ByeBye2020: रुला गया साल 2020, इरफान की आंखों से सुशांत की मुस्कान तक..देश की वो हस्तियां जो इस साल हो गईं हमसे रुखसत
- काफी दुखद, कठिन और निर्दयी साल रहा 2020, मनोरंज, राजनीति और ज्योतिष जगत से जुड़े कई दिग्गजों ने दुनिया को कहा अलविदा
NewsBreatheTeam. नया साल आने में बस अब केवल 100 घंटों का समय बचा है. इससे पहले साल 2020 का जितना जिक्र किया जाए उतना ही ज्यादा है. इतना दुखद, इतना कठिन और इतना निर्दयी साल शायद ही कभी रहा हो. नए साल की शुरुआत में कोरोना और ये महामारी देश को रुला गई. इस साल में देश की कई महान और जानीमानी 14 हस्तियां अलविदा कहते हुए अपनी यादें हमारे दिलों में छोड़ हमेशा हमेशा के लिए हमसे रुखसत हो गईं. इनमें यंग एक्टर सुशांत सिंह राजपूत, संजीदा एक्टर इरफान एवं लीजैंड एक्टर शशि कपूर के साथ पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी, दिग्गज़ राजनीतिज्ञ अहमद पटेल व रामविलास पासवान और मशहूर शायर राहत इंदौरी ने भी दुनिया को अलविदा कह दिया.
मोतीलाल वोरा
कांग्रेस के सबसे दिग्गज नेता मोतीलाल वोरा का 21 दिसंबर, 2020 को निधन हो गया. दिल्ली के फोर्टिस अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली. वे दो बार मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रहे. उनका नाम कांग्रेस के अंतरिम अध्यक्ष के प्रमुख दावेदारों के तौर पर सुर्खियों में आया था.
वोरा 2000 से 2018 तक पार्टी के कोषाध्यक्ष भी रहे थे. सभी मोतीलाल के परिश्रमी व्यक्तित्व के कायल थे. पत्रकार रहने के अलावा मोतीलाल वोरा ने दुर्ग, राजनांदगांव में पेट्रोल डिस्ट्रीब्यूशन और ट्रांसपोर्ट कंपनियों में भी काम किया. एक समय वे किराए की साइकिल लेकर घूमा करते थे.
प्रणब दा
देश के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी इस साल सभी को अलविदा कहकर दुनिया से रुखसत हो गए. साल 2012 में प्रणब मुखर्जी भारत के 13वें राष्ट्रपति चुने गए थे.
प्रणब दा का जन्म बंगाल के बीरभूम जिले के मिराती गांव में हुआ था. आखिरी दिनों में प्रणब दा की ब्रेन सर्जरी की गई थी, जिसके बाद वे कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे. उनके फेफड़ों में संक्रमण भी हो गया था. उन्होंने 31 अगस्त 2020 को 85 साल की उम्र में आखिरी सांस ली.
चांद पर प्लॉट खरीदने वाले सुशांत सिंह राजपूत
यंग एक्टर और सुपरस्टार सुशांत सिंह राजपूत अनायास कारणों की वजह से सभी फैंस को अलविदा कह गए. 14 जून, 2020 को 34 साल के सुशांत अपने कमरे में फांसी पर लटके पाए गए. पटना में जन्मे सुशांत ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए दिल्ली का रुख किया और पढ़ाई के साथ थिएटर करना भी शुरू किया. थिएटर से टेलीविजन और फिर फिल्मों तक का सफर तय किया.
उन्होंने काय पो चे, शुद्ध देसी रोमांस, एमएस धोनी, पीके, केदारनाथ और छिछोरे जैसी फिल्मों में काम किया. सुशांत ने 2018 में चांद पर जमीन खरीदी थी. उनका ये प्लॉट ‘सी ऑफ मसकोवी’ में है. दिलचस्प ये है कि उन्होंने अपने प्लॉट पर नजर रखने के लिए एक दूरबीन भी खरीदी थी. उनके पास एडवांस टेलिस्कोप 14LX00 था. सुशांत की आखिरी फिल्म ‘दिल बेचारा’ उनके निधन के बाद रिलीज हुई.
लीजैंड एक्टर ऋषि कपूर
कैंसर से जंग लड़ते हुए 30 अप्रैल, 2020 को 68 साल की उम्र में ऋषि कपूर का निधन हो गया. ये वे ही शशि कपूर थे जो लॉकडाउन के दौरान ढपली स्टाइल में थाली बजाते हुए सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुए थे.
ऋषि अपने पीछे 5 दशक लंबे एक्टिंग करियर की विरासत छोड़ गए हैं. उन्होंने 1973 में ‘बॉबी’ से बतौर एक्टर करियर की शुरुआत की और 2019 में उनकी आखिरी फिल्म ‘द बॉडी’ रिलीज हुई.
नरेंद्र मोदी के लिए भविष्यवाणी करने वाले बेजान दारूवाला
संजय गांधी और नरेंद्र मोदी के लिए सटीक भविष्यवाणी करने वाले ज्योतिष बेजान दारूवाला भी इसी साल दुनिया से रुखसत हुए. बेजान दारूवाला ने भविष्यवाणी की थी कि संजय गांधी की मौत दुर्घटना से होगी. 3 जून, 1980 को संजय गांधी की एक विमान दुर्घटना में मौत हो गई थी. इस घटना से पूरा देश सहम गया था. इसी तरह उन्होंने नरेंद्र मोदी की जीत की भी भविष्यवाणी की थी. 29 मई, 2020 को उन्होंने आखिरी सांस ली. वे कोरोना संक्रमित थे.
बेजान दारूवाला का जन्म 11 जुलाई, 1931 को मुंबई में हुआ था. वे पारसी परिवार से ताल्लुक रखते थे. 2003 में बेजान दारूवाला ने अपनी ज्योतिष वेबसाइट की शुरुआत की थी और देश में ज्योतिष का एक ट्रेंड सेट किया.
शायर राहत इंदौरी
‘मैं मर जाऊं तो मेरी एक पहचान लिख देना, लहू से मेरी पेशानी पे हिंदुस्तान लिख देना.’ ये शेर है शायर राहत इंदौरी का, जो कोरोना से जंग हार गए. राहत इंदौरी का जन्म मध्य प्रदेश के इंदौर में एक कपड़ा मिल कर्मचारी के घर हुआ था. महज 19 साल की उम्र में उन्होंने शायरी शुरू कर दी थी और आखिरी वक्त तक सक्रिय रहे.
राहत ने बॉलीवुड के खुद्दार, मुन्नाभाई एमबीबीएस, मर्डर, इश्क जैसी फिल्मों में कई गाने लिखे. वे कोरोना संक्रमित पाए गए थे, जिसके बाद दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया.
संजीदा एक्टर इरफान खान
“मुझे विश्वास है, मैंने आत्मसमर्पण कर दिया है”. ये वो कुछ शब्द हैं, जो इरफान ने 2018 में कैंसर से अपनी लड़ाई के बारे में बताते हुए लिखे थे. इस आत्मसमर्पण के करीब दो साल बाद एक सुबह उनकी सांसें थम गई. वे न्यूरोएंडोक्राइन कैंसर से जूझ रहे थे.
इरफान ने ‘हासिल’, ‘मकबूल’, ‘लाइफ इन अ मेट्रो’, ‘द लंच बॉक्स’, ‘पीकू’, ‘तलवार’ और ‘हिंदी मीडियम’ जैसी कई शानदार फिल्मों में काम किया था. ‘पान सिंह तोमर’ के लिए उन्हें नेशनल अवॉर्ड दिया गया था. इरफान खान गुलाबी नगरी जयपुर से ताल्लुख रखते थे.
शास्त्रीय गायक पंडित जसराज
28 जनवरी, 1930 को हरियाणा के हिसार में जन्मे पंडित जसराज ने शास्त्रीय संगीत को 80 वर्ष से ज्यादा का समय दिया. उन्हें पद्म विभूषण समेत तमाम सम्मानों से नवाजा गया.
उन्हें सम्मान देने के लिए अंतरराष्ट्रीय खगोलीय संघ ने 11 नवंबर 2006 को खोजे गए एक ग्रह 2006-VP32 का नाम भी ‘पंडित जसराज ग्रह’ रख दिया. जीवन के आखिरी दिनों में वे अमेरिका के न्यू जर्सी में थे.
सिंगर एसपी बालासुब्रमण्यम
एक्सीडेंट सिंगर बनने वाले एसपी बालासुब्रमण्यम ने पूरे करियर में 16 भाषाओं में रिकॉर्ड 40 हजार से ज्यादा गाने गाए हैं.
एसपी बालासुब्रमण्यम ने 1981 में ‘एक दूजे के लिए’ के लिए पहली बार हिंदी में गाना गाया. इसके लिए उन्हें नेशनल अवॉर्ड मिला. गाने के बोल थे- तेरे मेरे बीच में कैसा है ये बंधन अंजाना. 25 सितंबर, 2020 को 74 साल की उम्र में उनका निधन हो गया.
रामविलास पासवान: राजनीति के ज्योतिषी और राजनीतिज्ञ
लोक जनशक्ति पार्टी के निर्माता रामविलास पासवान के बारे में कहा जाता है कि उन्हें पहले से पता होता था कि राजनीति का उंट किस करवट बैठेगा और किसकी सरकार बनेगी. यही वजह है कि सरकार किसी भी दल की हो, उनका केंद्र मंत्री बनना तय था. खगड़िया में एक दलित परिवार में 5 जुलाई 1946 को जन्मे रामविलास पासवान राजनीति में आने से पहले बिहार प्रशासनिक सेवा में अधिकारी थे.
रामविलास पासवान का राजनीतिक सफर 1969 में तब शुरू हुआ था, जब वे संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर चुनाव जीतकर बिहार विधानसभा के सदस्य बने थे. एक बार पासवान ने अटल बिहारी वाजपेयी से कहा, ‘मेरे तो नाम में ही राम है. बीजेपी के पास कहां हैं राम?’ इस पर वाजपेयी अपने चिर-परिचित अंदाज में बोले- पासवान जी, हराम में भी राम होता है.
अहमद पटेल: गांधी परिवार के बाद कांग्रेस का सबसे मजबूत नेता
कांग्रेस के कद्दावर नेता अहमद पटेल का 71 साल की उम्र में 25 नवंबर, 2020 की सुबह निधन हुआ. वे कोरोना संक्रमित भी हुए थे. अपने राजनीतिक करियर के करीब 4 दशकों में वे इंदिरा गांधी से लेकर राजीव गांधी और इसके बाद सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार रहे. अपने 45 सालों के राजनीतिक सफर में उन्होंने कभी कोई राजनीतिक पद ग्रहण नहीं किया.
पर्दे के पीछे की राजनीति करने में माहिर अहमद पटेल उच्च कोटि के राजनीतिज्ञ थे. उनकी कांग्रेस के लिए समर्पण का अंदाजा केवल इस बात से ही लगाया जा सकता है कि 45 सालों के राजनीति में उन्होंने अपने परिवार के किसी सदस्य को राजनीति में नहीं आने दिया.
मसाला किंग धर्मपाल सिंह गुलाटी
महाशय धर्मपाल सिंह गुलाटी का जन्म 27 मार्च 1923 को पाकिस्तान के सियालकोट में हुआ था. विभाजन के समय उनका परिवार अमृतसर आ गया था. कुछ समय बाद वे परिवार के साथ दिल्ली आ गए थे. जब वे दिल्ली आए थे, तो उनके पास केवल 1500 रुपए थे।.उनके सामने रोजगार का संकट था. 1500 रुपए में से 650 रुपए का घोड़ा-तांगा खरीद लिया और रेलवे स्टेशन पर तांगा चलाने लगे.
बाद में वहीं पर एक छोटी सी दुकान में हाथ से कुटे हुए पैकेट पैक मसाले बेचने लगे. यहीं से उनका करियर उठा और उनकी मेहनत की बदौलत MDH आज करीब 2000 करोड़ रुपए का ब्रांड बन गया है. MDH की आज भारत और दुबई में करीब 18 फैक्ट्रियां हैं, जिनमें तैयार मसाला कई देशों में बेचा जाता है. एक भरी-पूरी जिंदगी जीने के बाद 98 साल की उम्र में इस मसाला किंग का देहांत हो गया. उन्हें पद्म भूषण से भी सम्मानित किया जा चुका है. उन्हें ‘महाशय’ उपाधि दी गई है.
केशुभाई पटेल: नरेंद्र मोदी को सिखाए राजनीति के दांव पेंच
2001 में नरेंद्र मोदी ने जब गुजरात के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी, उस समय मीडिया से कहा था, ‘सूबे की असल कमान केशुभाई के हाथ में ही है. वे ही बीजेपी का रथ हांकने वाले सारथी हैं. मुझे उनकी सहायता के लिए गियर की तरह उनके पास लगा दिया गया है.’
नरेंद्र मोदी को राजनीति के दांव पेंच सिखाने वाले गुजरात के पूर्व सीएम केशुभाई पटेल का 29 अक्टूबर, 2020 को निधन हो गया.
दिग्गज नेता अमर सिंह
बेबाक नेता और समाजवादी पार्टी के पूर्व सांसद अमर सिंह भी गहन बिमारी के बाद इस साल दुनिया से रुखसत हो गए. अमिताभ बच्चन के जिगरी रहे और जया बच्चन को राजनीति में लाने वाले अमर सिंह का 1 अगस्त को 64 वर्ष की आयु में निधन हो गया. वह लंबे समय से बीमार थे और सिंगापुर में उनका इलाज चल रहा था. इसी अस्पताल से कुछ महीने पहले उन्होंने एक वीडियो भी पोस्ट किया था और अमिताभ बच्चन एवं उनके परिवार से माफी मांगी थी.
काफी सालों पहले एक इंटरव्यू में अमर सिंह ने कहा था, ‘आप सीधे शब्दों में मुझे बिचौलिया या फिर दलाल भी कह सकते हैं, लेकिन मैंने कभी सत्ता के शीर्ष पर पहुंचने की इच्छा नहीं जताई. मैं संबंधों और सत्ता को सबसे ज्यादा इम्पॉरटेंस देता हूं.’ ऐसे ही बयानों ने अमर सिंह की इमेज एक बेबाक नेता के तौर पर बनाई थी.