छठ पूजा के बाद हुआ शाही स्नान, सूर्य को अर्पित किया दूसरा अर्घ्य

News Breath Team: लोक आस्था का महापर्व डाला छठ रविवार को उगते हुए सूर्य को दूसरा अर्ध्य देने के बाद यह महोत्सव सम्पन्न हुआ । सूर्य उपासना के चार दिवसीय महापर्व छठ पूजा की उदीयमान भगवान दीनानाथ जी की सुख-समृद्धि की कामना की। डाला छठ पूजा महोत्सव के मुख्य आयोजन गलता जी तीर्थ पर हुआ जिसमे गलता तीर्थ के पीठाधीश्वर महाराज श्री अवधेशाचार्य जी के सान्निध्य में यह पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया गया।

चार दिवसीय महापर्व का पहला दिन नहाय खाय से शुरू हुआ। गलताजी तीर्थ में लोगे के भीड़ उमड़ पड़ी।बिहार समाज संगठन के महासचिव सुरेश पंडित ने बताया कि पुलिस प्रशासन एवं बिहार समाज के स्वयंसेवक ने बड़ी मेहनत की। इस पर्व को देखने के लिए दुर दराज से श्रध्दालु गलता जी पहुंचे। गलता जी में दीवाली फीकी पर गया, उस तरह से आतिशबाजी किया गया।

इस पर्व की खास रौनक बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश, बम्बई, दिल्ली, गुजरात, बंगाल पड़ोसी देश नेपाल एवं मॉरिशस मे देखने को मिलती है। यह व्रत बिहार का सबसे बड़ा व्रत है ‌जो बहुत ही कठिन साधना के साथ की जाती है। पवित्रता इतनी रखनी पड़ती है किसी ने जान-बूझकर अनिष्ट किया तो कुष्ट जैसे रोग होने की संभावना रहता है मिडिया प्रभारी रौशन झा ने कहा कि आस्था इतनी होती है, जैसे ही मनोकामना पूरी हुई वैसे ही इस व्रत को करने की शुरुआत कर देते है। आपसी प्रेम को भी दर्शाता हुआ यह बहुत बड़ा व्रत है।

छठ पूजा महोत्सव समिति के महासचिव सुरेश पंडित ने बताया कि बांस के बने हुए टोकरी(डाला या दउरा) भी कहते है बांस से बनी सूप घर – घर में खरीदे जाते है। शनिवार को अस्ताचलगामि सूर्य को पहला अर्घ्य अर्पित किया । पूरी रात बिहार समाज संगठन के कार्यकर्ता एवं स्वयंसेवक प्रशासन के साथ व्यवस्था सम्भालने में लगे रहे। शाम को गलता पीठ के महाराज अवधेशाचार्य जी के सान्निध्य में गंगा महाआरती का आयोजन किया जिसमे समाज के लोगो ने बढ चढ़कर भाग लिया। प्रसाद रखने के लिए बांस की बनी टोकरी व सूप जिसमे में रखने वाले प्रसाद के रूप से ठेकुआ, गन्ना, गागर (बड़ा नीबू ), नाशपाती, सेव ,केला ,हल्दी, अदरक, मूली,नारियल, केराव, चावल, पान,सुपारी, संतरा,नींबू, शरीफा, फूल एवं मिठाई आदि शामिल होते है। यह सभी रखकर भगवान सूर्य को अर्घ्य अर्पित किए। रविवार को जैसे ही सूर्य देव की लालिमा दिखा व्रती ने अर्ध्य देना शुरू किया। व्रत करने वाले ने अपने अपने जाकर व्रत खोला। व्रती को चरण शूकर आशीर्वाद लिया। महिलाओ को जोड़ा मांग भरा गया। रात को कौशिया भरा गया जिसके घर में कोई शुभ काम करना जैसे शादी विवाह करना होता है, उनके घर में कौशिया भरा जाता है। दूसरा अर्ध्य कार्तिक शुक्ल पक्ष सप्तमी को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर इस व्रत का समापन किया गया।

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