मुख्यमंत्री के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में मंत्रीगणों की पीड़ाएं सार्वजनिक होना कमजोर लोकतंत्र का संकेत: राजेंद्र राठौड

न्यूज़ ब्रीथ टीम। राजस्थान विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने कहा है कि वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के संबंध में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा विधायक-सांसदों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में चर्चा के दौरान जब मंत्रिमंडल के सदस्यों द्वारा ही अपनी ही सरकार को पीड़ा सुनाई जा रही है, मांगें रखी जा रही है उससे स्पष्ट होता है कि मौजूदा सरकार में अपने मंत्रिमंडल के सदस्यों के साथ ही चर्चा नहीं की जाती है।

उपनेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सरकार मंत्रिमंडल के सदस्यों से मिलकर ही बनती है और सरकार को चलाने का सामूहिक उत्तरदायित्व होता है। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में मुख्यमंत्री जी के समक्ष सरकार के मंत्रियों की मांगें व पीड़ा उभर कर आना, इस बात का स्पष्टीकरण है कि मंत्रिमंडल में स्वस्थ लोकतंत्र की तरह आंतरिक लोकतंत्र नहीं है और मंत्रियों के साथ चर्चा नहीं की जाती है, विचार-विमर्श नहीं होता है।उपनेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सरकार के मंत्रियों की पीड़ा सुनकर निश्चित तौर पर लगता है कि ये पूरी सरकार एकाकी है और मंत्रीगण गौण होते जा रहे हैं। ये स्वस्थ लोकतंत्र का संकेत नहीं है कि इससे लोकतंत्र कमजोर होता है। राठौड़ ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से निवेदन करते हुए कहा कि वे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग या बैठक किसी भी तरह से अपने मंत्रिमंडल की बैठक बुलाएं और मंत्रियों के साथ चर्चा जरूर करें ताकि इन्हें अपनी पीड़ा सार्वजनिक तौर पर उजागर करने का अवसर नहीं मिले।

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