नेपाल का विवादित नक्शा पास होने पर बोली नेपाली सांसद ‘कहीं बांग्लादेश न बन जाए नेपाल’

नेपाली संसद में पास विवादित नक्शे में भारत के कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा हिस्सो को अपना बताया नेपाल ने, काठमांडू में हो रहा फैसले का विरोध, जनता समाजवादी पार्टी कर रही विरोध

न्यूज़ ब्रीथ टीम नेपाली संसद में नेपाल का विवादित नक्शा जिसमें भारत के तीन क्षेत्रों को दर्शाया गया है, के पास होने पर भारत के साथ साथ नेपाल में भी खासा विरोध है. संसद शुरु होने के थोड़ी देर बाद ही एक महिला सांसद सरिता गिरी को वहां से निकलना पड़ा. बाहर आकर महिला सांसद ने पत्रकारों के सामने अपना गुस्सा जाहिर करते हुए कहा कि इस सदन में एक महिला का अपमान किया गया है. उसकी आवाज को दबाने की कोशिश की गई है. विपक्ष की बातों को अनसुना किया जा रहा है.

गिरी ने चेतावनी देते हुए कहा कि नेपाल में जो बर्ताव उनके साथ किया जा रहा है उससे नेपाल की हालत बांग्लादेश जैसी हो सकती है. महिलाओं को अपमान करने के कारण ही बांग्लादेश का जन्म हुआ था. उन्होंने कहा कि जब जातीय भावना में राष्ट्रीयता को मिलाया जाता है और किसी असहमत पक्ष के ऊपर आक्रमण किया जाता है तो इसका परिणाम राष्ट्रीय एकता के लिए ठीक नहीं निकलता है.

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सरिता गिरि शुरुआत से ही नेपाल सरकार के इस कदम का खुलकर विरोध कर रही हैं. सांसद ने खुलेआम संविधान संशोधन का विरोध किया था. सरकार द्वारा नए नक्शे को संविधान का हिस्सा बनाने के लिए लाए गए संविधान संशोधन प्रस्ताव पर अपना अलग से संशोधन प्रस्ताव डालते हुए जनता समाजवादी पार्टी की सांसद सरिता गिरि ने इसे खारिज करने की मांग की थी.

इधर, भारत ने नेपाल के इस कदम पर कहा कि नेपाल की ओर से किया गया दावा मान्य नहीं है. विदेश मंत्रालय ने कहा है कि नेपाल का दावा ऐतिहासिक तथ्य या सबूतों पर आधारित नहीं है और न ही इसका कोई मतलब है.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि नेपाल का ये कदम बातचीत से सीमा विवाद सुलझाने के नियम का उल्लंघन है. अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि हमने ध्यान दिया है कि नेपाल की संसद में नक्शे में संशोधन का प्रस्ताव पास हुआ है. हमने इस मामले पर अपनी स्थिति पहले ही स्पष्ट कर दी है.

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बता दें, शनिवार को नेपाल की संसद में विवादित नक्शे में संशोधन का प्रस्ताव पास हो गया है. नए नक्शे में भारत के तीनों हिस्से कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा को शामिल किया गया है. 275 सदस्यों वाली नेपाली संसद में इस विवादित बिल के पक्ष में 258 वोट पड़े. भारत के साथ साथ नेपाल की राजधानी काठमांडू में भी नेपाली सरकार के इस फैसले का विरोध हो रहा है.

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