मदर्स डे स्पेशल – यूं तो मैं बड़ा हो गया हूं लेकिन दूर जब मां से होता हूं..

NewsBreathe_Special. आज मदर्स डे है यानि मां को याद करने का एक खास दिन, जो रहे न रहे मां के साथ बिताए उन हसीन पलों को यादों में ताजा कर देता है. ‘मां’ इस एक शब्द में पूरी कायनात बसी हुई है. वजन ​इतना कि पहाड़ों से भी भारी और अनंत इतना कि आकाश भी छोटा पड़ जाए. इतना विशाल कि शब्दों का असीम भंडार भी उसे पूरा कर न कर पाए. क्या लिखें मां के बारे में, कुछ समझ नहीं आता. बावजूद इसके इन शब्दों में मां के यादों को पिराने की कोशिश भर की है…

कोई और झुलाता है झूले, मैं तो भी रो जाता हूं।
मैं तो बस अपनी माँ की थपकी पाकर ही सो पाता हूं।
कुछ ऐसा रिश्ता है मेरा मेरी मां से,
दर्द वो ले लेती है सारे और मैं बस मुस्कुराता हूं।।

यूं तो जमाने के नजरों में मैं बड़ा हो गया हूं,
पर दूर जब माँ से होता हूं तो रो जाता हूं।
चारदीवारी से घिरा वो कमरा बिन तेरे घर नहीं लगता।
मैं हर रोज अपने ही कमरें में मेहमान हो जाता हूं।।

जब भी ज़माना मुझे कमजोर करने की कोशिश करता है,
याद करके तुझे मजबूत बन जाता हूं।
जब सोचता हूं कुर्बानियां तेरी,
आंसुओं के समंदर में खो जाता हूं।।

मैं रात-रात भर जागता ही रहता हूं मां।
अब तेरे आंचल में छुपकर कहां सो पाता हूं।
कुछ ऐसा रिश्ता है मेरा मेरी मां से,
दर्द वो ले लेती है सारे और मैं बस मुस्कुराता हूं।।

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