घर के लिए वास्तुशास्त्र की इन बातों का रखें खास ख्याल


घर में सुख-शांति एवं समृधि के लिए वास्तुशास्त्र का बहुत बड़ा और गहरा योगदान है। कई बार भूलवश घरों में ऐसी कुछ चीजे आ जाती है जिससे घर की सुख-शांति तो नष्ट होती ही है, साथ ही परेषानियों का दौर भी शुरू हो जाता है। लाख प्रत्यन्न करने के बाद भी हम समझ नहीं पाते कि आखिर यह हुआ कैसे। इन सभी में वास्तुशास्त्र का महत्वपूर्ण योगदान माना जाता है। वास्तुशास्त्र में कई ऐसी बातों का विवरण दिया गया है जिनके घर में होने से कलेश बढ़ता है और सुख-चैन समाप्त।

आइए बात करते हैं कि घर में किन चीजों से वास्तु में दोष उत्पन्न होता है …

  1. घर का मुख्य द्वार यानि दरवाजा सबसे महत्वपूर्ण है इसलिए शुरूआत यही से करते हैं। किसी भी सूरत में घर का मुख्य द्वार दक्षिण मुखी नहीं होना चाहिए। अगर ऐसा है तो वास्तु के हिसाब से बिलकुल भी उचित नहीं। अगर मजबूरीवश ऐसा करना पड़ रहा हो तो द्वार के ठीक सामने एक आइना लगा दें। दोष से मुक्ति मिलेगी।
  2. प्रवेश द्वार से धनात्मक उर्जा का घर में प्रवेश होता है। इसलिए द्वार की सजावट भी उतनी ही जरूरी है जितनी घर के अंदर की। अतः प्रवेश द्वार या मुख्य द्वार की साज-सज्जा भी वैसी ही करती चाहिए। एक बात का ध्यान रखें, प्रवेश द्वार के बीच कोई रूकावट पैदा न हो।
  3. बेहतर होगा कि घर के आंगन में या आसपास तुलसी का पौधा या अन्य पौधे लगा दें। तुलसी का पौधा न केवल पवित्र होता है अपितु सकारात्मक उर्जा भी देता है। अगर ऐसा नहीं हो सके तो अन्य पौधे लगाना भी ठीक होगा। माना जाता है कि पौधे या घर में लगा कोई पेड़ आपकी मुसिबतों को अपने सिर ले लेता है। लेकिन ध्यान रहे, यह पौधा आपके मुख्य द्वार के ठीक सामने नहीं होना चाहिए।
  4. अगर आप अपने घर में फव्वारा या उसकी कोई फोटो लगाना चाह रहे हैं तो जरा रूकिए। फव्वारे से गिरता पानी आपके घर में होने वाले व्यय या खर्च को बढ़ाने जैसा है। ऐसा करने से घर में लक्ष्मी नहीं रूकती अपितु ज्यादा खर्च होती है। अगर ऐसा करना ही है तो घर के बाहर फव्वारा लगा सकते हैं।
  5. रसोईघर का हमारे जीवन और परिवार में काफी महत्व है। ऐसे में रसोईघर के वास्तु का खास ध्यान रखा जाता है। घर के मुख्य द्वार के सामने रसोईघर का होना शुभ नहीं होता और इसका असर परिवार के स्वास्थ्य पर पड़ता है। घर का दक्षिण-पूर्व कोना रसोईघर के लिए आदर्श स्थान है।
  6. वास्तु के अनुसार घर की उत्तर-पूर्व दिशा सबसे पवित्र जगह होती है। अतः इस स्थान पर भगवान को या मंदिर को जगह देनी चाहिए। इस दिषा से सबसे ज्यादा सकारात्मक उर्जा घर में प्रवेश करती है।

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