अब राजधानी भी कहां सेफ रही, तय हो रहा देवस्थान से रेपिस्थान का सफर
अब राजधानी भी कहां सेफ रही, तय हो रहा देवस्थान से रेपिस्थान का सफर
जयपुर। साल 2008 से पहले तक राजस्थान की राजधानी जयपुर को शांति का प्रतीक ही माना जाता था. 2008 में एक साथ हुए सीरियल बम ब्लास्ट ने गुलाबी नगरी की पहचान को बदल कर रख दिया. उस हादसे से न कभी हम उभर पाए और न ही उभर पाएंगे. वो तो एक नासूर है लेकिन अब लगातार शहर में जो हो रहा है या जो घट रहा है, वो किसी भी तरीके से स्वीकार करने योग्य नहीं है. अगर सीधे तौर पर मैं कहूं तो छोटी काशी के रूप में जानी जाने वाली हमारा ये शांत शहर अब रेपिस्थान के नाम से जाना जाने लगा है.
पूरा राजस्थान अपराधों की स्थली के रूप में उभर रहा है, इस बात में तो कोई दोराय नहीं है, लेकिन सबसे बड़ी बात ये है कि यहां सरकार के 200 नुमाइंदों के साथ 25 केंद्र के सांसदों का भी आना जाना है, सैंकड़ों नेता अपनी राजनीति चमकाने के लिए जिस शहर में पड़े रहते हैं, वहां बड़ी तो बड़ी, दुध पीती बच्चियों को भी वहशियों ने नहीं छोड़ा.
अब तो हालात ये हो चले हैं कि किशोर अवस्था में बच्चे दुष्कर्म जैसे गंभीर अपराधों को अंजाम दे रहे हैं. उन्हें तो इसका अंजाम तक पता नहीं है. सबसे ताज्जिब की बात तो ये है कि उन्हें इसका डर भी नहीं है. हमारा तो ये भी मानना है कि इसमें अपराध करने वालों का कोई दोष नहीं है..बिलकुल भी नहीं है, बल्कि दोष तो हमारे सिस्टम का है.
हमारे सिस्टम ने पोस्को जैसे नियम तो बना दिए, कोर्ट भी बना दी लेकिन फैसले अभी भी उन्हीं फाइलों में दम तोड़ रहे हैं. जब तक पहली या दूसरी पेशी होती है, तब तक किशोर 18 वर्ष की आयु पूरी करके बाहर भी आ चुका होता है और दुर्दांत अपराधिक प्रवृतियों में लिप्त हो चुका होता है.
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हाल का ही एक किस्सा है जिसमें सांगानेर सदर पुलिस ने कोर्ट में एक चार्जशीट पेश की है जिसमें पड़ौस में रहने वाले 16 साल के किशोर ने महज दो साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म किया. इससे पहले पिछले साल विद्याधर नगर में एक शादी समारोह के दौरान एक कॉफी बनाने वाले ने मैरिज गार्डन के बाथरूम में 13 साल की मासूम को अपनी हवस का शिकार बनाया था. पिछले साल ही लव प्रसंग के चक्कर में एक युवक ने रामबाग सर्किल पर एक युवती को चाकुओं से सरेआम गोद दिया था.
ऐसे अनगिनत मामले फाइलों में दबे पड़े हैं जिनकी अब तक पहली पेशी तक नहीं हुई. कहना तो यही है कि सरकारें आईं और गईं, अपने कारनामों की कहानियां गढ़कर खूब सुनाई लेकिन अपराधों में कहीं कोई कमी नहीं आई.
एक तरफ केंद्र सरकार ने पोर्न वेबसाइट पर नियंत्रण और रोक से इनकार कर दिया तो वहीं राज्य की गहलोत सरकार ने शराब बंदी से अपने हाथ खींच लिए. सरकार ने तो ये भी कहा कि शराब बंदी तो नहीं होगी, हां बढ़िया क्वालिटी की शराब जरूर बेची जाएगी.
ये तो वही बात हो गई कि कैंसर का इलाज तो बढ़िया किया जाएगा लेकिन जो वजह है गुटखा, पान, बीड़ी, सिगरेट या तंबाकू, उसे बंद नहीं किया जाएगा. अगर ऐसा ही चलता रहा तो वो दिन भी दूर नहीं जब राजस्थान को सच्चे मायनों में रेपिस्थान या अपराधिस्थान के नाम से ही जाना जाएगा.