सुप्रीम कोर्ट के नोटबंदी पर फैसले के बाद बीजेपी ने राहुल गांधी से की माफी की मांग तो कांग्रेस बोली- ‘सो कॉल्ड फादर ऑफ इंडिया’ मांगें देश से माफी
6 साल बाद आया नोटबंदी पर ऐतिहासिक फैसला, बीजेपी ने किया फैसले का स्वागत और कांग्रेस पर बोला हमला, जवाब में कांग्रेस बोली- सुप्रीम कोर्ट ने नोटबंदी लागू करने की प्रक्रिया पर फैसला दिया है, इसके परिणामों पर नहीं
Newsbreathe. 8 नवम्बर, 2016 को रात 8 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा की गई ऐतिहासिक नोटबंदी पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सोमवार को सुना दिया है. फैसले बाद अब बीजेपी और कांग्रेस के नेता एक दूसरे पर आग उगल रहे हैं. एक ओर जहां बीजेपी सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत कर रही है, तो वहीं दूसरी ओर, कांग्रेस नेताओं ने नोटबंदी के फैसले को भ्रामक और गलत बताते हुए इसे असहमतिपूर्ण फैसला करार दिया है. बीजेपी सांसद रवि शंकर प्रसाद ने नोटबंदी को देश हित में बताते हुए राहुल गांधी से देश से माफी मांगने को कहा है. बता दें, राहुल गांधी नोटबंदी को लेकर हमेशा से मोदी सरकार पर हमलावर रहे हैं. इसके जवाब में कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने नोटबंदी लागू करने की प्रक्रिया पर फैसला दिया है, इसके परिणामों पर नहीं. नोटबंदी के चलते जो तबाही और बर्बादी हुई है, उसके लिए ‘सो कॉल्ड फादर ऑफ इंडिया’ (नरेंद्र मोदी) को माफी मांगनी चाहिए. वहीं केरल के वित्त मंत्री के.एन. बालगोपाल ने भी सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले में असहमति व्यक्त करते हुए कहा है कि इस मामले में संसद को दरकिनार नहीं किया जाना चाहिए था.
दरअसल, साल 2016 में केंद्र सरकार ने 500 रुपए और 1000 रुपए के नोटों को अचानक रात 8 बजे अमान्य कर दिया था. इस मामले में कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम समेत कई लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाते हुए नोटबंदी के फैसले को गलत और त्रुटिपूर्ण बताया था. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मोदी सरकार के फैसले को सही ठहराते हुए नोटबंदी के खिलाफ दायर 58 याचिकाओं को खारिज कर दिया. पांच जजों की संविधान पीठ ने इस पर 4-1 से फैसला सुनाया. न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना इकलौते पीठ सदस्य रहे जिन्होंने इस फैसले को संसद एवं कानून के जरिए किए जाने की बात कही.
आपको बता दें कि, मोदी सरकार के नोटबंदी के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र ने आरबीआई से सलाह लेकर और गहन चर्चा के बाद ही यह फैसला लिया था. शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में कहा कि कार्यपालिका की आर्थिक नीति होने के कारण इस निर्णय को उलटा नहीं जा सकता है. बहुमत का फैसला सुनाते हुए जस्टिस गवई ने कहा कि निर्णय लेने की प्रक्रिया को सिर्फ इसलिए गलत नहीं ठहराया जा सकता क्योंकि प्रस्ताव केंद्र सरकार से आया था. पीठ ने कहा कि आर्थिक नीति के मामलों में काफी संयम बरतना होता है और कार्यपालिका के ज्ञान को अदालत अपने विवेक से नहीं दबा सकती.
कांग्रेस के सारे आरोप निराधार, माफी मांगे राहुल गांधी – बीजेपी
सुप्रीम कोर्ट के नोटबंदी पर आए फैसले के बाद बीजेपी और कांग्रेस नेता एक दूसरे पर हमलावर हो रहे हैं. नोटबंदी पर केंद्र सरकार को क्लीन चिट मिलने के बाद भाजपा ने कांग्रेस पर हमला बोला है. बीजेपी सांसद रवि शंकर प्रसाद ने कहा कि आज सुप्रीम कोर्ट के फैसले से कांग्रेस के सारे आरोप निराधार साबित हुए हैं. प्रसाद ने कहा कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी को देश से माफी मांगनी चाहिए क्योंकि अब ये साबित हो गया है कि सरकार का फैसला देशहित में था. भाजपा नेता ने कहा कि नोटबंदी के विरोध में कांग्रेस ने हंगामा खड़ा कर दिया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने बता दिया है कि फैसला आरबीआई से चर्चा के बाद हुआ है.
नोटबंदी को सफल बताते हुए रविशंकर प्रसाद ने आगे कहा कि नोटबंदी से देश को काफी फायदा हुआ था. नोटबंदी के अगले साल ही टैक्स कलेक्शन में 18 फीसदी की वृद्धि हुई थी और 2.38 लाख शेल कंपनियां भी पकड़ी गई थीं. रविशंकर ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने नोटबंदी की वैधानिकता को चुनौती देने वाली 58 याचिकाओं को अस्वीकार कर साबित कर दिया कि मोदी सरकार का नोटबंदी का फैसला एकदम सही था.
‘सो कॉल्ड फादर ऑफ इंडिया’ (नरेंद्र मोदी) को माफी मांगनी चाहिए – जयराम रमेश
वहीं बीजेपी ने जहां इस फैसले को जनहित का फैसला बताया तो कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सवाल खड़े किए हैं. अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव (संचार) जयराम रमेश ने नोटबंदी पर शीर्ष अदालत के फैसले को भ्रामक और गलत करार दिया है. रमेश ने कहा कि शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में यह नहीं बताया है कि केंद्र के इस फैसले ने घोषित लक्ष्यों को पूरा किया है या नहीं. जयराम रमेश ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने नोटबंदी लागू करने की प्रक्रिया पर फैसला दिया है, इसके परिणामों पर नहीं. नोटबंदी के चलते जो तबाही और बर्बादी हुई है, उसके लिए ‘सो कॉल्ड फादर ऑफ इंडिया’ (नरेंद्र मोदी) को माफी मांगनी चाहिए.
जयराम रमेश ने अपने बयान में कहा, ‘नोटबंदी के फैसले ने आर्थिक विकास की गति को काफी नुकसान पहुंचाया है, इस फैसले के कारण ही देश का MSME सेक्टर सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ. इसके साथ ही इसने अनौपचारिक क्षेत्र को समाप्त ही कर दिया, जिसके कारण लाखों लोगों की आजीविका चली गई. शीर्ष अदालत ने सिर्फ यह कहा है कि 8 नवंबर को नोटबंदी की घोषणा से पहले 1934 की आरबीआई अधिनियम की धारा 26(2) को सही तरीके से लागू किया गया था या नहीं.’
जयराम रमेश ने आगे ये भी कहा कि अदालत ने विमुद्रीकरण के प्रभावों के बारे में कुछ नहीं कहा, जो कि एक विनाशकारी फैसला था. जबकि एक माननीय न्यायाधीश ने इस फैसले में असहमति व्यक्त करते हुए कहा है कि इस मामले में संसद को दरकिनार नहीं किया जाना चाहिए था.
फैसले का असहमति हिस्सा अनियमितताओं की ओर करता है इशारा – चिदंबरम
कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने भी फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा कि फैसले का असहमति हिस्सा अनियमितताओं की ओर इशारा करता है. चिदंबरम ने एक बयान में कहा, ‘एक बार माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने कानून घोषित कर दिया है, हम इसे स्वीकार करने के लिए बाध्य हैं. हालांकि, यह इंगित करना जरूरी है कि बहुमत ने निष्कर्ष निकाला कि घोषित उद्देश्यों को नोटबंदी से हासिल नहीं किया गया था.’
चिदम्बरम ने कहा कि वास्तव में, बहुमत ने इस सवाल को स्पष्ट कर दिया है कि क्या उद्देश्यों को हासिल किया गया था. हम खुश हैं कि अल्पमत के फैसले ने नोटबंदी में अवैधता और अनियमितताओं की ओर इशारा किया है. यह सरकार के लिए चेतावनी है, लेकिन यह स्वागत योग्य है. पूर्व वित्तमंत्री ने कहा कि असहमति का फैसला माननीय सर्वोच्च न्यायालय के इतिहास में दर्ज प्रसिद्ध असहमतियों में शामिल होगा.
भविष्य में दिेखेगा नोटबंदी का असर – मंत्री बालगोपाल
इसी कड़ी में केरल के वित्त मंत्री के.एन. बालगोपाल की टिप्पणी सामने आई, जिसमें उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले में सिर्फ कानूनी और तकनीकी पहलुओं पर गौर किया है. मंत्री बालगोपाल ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने केवल निर्णय लेने की प्रक्रिया के कानूनों पहलुओं की जांच की लेकिन तथ्य यह है कि वाणिज्यिक, सेवा, कृषि समेत विभिन्न क्षेत्रों पर विमुद्रीकरण का प्रतिकूल प्रभाव जारी रहा.
बालगोपाल ने कहा कि नोटबंदी का असर भविष्य में भी दिखेगा. साथ ही उन्होंने कहा कि फैसला सुनाने वाली संवैधानिक पीठ के न्यायाधीशों के विचारों में भी अंतर था क्योंकि उनमें से एक न्यायाधीश ने कहा था कि कानून के जरिए नोटबंदी को किया जाना चाहिए था.