राजस्थान उपचुनाव: न कांग्रेस जीती न बीजेपी हारी, जिसके पास जो था वो ही उसके हिस्से में आया

राजस्थान में 3 सीटों पर हुए उपचुनावों में न कांग्रेस जीती न बीजेपी हारी। हम इसलिए ये बात कह रहे हैं क्योंकि जिसके पास जो था वो ही उसके हिस्से में आया। यानी उपचुनाव से पहले जो 2 सीट कांग्रेस के पास थी, वे वापस सत्तादल के पास आ गई जबकि बीजेपी की किरण माहेश्वरी के निधन से खाली हुई सीट पर उनकी बेटी दीप्ति माहेश्वरी ने पार्टी की ओर से जीत दर्ज की। सभी सीटों पर परिवार जन को टिकट दिए गए थे जिसकी सिम्पैथी उन्हें मिली। सहाड़ा से कांग्रेस की गायत्री देवी और राजसमंद से भाजपा की दीप्ति माहेश्वरी जीतीं ने जीत दर्ज की है. सुजानगढ़ में कांग्रेस के मनोज मेघवाल ने बड़ी जीत दर्ज की है. 

सुजानगढ़ और सहाड़ा में कांग्रेस ने भारी मतों से जीत दर्ज की है. वहीं राजसमंद में कांग्रेस ने बीजेपी के गढ़ में सेंध लगाने की कोशिश की और दमदार तरीके से चुनाव लड़ा. भारी मतों से जीत को गहलोत सरकार के काम पर जनता की मुहर माना जा रहा है. साथ ही कोरोना संकट के दौरान गहलोत ने फ्रंट से मोर्चा खेला है इसका भी चुनाव में फल मिला है.

सहाड़ा में कांग्रेस ने बड़ी जीत दर्ज की है. यहां कांग्रेस की गायत्री देवी ने करीब 42 हजार वोटों से भाजपा के डॉ. रतन लाल जाट मात दी. सहाड़ा से पूर्व विधायक कैलाश त्रिवेदी की पत्नी को कांग्रेस ने मैदान में उतारा था. सहाड़ा में कांग्रेस ने सहानुभूति का कार्ड खेला. सहाड़ा में भाजपा के बागी लादूलाल पितलिया को जबरन चुनावी मैदान से हटने के लिए बाध्य करने के विवाद से भाजपा को भारी नुकसान हुआ है. पितलिया के मन में चुनाव न लड़ने देने की टीस के वायरल ऑडियो से भाजपा को ही नुकसान हुआ. सहाड़ा विधानसभा उपचुनाव में चिकित्सा मंत्री डॉ. रघु शर्मा की प्रतिष्ठा दांव पर थी. यहां प्रभारी धर्मेन्द्र सिंह राठौड़, हरिमोहन शर्मा और रामसिंह कस्वा की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी थी. साथ ही भीलवाड़ा से लोकसभा चुनाव लड़ चुके खेल मंत्री अशोक चांदना की साख भी दांव पर थी, लेकिन रघु शर्मा, धर्मेन्द्र राठौड़, अशोक चांदना ने ग्राउंड पर मोर्चा संभाल कांग्रेस को जीत दिलाई.

राजसमंद सीट बीजेपी का गढ़ मानी जाती है. यहां की जनता ने दिवंगत विधायक किरण माहेश्वरी की बेटी दीप्ति को अपनी बेटी मान भरपूर समर्थन दिया. वहीं राजसमंद में अपनी पहचान बनाने में कांग्रेस प्रत्याशी तनसुख बोहरा नाकाम रहे. यहां बीजेपी का सहानुभूति कार्ड सफल रहा. इसके साथ ही पूर्व मंत्री और विधायक गुलाबचंद कटारिया के महाराणा प्रताप पर दिए विवादित बयान का भी कोई नुकसान दीप्ति को नहीं उठाना पड़ा. इस सीट पर कांग्रेस की तरफ से चुनाव की कमान सहकारिता मंत्री उदयलाल आंजना और खान मंत्री प्रमोद जैन भाया के हाथ में थी और दोनों ने जमकर मेहनत भी की है. संगठन प्रभारी के नाते पुष्पेन्द्र भारद्वाज, आशीष परेवा और मुकेश वर्मा भी इनके साथ मौजूद रहे, लेकिन कांग्रेस को जीत नहीं दिलवा पाए.

सुजानगढ़ से कांग्रेस के मनोज मेघवाल भारी मतों से जीते हैं. सुजानगढ़ से पांच बार चुनाव जीतने का रिकार्ड बनाने वाले मास्टर भंवरलाल मेघवाल के बेटे मनोज मेघवाल अब पिता की राजनीतिक सत्ता संभालेंगे. सुजानगढ़ के इस चुनाव में RLP ने उपस्थिति दर्ज करवाई है. मतगणना की शुरुआत में RLP के उम्मीदवार सीताराम नायक ने जोरदार प्रदर्शन किया. लेकिन मतगणना के अंत तक वो तीसरे नंबर पर आ गए. सुजानगढ़ विधानसभा सीट पर खुद पीसीसी चीफ गोविन्द सिंह डोटासरा की प्रतिष्ठा दांव पर थी. वहीं प्रभारी मंत्री भंवर सिंह भाटी की प्रतिष्ठा भी इस सीट से जुड़ी थी. डोटासरा और भाटी ने कार्यकर्ताओं को मोबलाइज किया और कांग्रेस को जीत दिलाई, वहीं संगठन प्रभारी के तौर पर मंगलाराम गोदारा, डूंगरराम गेदर, नौरंग वर्मा, पूर्व मंत्री नसीम अख्तर, विधायक नरेन्द्र बुडानिया, कृष्णा पूनिया ने भी मोर्चा संभाला. साथ ही रफीक मंडेलिया, पूसाराम गोदारा, भंवरलाल पुजारी और रेहाना रियाज लगातार चुनावी मैनेजमेंट में सक्रिय रहे.

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