सामान्य वर्ग को आरक्षण देने वाला विधेयक राज्यसभा में भी पारित
सामान्य वर्ग को आर्थिक आधार पर शिक्षा और सरकारी नौकरी में 10 प्रतिशत आरक्षण देने वाला विधेयक आज राज्यसभा में भी 7 के मुकाबले 165 मतों से पास हो गया। 10 घंटे की लंबी चर्चा के बाद इसे 124वें संविधान संशोधन बिल के तौर पर पारित किया गया। राज्यसभा में 29 दलों में से 27 दलों ने बिल का समर्थन किया है। बता दें, राज्यसभा में 29 दलों के 244 सांसद हैं लेकिन बुधवार को 172 सांसद मौजूद रहे जिनमें से 165 ने सवर्ण आरक्षण विधेयक के पक्ष में मत दिया। मंगलवार को लोकसभा में भी इस बिल के समर्थन में 99 फीसदी वोट पड़े थे। सवर्ण आरक्षण विधेयक को अंतिम स्वीकृति के लिए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के पास भेजा जाएगा।
गौरतलब है कि संविधान में अब तक आर्थिक रूप से आरक्षण दिए जाने का कोई प्रावधान नहीं है। राष्ट्रपति के दस्तखत होते ही संविधान के अनुच्छे 15 और 16 में आर्थिक आधार पर आरक्षण देने का प्रावधान जुड़ जाएगा। 1950 के बाद से यह 124वां संविधान संशोधन है।
क्या है सवर्ण आरक्षणविधेयक
मोदी सरकार ने जनरल कैटेगिरी के लोगों को नए साल का तौहफा देते हुए सवर्ण वर्ग को 10 प्रतिशत आरक्षण की सौगात दी है। यह आरक्षण आर्थिक आधार पर शिक्षा और सरकारी नौकरियों में दिया गया है। इस श्रेणी में सभी जनरल कैटेगिरी के साथ मुस्लिम और अन्य धर्मों के लोग भी शामिल होंगे। आरक्षण के लिए पात्र परिवारों की सालाना आय 8 लाख रुपए तय हुई है। सवर्ण जाति में शामिल ब्रह्मामण, मुस्लिम, सिख व ईसाइयों को आरक्षण प्राप्त नहीं है। यह वर्ग लंबे समय से आरक्षण की मांग कर रहा है। फिलहाल देश में एएसी को 16 प्रतिशत, एसटी को 7.5 प्रतिशत और ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण दिया जा रहा है।
सवर्ण आरक्षण विधेयक के लिए 5 मुख्य मापदंड
- परिवार की सालाना आय 8 लाख रुपए से अधिक नहीं होनी चाहिए।
- परिवार के पास 5 एकड़ से अधिक कृषि भूमि नहीं होनी चाहिए।
- आवेदक के पास एक हजार वर्ग फीट से बड़ा फ्लैट नहीं होना चाहिए।
- म्यूनिसिपलिटी एरिया में 100 गज से बड़ा घर न हो।
- नॉन नोटिफाइड म्यूनिसिपलिटी में 200 गज से बड़ा घर नहीं होना चाहिए।