गणतंत्र दिवस विशेष: क्या है अमर जवान ज्योति का इतिहास, क्यों जलती है इसकी लॉ

  • सप्ताह के सातों दिन और दिन के 24 घंटे लगातार जलती रहती है अमर जवान ज्योति, हाल में नेशनल वॉर मेमोरियल में किया गया है विलय

NewsBreathe_Khas. आज गणतंत्र दिवस (Republic Day) है. देश में 73वां गणतंत्र दिवस धूम धाम से मनाया जा रहा है. इस गौरवमयी दिन पर अमर जवान ज्योति (Amar Jawan Jyoti) को कैसा भुलाया जा सकता है. अमर जवान ज्योति इंडिया गेट स्मारक पर शहीद जवानों की याद में बनाया गया एक काले रंग का स्मारक है जिस पर ‘अमर जवान’ लिखा हुआ है. इस पर L1A1 सेल्फ लोडिंग राइफल, एक सैन्य हेलमेट रखा है. इसके ठीक नीचे एक लॉ जलती रहती है जो साल के 365 दिन, सप्ताह के सातों दिन और दिन के 24 घंटे लगातार जलती रहती है. (हालांकि दिल्ली के इंडिया के गेट पर जलने वाली अमर जवान ज्योति (Amar Jawan Jyoti) को हाल में नेशनल वॉर मेमोरियल (national war memorial) में विलय कर दिया गया है. अब यह ज्योति वॉर मेमोरियल में भी जलेगी) ये लॉ पिछले 50 सालों से इसी तरह जलती रही है. 26 जनवरी यानी गणतंत्र दिवस पर अमर जवान ज्योति का खास महत्व है.

अमर जवान ज्योति का इतिहास - news breathe

ये कभी बुझती नहीं और आर्मी, नेवी, एयर फोर्स के जवान हर समय इसकी हिफाजत में यहां तैनात रहते हैं. अमर जवान ज्योति दिसंबर, 1971 में भारत-पाक युद्ध में शहीद होने वाले भारतीय सैनिकों के सम्मान का प्रतीक है. इस स्मारक पर सभी शहीद हुए जवानों के नाम स्वर्ण अक्षरों में गुदे हुए हैं.

सबसे पहले बात करते हैं इंडिया गेट स्मारक (India Gate) की, जो ब्रिटिश सरकार के समय 1921 में बनकर तैयार हुआ था. इंडिया गेट का निर्माण 1914-1921 के बीच अपनी जान गंवाने वाले ब्रिटिश भारतीय सैनिकों की याद में बनाया गया था. ये सभी जवान प्रथम विश्व युद्ध में ब्रिटिश हुकूमत के लिए लड़े थे. यहां करीब 13,000 से अधिक ब्रिटिश और भारतीय सैनिकों के नाम भी हैं. ये सभी अफगान युद्ध में मारे गए थे. 10 फरवरी, 1931 को तत्कालीन वायसराय लॉर्ड इर्विन ने इंडिया गेट का उद्घाटन किया.

India Gate - news breathe
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देश की आजादी के बाद 3 दिसम्बर से 16 दिसम्बर, 1971 के बीच भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध हुआ. 13 दिन चले इस युद्ध में 3,843 भारतीय जवान शहीद हुए और सैंकड़ों घायल हुए. इन्हीं शहीदों की याद में अमर जवान ज्योति (Amar Jawan Jyoti) जलाने का फैसला हुआ. इस युद्ध में पाकिस्तान को घुटने टेकने पड़े थे और बांग्लादेश का जन्म ​हुआ था.

इस स्मारक का उद्घाटन 26 जनवरी, 1972 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने किया. 2006 तक इस ज्योति (Amar Jawan Jyoti) को जलाने के लिए एलपीजी का इस्तेमाल होता था. बाद में इसमें सीएनजी का इस्तेमाल किया जाने लगा. अब इस लॉक को इंडिया गेट से 400 मीटर की दूरी पर स्थित नेशनल वॉर मेमोरियल में भी जलाया जा रहा है. ये मेमोरियल 40 एकड़ में बना है और इसकी दीवारों पर जवानों के नाम लिखे हैं. इसके उद्घाटन के बाद से ही हर साल 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस परेड से पहले प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और थल, जल और वायु सेनाओं के प्रमुख अमर जवान ज्योति पर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं.

national war memorial - news breathe
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बता दें कि इंडिया गेट से अमर जवान ज्योति को बुझाया या शिफ्ट नहीं किया गया है. इसका विलय नेशनल वॉर मेमोरियल में कर दिया गया है. 2020 से गणतंत्र दिवस के अवसर पर अमर जवान ज्योति की जगह नेशनल वॉर मेमोरियल पर श्रद्धांजलि देने की प्रथा शुरू हो गई है.