महाराष्ट्र में कब्बड्डी का आज आखिरी दिन
महाराष्ट्र में लगातार चल रहे उहपोह के हालातों के बीच पूरी फ़िल्म का क्लाइमेक्स अब आ गया है। लगातार भारी भारी ढींगे हाँकने वाली शिवसेना और अकड़ में चूर बीजेपी के लिए कब्बडी का आज आखिरी दिन है। पिछली विधान सभा का आज अंतिम दिन है और चुनाव के परिणाम आये हुये भी 15 दिन से ज्यादा हो गए। अगर आज रात 12 बजे तक सरकार नहीं बनी तो कल राज्यपाल राष्ट्रपति को महाराष्ट्र में आपातकाल लगाने की सलाह दे सकता है। शरद पवार के सरकार में भागीदार न बनने के बयान के बाद अब इस ओर रुख कर लिया है।
संवैधानिक नियमों के अनुसार, चुनाव के 15 दिनों के भीतर राज्यपाल सरकार गठन की प्रक्रिया को पूरा करे. लेकिन किसी कारणवश सरकार गठन की प्रक्रिया पूरी नहीं होती है या यूं कहें कि महाराष्ट्र में सरकार गठन के कोई रास्ते नहीं निकलते हैं तो ऐसी स्थिति में राज्यपाल, धारा 356 के तहत राष्ट्रपति शासन/आपातकाल के लिए राष्ट्रपति से सिफारिश कर सकता है. इसके बाद राज्य की कार्यपालिका शक्ति राष्ट्रपति के हाथों में आ जाएगी. संसद राज्य विधानसभा के सभी कार्यों को देखेगी. इन बातों का असर न्यायपालिका पर नहीं पड़ेगा. संसद को इस पर दो महीनों के अंदर सहमति देनी होती है.
राष्ट्रपति शासन की अवधि 6 महीने या एक साल की होती है. अगर राष्ट्रपति शासन को एक साल पूरा होने के बाद भी आगे बढ़ाना होता है तो इसके लिए चुनाव आयोग की अनुमति लेनी होती है. अगर चुनाव आयोग सहमति दे भी देता है तो राष्ट्रपति शासन तीन साल की अवधि से ज्यादा नहीं लगाया जा सकता. राष्ट्रपति शासन के दौरान भी राज्यपाल दलों को सरकार बनाने का निमंत्रण दे सकता है. अगर किसी भी पार्टी ने विधानसभा में बहुमत साबित कर दिया तो सरकार बन जाती है. अन्यथा राष्ट्रपति शासन के अधिकतम अवधि के बाद दोबारा चुनाव कराए जाते हैं.
मौजूदा समय में देवेंद्र फडणवीस कार्यकारी मुख्यमंत्री हैं. राष्ट्रपति शासन लागू होने या नयी सरकार बनने तक वे इस पद पर बने रहेंगे. अगर नयी सरकार बनती है या भाजपा फिर से सरकार बनाती है तो फडणवीस को फिर से मुख्यमंत्री की शपथ ग्रहण करनी होगी. वहीं शिवसेना पार्टी का मुख्यमंत्री बनाने पर अड़ी है।