किरकिरी होने के डर से तथा प्रकरण दर्ज कराये जाने के पीछे छुपे राज उजागर होने से बचने के लिए आज न्यायालय के समक्ष एसओजी ने धारा 124A राष्ट्रद्रोह के आरोप को वापस लेकर थूक कर चाटने जैसा काम किया है।

राठौड़ ने कहा कि यह अत्यंत खेदजनक स्थिति है कि राज्य के दुर्दांत अपराधियों को पकड़ने वाली एजेंसी के कर्ताधर्ता मात्र मुख्यमंत्री की निगाहो में नंबर बढ़वाने के लिए फर्जी एफआईआर दर्ज कर के आत्मसमर्पण कर बैठे और सारे देश के सामने आज राजस्थान पुलिस की भारी बेइज्जती करवा दी। शायद पुलिस थाने के कनिष्ठत्म अधिकारी को भी यह पता है कि राजद्रोह के अपराध का गठन करने के लिए आवश्यक एक भी साक्ष्य महेश जोशी की सूचना में उपस्थित नहीं थी। उच्चतम न्यायालय ने भी ये व्यवस्था दी है कि उच्च अधिकारियो के गलत आदेश मानने के लिए कनिष्ठ अधिकारी स्वयं उत्तरदायी होंगे।

राठौड़ ने कहा कि अपनों के विद्रोह से आशंकित मुख्यमंत्री जी ने जैसलमेर में अपने ही विधायकों को होटल के एक कमरे से दूसरे कमरे में अनुमति ले कर जाने व जैमर लगाकर आपसी बातचीत तक प्रतिबंधित करने जैसा कार्य करके उनके मौलिक अधिकारों का हनन कर दिया है , जो लोकतंत्र में निंदनीय है। क्या मुख्यमंत्री जी द्वारा सरेआम यह मान लिया गया है कि उनके समर्थकों की निष्ठा कदापि विश्वास किये जाने योग्य नहीं है।

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