जस्टिस एस. मुरलीधर के ट्रांसफर को कांग्रेस ने बताया ‘हिट एंड रन’ केस
भड़काऊ बयान देने वाले नेताओं की सुनवाई कर रहे जज के तबादले पर कांग्रेस नेता सुरजेवाला राहुल-प्रियंका ने उठाया सवाल
दिल्ली हिंसा के बीच भड़काऊ बयान देने वाले नेताओं की सुनवाई कर रहे दिल्ली हाई कोर्ट के जज एस.मुरलीधर के ट्रांसफर पर कांग्रेस हमलावर हो रही है. जस्टिस एस. मुरलीधर को दिल्ली हाईकोर्ट से पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ट्रांसफर कर दिया गया है. पार्टी प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने आरोप लगाया कि ऐसा लग रहा है कि देश में न्याय करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा. साथ ही इसे ‘हिट एंड रन’ केस बताते हुए मोदी सरकार से तीन सवाल पूछे हैं. वहीं केंद्रीय कानून मंत्री ने जस्टिस एस.मुरलीधर के तबादले पर कोलेजियम की सिफारिश का हवाला दिया है.
एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि भाजपा के विषैले और भड़काऊ बयान देने वाले नेताओं के खिलाफ सुनवाई कर रहे दिल्ली हाइकोर्ट के वरिष्ठ जज एस. मुरलीधर का रातों-रात तबादला कर दिया गया. उन्होंने इस मुद्दे की तुलना तुलना हिट एंड रन केस से की. इसके साथ ही कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह पर निशाना साधते हुए उनपर तीन सवाल दागे और हिंसा पर जवाब मांगा.
- क्या आपको यह डर था कि यदि आपकी पार्टी के नेताओं की स्वतंत्र व निष्पक्ष जांच की जाएगी, तो दिल्ली की हिंसा, आतंक व अफरा-तफरी में आपकी खुद की मिलीभगत का पर्दाफाश हो जाएगा?
- निष्पक्ष व प्रभावशाली न्याय सुनिश्चित किए जाने से रोकने के लिए आप कितने जजों का ट्रांसफर करेंगे?
- क्या आपके पास अपनी ही पार्टी के नेताओं द्वारा दिए गए विषैले बयानों को उचित ठहराने का कोई रास्ता नहीं था, इसलिए आपने उस जज का ही ट्रांसफर कर दिया, जिसने पुलिस को आपकी पार्टी के नेताओं की जांच करने का आदेश दिया था?
सुरजेवाला ने कहा कि बीजेपी सरकार की न्यायपालिका पर अनर्थक दबाव बनाने तथा बदला लेने का यह पहला मामला नहीं है. गुजरात दंगों में पीएम मोदी-अमित शाह के खिलाफ वकील रहे सुप्रीम कोर्ट के प्रसिद्ध सीनियर एडवोकेट गोपाल सुब्रमण्यम की नियुक्ति को मोदी सरकार ने जबरन रोक दिया व सुप्रीम कोर्ट कॉलिजियम के आदेशों की परवाह नहीं की. कांग्रेस प्रवक्ता ने उत्तराखंड का मसला भी उठाया.
सुरजेवाला के साथ पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी ने भी ट्वीट कर इस मुद्दे पर सवाल उठाया. प्रियंका गांधी ने ट्वीट कर लिखा, ‘न्यायमूर्ति मुरलीधर की आधी रात के स्थानांतरण को मौजूदा विवाद को देखते हुए चौंकाने वाला नहीं है, लेकिन यह प्रमाणित रूप से दुखद और शर्मनाक जरूर है’.
जस्टिस मुरलीधर के तबादले पर विपक्षी दल कांग्रेस ने सरकार पर सवाल खड़े किए तो केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने इसका जवाब दिया. कानून मंत्री ने कहा कि कोलेजियम ने 12 फरवरी को जस्टिस एस. मुरलीधर के तबादले की सिफारिश की थी. इसके बाद पूरी कानूनी प्रक्रिया के बाद तबादला आदेश जारी हुआ.
बात करें जस्टिस एस. मुरलीधर की तो उन्हें एक नेक दिल और कड़े फैसले लेने के लिए जाना जाता है. उन्होंने न्याय के लिए कई केस फ्री लड़े हैं. इनमें भोपाल गैस त्रासदी और नर्मदा बांध पीड़ितों के केस भी शामिल हैं. 1984 में हुए सिख दंगों में शामिल रहे सज्जन कुमार के मामले में भी जस्टिस एस. मुरलीधर फैसला सुनाने वालों में से एक थे. वहीं जस्टिस मुरलीधर 2009 में नाज फाउंडेशन मामले की सुनवाई करने वाली दिल्ली हाईकोर्ट की उस बेंच में भी शामिल थे जिसने पहली बार समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से बाहर किया था.
दिल्ली हिंसा मामले में दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति मुरलीधर ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा था कि दिल्ली में दूसरे ‘1984’ को नहीं होने देंगे. साथ ही हिंसा मामले पर दिल्ली पुलिस को फटकार भी लगाई है. भड़काऊ बयान देने वाली सुनवाई फिलहाल 2 मार्च तक टली हुई है. इसके अलावा सीएए के विरोध प्रदर्शन के दौरान दिल्ली में हुई हिंसा में घायलों को सुरक्षा और बेहतर इलाज के लिए दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस मुरलीधर के घर 25 फरवरी को आधी रात को सुनवाई हुई थी.
गौरतलब है कि जस्टिस मुरलीधर को दिल्ली हाईकोर्ट में 2006 में बतौर जज नियुक्त किया गया था और उनका कार्यकाल 2023 में पूरा होगा. जस्टिस मुरलीधर के ट्रांसफर के बारे में पहले भी दो बार चर्चा हो चुकी है लेकिन सुप्रीम कोर्ट के कुछ जजों के विरोध के बाद इसे रोक दिया गया था.