राजस्थान चुनाव 2018ः अश्लीलता, बेतुके बयान और झूठे वायदों से भरी एक थोथी फिल्म

कुछ महीनों में लोकसभा चुनाव होने हैं। उसमें भी ऐसे ही कुछ भद्दे, बेहुदा और गंदे कमेंट एवं राजनीति देखे जाने की पूरी-पूरी संभावना है।

राजस्थान विधानसभा चुनाव 2018। सस्पेंस, ड्रमा और थ्रिल से भरपूर लेकिन एक चीज और है जो इस बार के चुनावों में देखने को मिल रही है। यह है अश्लील शब्द, बेतुके बयान और गंद से भरी राजनीति, जो इनसे पहले के किसी भी चुनावी जंग में देखने को नहीं मिली। यह कहना तो गलत न होगा कि इस बार का चुनाव पूरी तरह सोशल मीडिया पर लड़ा गया लेकिन राजनीति को अपनी जागीर समझने वाले भाजपा-कांग्रेस सहित तमाम पार्टियों के ठेकेदार नेता यह भूल गए कि सोशल मीडिया पर झूठ व बेसिर-पैर की बातें सबसे ज्यादा परोसी जाती हैं। जैसा सोशल मीडिया पर होता है, वैसी ही बेबाकी इस बार के चुनावों में सभी पार्टियों एवं नेताओं ने अपना ली है। कुछ नेता जान-बूझकर और कुछ सत्ता के घमंड में विपक्ष पर कुछ भी जो मन में आया, बोलने में झिझकते नहीं हैं।

सबसे करंट वाक्या से ही आरंभ करते हैं जो है पूर्व मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे और वर्तमान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का मामला। राजस्थान चुनावों से पहले अमित शाह के राजस्थान दौरे पर अशोक गहलोत ने सोशल मीडिया पर एक बयान देते हुए कहा, ‘वसुन्धराजी …. अमित शाह के सामने आधी कमर झुकाकर प्रणाम कर रही हैं मोदीजी की तरह …। इतना झुककर प्रणाम अगर वे जनता से कर लेती तो यह दुर्गति नहीं होती। बाद में हंगामा होता देख गहलोत ने यह ट्विट डिलीट कर दिया। उन्होंने किस सेंस में और क्यों यह बयान दिया, यह तो गहलोत साहब ही बता सकते हैं लेकिन इससे भी दो कदम उपर उठकर वसुन्धराजी ने इसके जो मायने निकाले, आम जनता को भी इसी गुगली में फांस लिया और इसे पूरी महिला जाति का अपमान बताते हुए मांफी की मांग कर दी। खैर, चुनावों के हारने के साथ ही बात आयी-गयी हो गई।

अब आते हैं जातिगत बयानबाजी पर। इस बार के स्थानीय चुनावों में जिसका आरंभ किया प्रदेश के दिग्गज कांग्रेसी राजनेता सीपी जोशी ने। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनकी जाति पूछी। इस बयान पर राहुल गांधी की फटकार तो मिली ही, सार्वजनिक माफी मांगनी पड़ी सो अलग। लेकिन पीछा यहीं नहीं छूटा, भाजपा ने इसे ही अपनी राजनीति का तुरुप का इक्का बना लिया और पलट कर कांग्रेस पर ही वार कर दिया। भाजपा के अमित शाह एवं यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ ने राहुल गांधी का ही गोत्र पूछ लिया। जैसे ही राहुल ने अपना गोत्र बताया तो वसुन्धरा राजे ने जवाबी हमला करते हुए कहा, ‘राहुल गांधी को अपने नाना पंडित जवाहर लाल नेहरू का नहीं, दादा फिरोज गांधी, पिता राजीव गांधी का गोत्र बताना चाहिए।’ तर्क केवल इतना सा है कि राजनीति में आरोप-प्रत्यारोप तो ठीक है लेकिन जाति या गोत्र बताना तो जरुरी नहीं।

केवल इतना ही नहीं, इस बार राजस्थान चुनावों में तो भगवान तक को राजनीति हथकंडे की तरह इस्तेमाल किया गया। योगी आदित्यनाथ ने हिन्दूओं के अराध्य बजरंगबली को दलित बताया। इसके बाद तो बयानों की बाढ़ सी आ गई। एक ओर मुस्लिमों ने हनुमानजी को मुसलमान बताया तो और जैन समाज ने जैनी। मतलब यह है कि राजनीति के ठेकेदारों ने लोगों की आस्था को भी राजनीति का अखाड़ा बना कर रख दिया।

अब कुछ महीनों में लोकसभा चुनाव होने हैं। उसमें भी ऐसे ही कुछ भद्दे, बेहुदा और गंदे कमेंट एवं राजनीति देखे जाने की पूरी-पूरी संभावना है। हां, खोखले वायदे न हो ऐसा होना थोड़ा मुश्किल है।

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