फोन टेपिंग पर गहलोत सरकार के कबूलनामे के बाद गर्माई सियासत, भाजपा ने की CBI जांच की मांग
- भाजपा हुई हमलावर, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह बोले- गहलोत के दामन में अनगिनत दाग, लेकिन यह सबसे गहरा, सांसद भूपेंद्र यादव ने बताया लोकतंत्र की हत्या
NewsBreatheTeam. राजस्थान में पिछले साल जुलाई में सचिन पायलट खेमे की बगावत के समय फोन टेप करने की बात गहलोत सरकार ने मान ली है. हालांकि, सरकार ने अपने जवाब में विधायकों या केंद्रीय मंत्रियों के फोन टेप करने जैसी कोई बात नहीं कही है. सरकार के कबूलनामे के बाद राज्य की सियासत गर्मा गई है. एक तरफ भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनियां ने इस मामले में सीबीआई जांच की मांग की है तो राज्यसभा सांसद भूपेंद्र यादव ने इसे लोकतंत्र की हत्या बताया. भाजपा विधायक कालीचरण सराफ के अगस्त में पूछे गए सवाल का गृह विभाग ने अब जवाब दिया है. सरकार ने विधानसभा में पूछे गए सवाल के जवाब में कहा है कि सक्षम स्तर से मंजूरी लेकर फोन टेप किए जाते हैं.
सरकार के कबूलनामे के बाद भाजपा नेताओं ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. पूनियां ने निशाना साधते हुए कहा कि गहलोत ने कुर्सी बचाने के लिए अपनी पार्टी के नेताओं के खिलाफ षडयंत्र किया और विपक्षी नेताओं की जासूसी करवाई है. वहीं केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि गहलोत के दामन में अनगिनत दाग है लेकिन यह सबसे गहरा है.
इधर, भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनियां ने सोशल मीडिया पर कहा, ‘गांधीवाद का झूठा मुखौटा ओढ़े नैतिकता और लोकतंत्र की दुहाई देने वाले अशोक गहलोत ने कुर्सी बचाने की खातिर सारी हदें लांघ दी। अपने ही दल के लोगों के खिलाफ तो षड्यंत्र किया ही है. इसके अलावा विपक्षी दल के नेताओं के टेलीफोन भी अनैतिक तरीके से टेप किए. जासूसी करवाई इसकी स्वीकारोक्ति सरकार ने विधानसभा प्रश्न के उत्तर में की है. अब क्या जवाब देंगे मारवाड़ के गांधी?’
गजेंद्र सिंह शेखावत ने एक के बाद एक 6 ट्वीट करके सीएम अशोक गहलोत और राहुल गांधी को निशाने पर लिया. गजेंद्र सिंह ने कहा कि गहलोत सरकार ने स्वीकार कर रही है कि फोन टेप किए गए. यह निजता का हनन है, लोकतंत्र की हत्या है. उन्होंने अपनी पार्टी की अंदरुनी लड़ाई को प्रशासनिक बना दिया. जनहित के लिए नियुक्त प्रशासनिक अधिकारियों को कांग्रेसी हित में लगा देना, लोकतंत्र की हत्या है. गहलोत के दामन में अनगिनत दाग हैं, पर ये दाग इतना गहरा है कि इससे न केवल सरकार का बल्कि प्रशासन का भी चेहरा स्याह दिख रहा है.
जुलाई में वायरल हुए थे ऑडियो टेप
आपको याद होगा, सचिन पायलट सहित कांग्रेस के 19 विधायकों ने जुलाई में गहलोत सरकार के खिलाफ बगावत की थी और ये विधायक मानेसर के एक होटल में अलग से बाड़ेबंदी में चले गए थे. उसके बाद 15 जुलाई, 2020 को गहलोत गुट की तरफ से कुछ ऑडियो टेप जारी किए गए थे. इन ऑडियो टेप में गहलोत खेमे की तरफ से दावा किया गया था कि केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह, कांग्रेस विधायक भंवरलाल शर्मा और तत्कालीन मंत्री विश्वेंद्र सिंह की बातचीत है. उस बातचीत में सरकार गिराने और पैसों के लेनदेन की बातें थीं.
सीएम अशोक गहलोत ने कई बार कहा कि सरकार गिराने के षड्यंत्र करने में हुए करोड़ों के लनेदेन के सबूत हैं और ये आरोप झूठे हों तो राजनीति छोड़ दूंगा जिन नेताओं के ऑडियो टेप आए थे, उनके वॉयस टेस्ट नहीं हुए थे. विधायकों की खरीद-फरोख्त से जुड़े मामले की जांच एसीबी और एटीएस कर रही है. चर्चा यह भी थी कि सरकार के इशारे पर जांच एजेंसियों ने इन ऑडियो टेप को वायरल किया है. हालांकि, इसकी कोई पुष्टि नहीं हुई थी लेकिन अब इस मामले में राज्य सरकार और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत घिरते नजर आ रहे हैं.