घनश्याम तिवाड़ी की घर वापसी वसुंधरा खेमे के लिए है बडा झटका!
- राजस्थान की सबसे बडी खबरः घनश्याम तिवाड़ी की हुई घर वापसी, फिर थामा बीजेपी का दामन, बागियों की घर वापसी वसुंधरा राजे के लिए खडी कर सकता है मुश्किलें विरोधी खेमा फिर से राजे के खिलाफ हो सकता है खडा
NewsBreatheTeam. राजस्थान की राजनीति में सफेद टाइगर के नाम से मशहूर पूर्व मंत्री घनश्याम तिवाड़ी (Ghanshyam Tiwari) की ढाई साल बाद घर वापसी हुई है. करीब 23 महीने पहले घनश्याम तिवाड़ी ने कांग्रेस का हाथ थामा था लेकिन संघ से जुडे तिवाडी को कांग्रेस पसंद नहीं आई और अब फिर से उन्हें अपना घर याद आया और वे शनिवार को फिर से बीजेपी में शामिल हो गए. घनश्याम तिवाड़ी कभी बीजेपी के दिग्गज और कद्दावर नेता माने जाते थे लेकिन वसुंधरा राजे से अदावत के चलते उन्होंने 2018 में विधानसभा चुनावों से कुछ महीनों पहले बीजेपी से किनारा कर अपनी पार्टी बनाई. विस में उनकी पार्टी बुरी तरह से हारी. यहां तक वे अपनी सीट तक नहीं बचा सके. उसके बाद उन्होंने कांग्रेस का दामन भी थामा लेकिन संघ पृष्ठभूमि वाले घनश्याम तिवाड़ी कहीं अपना मन नहीं लगा सके और फिर से अपने पुराने घर लौट आए.
घनश्याम तिवाड़ी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का करीबी माना जाता है और उनका फिर से पार्टी से वापसी करना पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के खेमे के लिए एक बडा झटका है. घनश्याम तिवाड़ी के पार्टी में लौटने के बाद पूर्व सांसद मानवेंद्र सिंह के भी घर वापसी की अटकलें लगाई जा रही हैं.
जयपुर की सांगानेर विधानसभा से लगातार तीन बार विधायक रहे घनश्याम तिवाड़ी का कद भैंरोसिंह शेखावत के काल से इतना बडा था कि उन्हें भैंरोसिंह के राजनीतिक उत्तराधिकारी के तौर पर देखा और माना जाता था. लेकिन उसी दौर में वसुंधरा राजे की राजनीतिक नजदीकियां भैंरोसिंह से इतनी बढ गई कि 2003 में वसुंधरा राजे को राजस्थान की पहली महिला मुख्यमंती बनने का सौभाग्य मिला. यहीं से घनश्याम तिवाड़ी और वसुंधरा राजे की अदावत शुरु हो गई जो 20 सालों में कभी समाप्त नहीं हुई.
राजे सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे तिवाडी की वसुंधरा राजे से वैचारिक लडाई के चलते ही उन्होंने साल जून, 2018 में भारतीय जनता पार्टी से त्यागप देकर अपनी खुद की ‘भारत वाहिनी पार्टी’ भी बनाई लेकिन उनकी पार्टी का कोई भी सदस्य अपनी जमानत तक नहीं बचा सका. वे खुद राजस्थान विधानसभा चुनाव में जयपुर की सांगानेर सीट से केवल दो हजार वोट हासिल कर सके और बीजेपी के अशोक लाहौटी के सामने चुनाव हार बैठे.
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इसके बाद मार्च 2019 में लोक सभा चुनाव से ठीक पहले घनश्याम तिवाड़ी ने जयपुर में हुई राहुल गांधी की रैली में कांग्रेस का दामन थाम लिया. लेकिन यहां भी तिवाड़ी के लिए माहौल घुटन भरा रहा. कांग्रेस ने तिवाड़ी को शामिल भले ही किया हो लेकिन तिवाड़ी कभी भी खुद को कांग्रेस की विचारधारा से जोड़ नहीं सके. आपातकाल में जेल जा चुके तिवाड़ी हमेशा से राष्ट्रीय संघ सेवक से जुड़े रहे इसलिए कांग्रेस में उनका गुज़ारा मुश्किल ही था. जैसे तैसे कर तिवाड़ी ने कांग्रेस के साथ क़रीब पौने दो साल गुज़ारे लेकिन इस दौरान तिवाड़ी कभी भी कांग्रेस के किसी कार्यक्रम या सार्वजनिक समारोह में नज़र नहीं आए.
पिछले कुछ दिनो से घनश्याम तिवाड़ी की बीजेपी में वापसी की अटक़ले ज़ोरों पर थी. बताया जाता है कि पीएम नरेंद्र मोदी ने भी कुछ महीने पहले राजस्थान के एक सांसद से मुलाक़ात के समय उनसे पूछा था कि तिवाड़ी जी का मन लग रहा है क्याघ् इस पर इस सांसद ने पीएम को बताया कि तिवाड़ी जी का मन नहीं लग रहा कांग्रेस में. बस यही से तिवाड़ी की घर वापस आने की प्रक्रिया भी शुरू हो गई थी. आज बीजेपी मुख्यालय में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया समेत अन्य नेताओं की मोजूदगी में तिवाड़ी वापस पार्टी में शामिल हो गए. इससे पहले बीजेपी की बागी नेता पूर्व मंत्री ऊषा पूनिया और सुरेंद्र गोयल की घर वापसी हो चुकी है- घनश्याम तिवाड़ी के पार्टी में लौटने के बाद पूर्व सांसद मानवेंद्र सिंह के भी घर वापसी की अटकलें लगाई जा रही हैं.
घनश्याम तिवाड़ी के प्रधानमंत्री मोदी के साथ बरसों पुराने नज़दीकी संबंध हैं और संघ भी उनकी घर वापसी चाहता था. तिवाड़ी की घर वापसी को वसुंधरा ख़ेमे के लिए एक तगड़ा झटका माना जा रहा है. दरअसल तिवाड़ी ने बीजेपी से बाहर रहकर ढाई साल तक सिर्फ़ और सिर्फ़ वसुंधरा राजे से लोहा लिया. वो अपने पार्टी से बाहर होने की वजह भी वसुंधरा राजे को ही बताते रहे. ऐसे में अगर केंद्र ने फिर से तिवाड़ी को पार्टी में वापस शामिल किया है तो ये एक साफ़ संदेश है कि अब वसुंधरा राजे को राजस्थान में पहले जैसा ताकतवर नहीं समझा जाए. कुल मिलाकर तिवाड़ी की घर वापसी एक बात का तो साफ़ संकेत है कि राजस्थान में वसुंधरा राजे के पुराने दिन तो अब शायद ही वापस आएं.