खबर का असर: मकर संक्रांति पर बगैर मंजूरी नहीं लगा पाएंगे बर्ड रेस्क्यू कैंप

News Breath की अग्रिम पहल और वन विभाग की जागरूकता के चलते इस बार हर कोई मकर संक्रांति पर बर्ड रेस्क्यू कैंप नहीं लगा पाएगा। हालांकि मकर संक्रांति पर भारी पतंगबाजी के चलते सैंकड़ों की तादात में पक्षी मांझे में फंसकर घायल हो जाते हैं, ऐसे में पक्षी बचाव कैंप लगना अच्छी बात है लेकिन पिछले साल कुछ बर्ड्स के मिस-हैंडलिंंग के चलते हताहत होने की सूचना के बाद इस बार यह व्यवस्था की गई है। यही वजह है कि इस बार बेजुबान पक्षियों के लिए विभिन्न स्वयं सेवी संस्थाओं की ओर से लगाए जाने वाले कैंप इस बार दिखाई नहीं देंगे। वन विभाग ने भी इस पर अपनी आपत्ति जताई है। अगर इसके बाद बिना अनुमति कोई इस प्रकार के कैंप लगाता है तो इनके खिलाफ कार्रवाई होगी।

अगर किसी भी संस्था को यह कैंप लगाने हैं तो उससे पहले वन विभाग से स्वीकृति लेनी होगी। उक्त आदेश डीएफओ सुदर्शना शर्मा ने जारी किए हैं।

जानकारी के अनुसार, पिछले साल मकर संक्रांति पर पक्षी प्रेमी, एनजीओ और संस्थाओं ने शहरभर में करीब 55 से अधिक सहायता कैंप लगाए थे। हालांकि इनमें से एक ही संस्था के भी कई कैंप थे। इनमें से कुछ ऐसे भी होते हैं जिन्हें इस काम का कोई अनुभव नहीं है और जो नंबर वो रिलीज करते हैं, उन पर या तो फोन रिसीव नहीं होते या फिर सर्विस खराब होती है। ऐसे में पक्षियों को रेस्क्यू करने और डेटा उठाने में दिक्कत आती है। वन विभाग को इसकी सही रिपोर्टिंग भी नहीं हो पाती।

ऐसी स्थिति से निपटने के लिए शर्मा ने कहा है कि हम चाहते हैं कि कैंप से पहले इन सभी संस्थाओं को बेसिक ट्रेनिंग दी जाए। यह ट्रेनिंग रक्षा एनजीओ और डब्ल्यूआईआई के सहयोग से दी जाएगी। ट्रेनिंग कैंन 9 व 10 जनवरी को एफटीआई में लगाए जाएंगे।

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