कर्नाटक के बाद अब आ सकती है मध्यप्रदेश की बारी, मुरझा सकता है कांग्रेस का ‘कमल’
कर्नाटक में जो हुआ, उसका असर देश की राजनीति पर पड़ता तय है. जिस तरह बीजेपी ने पहले गोवा में विधायक तोड़ अपनी पूर्ण बहुमत सरकार बनायी. उसके तुरंत बाद कर्नाटक की गठबंधन सरकार का गिरी, साफ लग रहा है कि अब अन्य राज्यों में भी बीजेपी अपनी सत्ता कायम करने में लगी हुई है.
फिलहाल राजस्थान, पंजाब, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और पांणिचेरी सहित पांच राज्यों में कांग्रेस शासित सरकार है. बाकी प्रदेशों में तो कांग्रेस की पूर्ण बहुमत सरकार है लेकिन मध्यप्रदेश बीजेपी का अगला निशाना बन सकता है. यहां कमलनाथ सरकार बसपा और अन्य निर्दलीय विधायकों की बैसाखियों पर टिकी है. बीजेपी के नेताओं के हालिया बयान इस बात की पूरी तरह से पुष्टि भी करते हैं.
हाल में बीजेपी के नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने सदन में एक बयान देते हुए मध्यप्रदेश की राजनीति में हलचल मचा दी. भार्गव ने विधानसभा में कहा कि हमारे ऊपर वाले नंबर-1 या नंबर-2 का आदेश हुआ तो 24 घंटे भी कमलनाथ सरकार नहीं चलेगी. सीधे तौर पर इस बात के संकेत दिए जा रहे हैं कि गोवा और कर्नाटक के बाद अगला नंबर मध्यप्रदेश का ही आएगा. वहीं इस बात का जवाब देते हुए प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि मध्यप्रदेश सरकार स्थिर है. चाहें तो आज ही फ्लोर टेस्ट करा लें.
मध्यप्रदेश सरकार का अस्तित्व कितने खतरे में है, ये तो समय ही बताएगा लेकिन जिस तरह कर्नाटक में सरकार गिरने के 24 धंटे के भीतर नेताओं की बयानबाजी आ रही है, उसके हवाले से तो यही माना जा रहा है कि मध्यप्रदेश में भी हाई अलर्ट जारी हो गया है. उससे पहले एमपी के पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने भी कल एक बयान देते हुए कहा
उससे पहले एमपी के पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने भी कल एक बयान देते हुए कहा, ‘मध्य प्रदेश भी हम सरकार नहीं गिराएंगे लेकिन कांग्रेस ही कांग्रेस की सरकार गिरा रही है. कांग्रेस के अंदर जो अंतर्विरोध हैं और बीएसपी-एसपी का समर्थन उसमें कुछ हो जाए तो हम कुछ नहीं कर सकते. कर्नाटक में भी हमने सरकार नहीं गिराई, यहां भी हम कुछ नहीं कर रहे.‘
इस बयान से सीधे-सीधे शिवराज सिंह ने कमलनाथ को एमपी में कर्नाटक की कहानी दोहराए जाने का संकेत दे दिया है. एक मीडिया संस्थान को दिए गए एमपी के नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने भी अपने बयान से इस बात को दोहराया है. उन्होंने कहा, ‘ये सरकार इतने दिन चल गयी यही आश्चर्य का विषय है. ये सरकार जल्द से जल्द गिरेगी क्योंकि सरकार में विचारधारा के आधार पर नहीं स्वार्थों के आधार पर गठबंधन बना है. जिस भी दिन किसी विधायक का मन की नहीं हुआ तो सरकार गिरनी तय है. मध्यप्रदेश में जल्द ही सरकार अपना पिंडदान करवाएगी.‘
इन सब अटकलों के बीच कमलनाथ सरकार की बारी आना तो तय है लेकिन राजनीति में लंबा तर्जुबा और अनुभव लिए कमलनाथ की सरकार गिराना इतना भी आसान नहीं है. लेकिन निर्दलीय विधायकों के सहारे सत्ता की कुर्सी पर आसीन कमलनाथ के लिए संकट की घंटी बजना तो शुरू हो ही गई है. इस घंटी की शुरूआत बीजेपी के नेताओं ने राज्यपाल को पत्र लिख सदन का विशेष सत्र बुलावाने की मांग करने के साथ कर भी दी है. इस पत्र में कमलनाथ सरकार को बहुमत साबित करने के लिए भी कहा गया है.
अगर एमपी विधानसभा में मैजिक नंबर की बात की जाए तो 231 विधायकों वाले सदन में कांग्रेस विधायकों की संख्या 114 है. बीजेपी के पास 108, बसपा के दो, सपा का एक और चार निर्दलीय विधायक हैं. एक निर्वाचित प्रतिनिधि और एक सीट खाली है. बहुमत 116 पर है. यहां सत्ता की चाभी निर्दलीय विधायकों के हाथ में है लेकिन अगर सपा-बसपा का साथ भी बना रहता है तो सरकार को कोई खतरा नहीं है.
वहीं बीजेपी को बहुमत साबित करने के लिए सीधे-सीधे 8 विधायकों की जरूरत है. हालांकि ये होना इतना आसान नहीं है लेकिन कर्नाटक में जो हुआ, उसे देखते हुए बीजेपी के लिए ऐसा करना मुश्किल भी नहीं है. खैर, जो भी हो, वो भविष्य के गर्त में छिपा हुआ है. लेकिन एक बात पक्की है कि गोवा-कर्नाटक की तर्ज पर कमलनाथ सरकार की मुश्किले जरूर बढ़ने वाली है.