आखिर मिल ही गया निर्भया को इंसाफ, फंदे से झूले चारों दोषी

सात साल पुराने मामले में दोषियों को मिली सजा-ए-मौत, सीमा कुशवाहा ने बिना फीस लिए लड़ा निर्भया का केस, अंतिम दिन तक फांसी को टालने की होती रही कोशिश

न्यूज ब्रीथ टीम।। भले ही सात बात ही सही लेकिन देर आए दुरूस्त आए. आखिरकार निर्भया के दोषियों को सजा-ए-मौत मिल ही गई. आज सुबह ठीक 5:30 बजे चारों दोषियों को जल्लाद ने तिहाड़ में फांसी के फंदों से लटका दिया. वे तब तक लटके रहे जब तक उनकी अंतिम सांस न निकल गई. इस फांसी के बाद जहां देशभर में निर्भया के दोषियों को सजा होने की खुशी है, वहीं देश में दुष्कर्म के अपराधियों में डर है. उन अपराधियों के मन भी उथल पुथल मची हुई है जिन्हें किसी न किसी मामले में फांसी की सजा सुनाई जा चुकी है लेकिन किसी वजह से हो नहीं रही. खैर जो भी हो, निर्भया को इंसाफ मिल ही गया.

16 सितम्बर, 2012 की वो काली रात भुलाए नहीं भूलती जब 6 वहशी दरिंदों ने एक दोस्त के सामने निर्भया के शरीर को गिद्दों की तरह नोच नोच कर खाया. दुष्कर्म के बाद दरिंदगी खत्म नहीं हुई कि उसकी ऐसी पिटाई की कि उसकी आंतड़ियां तक बाहर निकल आई. बाद में भरी ठंड में बिना कपड़ों के दोनों को चलती बस से नीचे फेंक दिया. 25 दिसम्बर को इलाज के दौरान निर्भया की मौत हो गई.

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सात साल तक ये मामला निचली कोर्ट से होता हुआ हाई कोर्ट और बाद में सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया. 2017 में फांसी की सजा सुनाए जाने के बाद भी ये मामला कहीं न कहीं कानून पचड़े में फंसा रहा. दो साल निकलने के बाद कहीं जाकर 16 जनवरी, 2020 को वो घड़ी आई जब पहला डेथ वारंट जारी हुआ. दोषियों को 22 जनवरी को फांसी तय हुई लेकिन दोषियों के वकीलों ने बड़ी खूबी से फांसी से 48 घंटे पहले दया याचिका लगा डेथ वारंट टलवा दिया. उसके बाद 2 फरवरी को दूसरा और 2 मार्च को तीसरा डेथ वारंट जारी हुआ लेकिन याचिकाओं के चलते रद्द हो गए.

चौथा डेथ वारंट 20 मार्च के लिए तय हुआ. 19 मार्च की आधी रात तक दोषियों के वकील एपी सिंह दिल्ली की कोर्ट में याचिका दाखिल कराते रहे ताकि डेथ वारंट पर कैसे भी रोक लग सके. थककर खुद जज ने ही पूछ लिया कि आप ही बता दीजिए कि अब किस तरह डेथ वारंट पर रोक लगा दी जाए. आखिरकार 20 मार्च सुबह 5:30 बजे दोषियों को अपने कर्मों की सजा मिल ही गई. बता दें, 6 दोषियों में से 4 को फांसी के फंदे पर चढ़ाया गया. एक दोषी ने कुछ सालों पहले जेल में ही आत्महत्या कर ली थी और दूसरा नाबालिग होने के चलते 2016 में बाल सुधार गृह में 16 महीने की सजा काट रिहा हो चुका है.

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यहां तारीफ करनी होगी निर्भया की वकील सीमा कुशवाहा की जिन्होंने सात साल हर अदालत में इस केस को बिना फीस के लड़ा और अंत तक देश की बेटी को न्याय दिलाने के लिए संघर्ष किया. इस केस को अंजाम तक पहुंचाकर उन्होंने एक मिसाल कायम की है. वहीं सलाम है उस मां को जिसने आस नहीं छोड़ी और अंत तक अपने आपको हिम्मत दी और अंत में विजयश्री हासिल की.

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