गांधी जयंती विशेष: बापू के कहे गए ये 15 वचन बदल सकते हैं आपकी ज़िन्दगी
October 2, 2021
- आज राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की है 152वीं जयंती, अहिंसा दिवस के तौर पर दुनियाभर में मनाई जाती है गांधी जयंती, इन नियमों को जीवन में करें आत्मसाध
GandhiJyantiSpecial. एक साधारण व्यक्ति कितना असाधारण हो सकता है, इसका प्रमाण हैं भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी. भारत के स्वतंत्रता-संघर्ष के सूत्रधार और पूरे विश्व में सत्य एवं अहिंसा के प्रेरणास्रोत महात्मा गांधी की आज 152वीं जयंती है. 2 अक्टूबर, 1869 में गुजरात के पोरबंदर में पैदा हुए मोहनदास करमचंद गांधी को पूरी दुनिया अहिंसा के पुजारी के रूप में पूजती है. हालांकि आज के बदले हुए दौर में युवा पीढ़ी बापू की कई बातों से सरोकार नहीं रखती लेकिन उनके बताए कुछ नियम आज भी जीवन के प्रासंगिकता को बयां करती हैं.
आज गांधी जयंती के इस खास मौके पर जानते हैं उनके सिखाए इन 15 नियमों को..
- व्यक्ति की पहचान उसके कपड़ों से नहीं बल्कि उसके चरित्र से होती है.
- आजादी का कोई मतलब नहीं, यदि इसमें गलती करने की आजादी शामिल ना हो.
- अधभूखे राष्ट्र के पास न कोई धर्म, न कोई कला और न ही कोई संगठन हो सकता हैं.
- ऐसे जिएँ जैसे कि आपको कल मरना हैं और सीखे, ऐसे जैसे आपको हमेशा जीवित रहना हैं.
- पहले वह आप पर ध्यान नहीं देंगे, फिर आप पर हंसेंगे, फिर आपसे लड़ेंगे और तब आप जीत जाएंगे.
- प्रसन्नता ही एकमात्र ऐसा इत्र हैं जिसे आप दूसरों पर छिड़कते हैं तो कुछ बुँदे आप पर भी पड़ती हैं.
- आप जो भी करते हैं वह कम महत्वपूर्ण हो सकता हैं लेकिन सबसे महत्वपूर्ण हैं कि आप कुछ करें.
- एकमात्र वास्तु जो हमें पशु से भिन्न करती हैं – वह हैं सही और गलत के मध्य भेद करने की क्षमता जो हम सभी में समान रूप से विद्यमान हैं.
- डर शरीर की बिमारी नहीं है, यह आत्मा को मारता हैं.
- अहिंसा इस दुनियां की सबसे बड़ी ताकत हैं. यह दुनियां को मिटने के लिए मानव द्वारा निर्मित हथियारों से कही गुना शक्तिशाली हैं.
- अपनी बुराई हमेशा सुने लेकिन अपनी तारीफ़ कभी ना सुने.
- आंख के बदले आंख, पूरे विश्व को अंधा बना देगी.
- अपने आप को जीवन में ढूंढना हैं तो लोगो की मदद में खो जाओ.
- शक्ति दो प्रकार की होती हैं. एक काम होता हैं डंडा दिखा के, तो दूसरा काम किया जाता हैं प्यार दिखा के. प्यार की शक्ति इसमें सबसे ज्यादा प्रभावशाली और शक्तिशाली होती है.
- विश्वास करना एक गुण हैं, अविश्वास दुर्बलता की जननी हैं.
सरकार के नियम-कायदे केवल जनता के लिए, बाकी के लिए 100 खूब माफ!