सीपी जोशी को विधानसभा अध्यक्ष बना ब्राह्मण वोट साधने की कोशिश में कांग्रेस

विकास नहीं बल्कि जातिगत आधार बनेगा इस बार का लोकसभा चुनाव, 15वीं विधानसभा की राह भी इसी पर तय थी।

राजस्थान। कहना गलत न होगा कि इस बार का विधानसभा सभा चुनाव और अब लोकसभा चुनाव भी जातिगत आधार पर लड़ा जा रहा है। इस जातिगत आधार का आरंभ जब ही हो गया था जब सुप्रीम कोर्ट की रोक के बाद भी एससी-एसटी एक्ट लोकसभा और राज्यसभा में पास हो गया। यहां कांग्रेस-भाजपा सहित अन्य दलों ने दलित वर्ग के वोट साधने की कोशिश में एक-दूसरे को समर्थन दिया। इस बात से ब्राह्मण सहित सामान्य वर्ग नाराज था। अब ऐसे समय में जब लोकसभा चुनाव सिर पर है, कांग्रेस ने सीपी जोशी को विधानसभा अध्यक्ष और महेश जोशी को मुख्य सचेतक बना ब्राह्मण वोट बैंक साधने की तैयारी कर ली है। साथ ही महेंद्र चौधरी को उप सचेतक बना जाट वोटर्स को लुभाने का प्रयास किया जा रहा है। वहीं केन्द्र की मोदी सरकार ने सवर्ण के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण का कानून बना ब्राह्मण सहित अन्य सामान्य वर्ग की जातियों के वोट साधने की कोशिश की है।

संविधान में 50 फीसदी आरक्षण से अधिक की गुजाइंश नहीं

गौर करने वाली बात यह है कि सुप्रीम कोर्ट ने काफी पहले यह कहा था कि संविधान में 50 प्रतिशत से ज्यादा आरक्षण की कोई व्यवस्था नहीं है। इस समय देश में 49.5 प्रतिशत आरक्षण है जो एससी, एसटी, गुर्जर, जाट आदि जातियों को देय है। इसके बाद भी भाजपा ने पहले लोकसभा और बाद में राज्यसभा में एक्ट पास कर महामहीम रामनाथ कोविंद की स्वीकृति के बाद कानून बना दिया। अब संविधान संशोधन होना बाकी है। इस बार भी सामान्य जाति के वोट बैंक साधने के लिए भाजपा ने ट्रप कार्ड तो खेला ही, कांग्रेस सहित अन्य जातियों ने समर्थन देकर यह दर्शाया कि हम आरक्षण में साथ हैं।

युवा सोच:मोदीजी आरक्षण हटाएंगे लेकिन हुआ उलटा

बात करें नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने से पहले कि तो कम से कम सामान्य वर्ग और अन्य शिक्षित युवाओं ने यही सोचा था कि मोदीजी आरक्षण हटाने की कोशिश जरूर करेंगे लेकिन हुआ उसका उलटा। उन्होंने तो खुद ही आरक्षण की अगुवाई कर दी। यह 10 प्रतिशत आरक्षण भी कम से कम 4 जातियों में बंटेगा जिनमें हिन्दू, मुस्लिम, सिख और ईसाई सम्मिलित हैं। हमारा तो देश का भला सोचने वाली राजनीतिक पार्टियों और नेताओं से यही कहना चाहते हैं कि आज का पढ़ा लिखा युवा आरक्षण नहीं बल्कि नौकरी चाहता है और वह भी अपनी काबिलियत पर, न की आरक्षण की बैसाखियों पर लगड़ाते हुए जिसमें वह कई बार गिरेगा लेकिन उठकर कभी नहीं चल पाएगा।

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