कृषि कानूनों पर बवाल थमा नहीं, अब मोदी सरकार लाई कृषि सेस
- वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में पेश किया आम बजट 2021-22, टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं, पेट्रोल और डीजल पर कृषि सेस वसूलेगी मोदी सरकार
NewsBreatheTeam. केंद्र की मोदी सरकार अभी तक तीन कृषि कानूनों पर हो रहे बवाल को नियंत्रित कर नहीं पाई और अब एक और नया बवाल कृषि सेस लाने की तैयारी कर रही है. केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने आज लोकसभा में आम बजट 2021-22 को पेश किया जिसमें केंद्र सरकार द्वारा पेट्रोल और डीजल पर कृषि सेस लगाया गया है. पेट्रोल पर ढाई रुपये और डीजल पर चार रुपये का सेस यानि टेक्स लगाया गया है. बीते साल केंद्र सरकार द्वारा लाए गए कृषि कानूनों के विरोध में किसान पिछले 67 दिन से आंदोलन कर रहे हैं.
इतने बवाल और 150 से अधिक किसानों के जान से हाथ धोने के बाद सरकार इन कानूनों को किसान हितार्थ बताते हुए कानूनों को वापिस लेने से साफ इंकार कर चुकी है. ऐसे में पेट्रोल डीज़ल पर कृषि सेस का आना आंदोलन में घी डालने का काम करते दिख रहा है.
हालांकि, केंद्र सरकार द्वारा कहा गया है कि ये सेस यानि टेक्स केवल कंपनियों को ही देय होगा और आम लोगों पर इसका कोई असर नहीं होगा. लेकिन भूलना नहीं चाहिए कि कुछ सालों पहले एमआरपी को भी इसी तरह से प्रमोट किया गया था कि इसका ग्राहकों पर कोई असर नहीं पड़ेगा लेकिन हुआ इसका उलटा. कुछ समय के बाद सामान के दाम बढ़ते गए और ग्राहकों को ही इसका मूल्य चुकाना पड़ा.
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ऐसा ही कुछ पेट्रोल-डीज़ल की प्रति दिन घटने बढ़ने वाली कीमतों को लेकर हुआ. जब केंद्र सरकार ने पेट्रोल-डीज़ल की कीमतों को प्रति दिन के हिसाब से निर्धारित किया तो जनता को लगा कि ये फायदे का सौदा होगा लेकिन हुआ उल्टा. कुछ दिन दाम घटे लेकिन उसके बाद बढ़ते गए. आलम ये है कि पिछले 6 सालों में पेट्रोल-डीज़ल के दाम करीब 35 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से बढ़े हैं. कुछ महीनों पहले तक तो पेट्रोल-डीज़ल के दाम एक समान हो गए थे. लॉकडाउन से लेकर दिसम्बर तक के बीच पेट्रोल-डीज़ल के दाम 28 बार बढ़ाए गए हैं और केवल 9 बार घटे हैं. इस दौरान बिहार चुनावों के चलते करीबन ढाई महीने तक पेट्रोल के दामों को स्थिर रखा गया था.
पेट्रोल-डीज़ल पर बढ़ रहे ये दाम तब हैं जब अंतराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमत प्रति बैरल अब तक के सबसे निम्न स्तर पर है. लॉकडाउन में जब पेट्रोल-डीज़ल महंगा हुआ तो सरकार के कुछ नुमाइंदों ने तो यहां तक कह दिया कि लॉकडाउन लगने से लोगों पर आने जाने से पड़ने वाला पेट्रोल—डीज़ल के दामों का भार नहीं पड़ेगा लेकिन दाम कभी कम नहीं हुए.
अब पेट्रोल-डीज़ल पर कृषि सेस का ये खेल क्या गुल खिलाएगा, देखने वाली बात होगी. नए कुछ खास नहीं मिला है. वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण की ओर से टैक्स स्लैब में कोई भी बदलाव नहीं किया गया है. ऐसे में मिडिल क्लास को बजट से पहले जितनी भी उम्मीदें थी, वो धरी के धरी रह गई हैं. हालांकि 75 साल से अधिक उम्र वाले सीनियर सिटीजन को अब टैक्स में राहत दी गई है. अब 75 साल से अधिक उम्र वालों कों ITR नहीं भरना होगा. हालांकि, ये सिर्फ पेंशन लेने वालों को लाभ मिलेगा.
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मोबाइल उपकरण पर कस्टम ड्यूटी को 2.5 फीसदी तक बढ़ा दिया गया है. कॉपर और स्टील सहित सोना-चांदी से भी कस्टम ड्यूटी को घटाया गया है. स्टार्ट अप को जो टैक्स देने में शुरुआती छूट दी गई थी, उसे अब 31 मार्च, 2022 तक बढ़ा दिया गया है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में कहा कि राजकोषीय घाटा को 6.8 फीसदी तक रहने का अनुमान है. इसके लिए सरकार को 80 हजार करोड़ की जरूरत होगी, जो अगले दो महीनों में बाजार से लिया जाएगा.
कुछ मिलाकर कहा जाए तो मिडिल क्लास वालों के लिए पिछली बार की तरह इस बार भी थोड़ी बहुत राहत भी नहीं दी गई है. महंगाई दर बढ़ने की पूरी पूरी उम्मीद है. रोजगार को लेकर ज्यादा कुछ नहीं है बस रटे रटाए शब्दों को नए अंदाज में पेश किया गया है.